ETV Bharat / bharat

जम्मू में रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों में खौफ - रोहिंग्या मुस्लिम मुहम्मद इदरीस

जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यालय जम्मू में रह रहे रोहिंग्य मुसलमान इन दिनों खासे चिंतित है कि कही केंद्र सरकार उन्हें वापस बर्मा न भेज दे. आइए जानते हैं क्यों है उनके मन में ये आशंका

शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान
शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान
author img

By

Published : Mar 25, 2022, 11:59 AM IST

Updated : Mar 25, 2022, 1:57 PM IST

जम्मू: जम्मू-कश्मीर केद्र शासित प्रदेश की शीतकालीन मुख्यालय जम्मू में दस साल से अधिक समय से शहरी जीवन व्यतीत कर रहे शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान इन दिनों भय के साये में जी रहे हैं. उन्हें डर सता रहा है कि उन्हें 2021 की तरह हीरा नगर जेल भेज दिया जाएगा. वहां से हसीना बेगम नाम की एक महिला को 15 मार्च को बर्मा शिफ्ट कर दिया गया था. रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि कुछ को हीरा नगर जेल से वापस बर्मा स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां 150 रोहिंग्या शरणार्थी हैं.

शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान

पिछले दस वर्षों से जम्मू के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 1,500 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों परिवार इतने भयभीत हैं कि अधिकांश शरणार्थी पूरी रात जागते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि पुलिस उन्हें उठा ले जाएगी. रोहिंग्या मुस्लिम मुहम्मद इदरीस को 2012 में बर्मा में पैर में गोली लगी थी और उनका पैर काटना पड़ा था फिर वह 2012 में भारत लौटा था. अब उन्हें जम्मू में डर है कि कहीं भारत सरकार उन्हें होल्डिंग सेंटर न भेज दे. जिस तरह अन्य शरणार्थियों को हीरा नगर जेल में स्थानांतरित किया गया था और वहां से अब उन्हें बर्मा निर्वासित किए जाने का खतरा है.

उनका कहना है कि एक महिला को जेल से बर्मा स्थानांतरित कर दिया गया, जहां अब उसकी जान को खतरा है. उन्होंने कहा कि बर्मा में हुई हिंसा के कारण, हमें कई देशों में पलायन करना पड़ा और यूएनएचआर द्वारा हमें शरणार्थी बना दिया गया और आज हम बहुत चिंतित हैं कि भारत सरकार हमें वापस बर्मा न भेज दे. हम यहां मानवता की खातिर अपनी जान बचाने के लिए आए हैं अब अगर भारत सरकार हमें वापस भेज देगी तो हमारे लिए इससे बुरा और क्या हो सकता है?

एक अन्य शरणार्थी अख्तर हुसैन हैं. उसके माता-पिता को पिछले साल जेल भेज दिया गया था और उसकी माँ की जेल में ही मृत्यु हो गई थी. उन्होंने कहा कि उनके 7 करीबी रिश्तेदार अभी भी जेल में हैं और उन्हें डर है कि कहीं सरकार उन्हें जेल से बर्मा न भेज दे. आंकड़ों के अनुसार, जम्मू और सांबा जिलों के विभिन्न हिस्सों में 6500 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हजारों रोहिंग्या शरणार्थी दस साल पहले म्यांमार में मुस्लिम नरसंहार की लहर से बच निकले और बांग्लादेश पहुंचे, जहां से वे भारत में प्रवेश कर गए. उनमें से अधिकांश जम्मू चले गए और नरवाल, भट्टंडी, करण तालाब आदि के उपनगरों में जमींदारों की खाली जमीन पर किराए पर बस गए.

यह भी पढ़ें-बीजेपी को वोट देना मुस्लिम महिला को पड़ा भारी, ससुराल वालों ने की ये गंदी हरकत..

जम्मू: जम्मू-कश्मीर केद्र शासित प्रदेश की शीतकालीन मुख्यालय जम्मू में दस साल से अधिक समय से शहरी जीवन व्यतीत कर रहे शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान इन दिनों भय के साये में जी रहे हैं. उन्हें डर सता रहा है कि उन्हें 2021 की तरह हीरा नगर जेल भेज दिया जाएगा. वहां से हसीना बेगम नाम की एक महिला को 15 मार्च को बर्मा शिफ्ट कर दिया गया था. रोहिंग्या शरणार्थियों का कहना है कि कुछ को हीरा नगर जेल से वापस बर्मा स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां 150 रोहिंग्या शरणार्थी हैं.

शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमान

पिछले दस वर्षों से जम्मू के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 1,500 से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों परिवार इतने भयभीत हैं कि अधिकांश शरणार्थी पूरी रात जागते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि पुलिस उन्हें उठा ले जाएगी. रोहिंग्या मुस्लिम मुहम्मद इदरीस को 2012 में बर्मा में पैर में गोली लगी थी और उनका पैर काटना पड़ा था फिर वह 2012 में भारत लौटा था. अब उन्हें जम्मू में डर है कि कहीं भारत सरकार उन्हें होल्डिंग सेंटर न भेज दे. जिस तरह अन्य शरणार्थियों को हीरा नगर जेल में स्थानांतरित किया गया था और वहां से अब उन्हें बर्मा निर्वासित किए जाने का खतरा है.

उनका कहना है कि एक महिला को जेल से बर्मा स्थानांतरित कर दिया गया, जहां अब उसकी जान को खतरा है. उन्होंने कहा कि बर्मा में हुई हिंसा के कारण, हमें कई देशों में पलायन करना पड़ा और यूएनएचआर द्वारा हमें शरणार्थी बना दिया गया और आज हम बहुत चिंतित हैं कि भारत सरकार हमें वापस बर्मा न भेज दे. हम यहां मानवता की खातिर अपनी जान बचाने के लिए आए हैं अब अगर भारत सरकार हमें वापस भेज देगी तो हमारे लिए इससे बुरा और क्या हो सकता है?

एक अन्य शरणार्थी अख्तर हुसैन हैं. उसके माता-पिता को पिछले साल जेल भेज दिया गया था और उसकी माँ की जेल में ही मृत्यु हो गई थी. उन्होंने कहा कि उनके 7 करीबी रिश्तेदार अभी भी जेल में हैं और उन्हें डर है कि कहीं सरकार उन्हें जेल से बर्मा न भेज दे. आंकड़ों के अनुसार, जम्मू और सांबा जिलों के विभिन्न हिस्सों में 6500 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि हजारों रोहिंग्या शरणार्थी दस साल पहले म्यांमार में मुस्लिम नरसंहार की लहर से बच निकले और बांग्लादेश पहुंचे, जहां से वे भारत में प्रवेश कर गए. उनमें से अधिकांश जम्मू चले गए और नरवाल, भट्टंडी, करण तालाब आदि के उपनगरों में जमींदारों की खाली जमीन पर किराए पर बस गए.

यह भी पढ़ें-बीजेपी को वोट देना मुस्लिम महिला को पड़ा भारी, ससुराल वालों ने की ये गंदी हरकत..

Last Updated : Mar 25, 2022, 1:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.