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दक्षिण अफ्रीका में हिंसा, जानें भारतीयों को क्यों बनाया जा रहा निशाना

दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा की सात जुलाई को गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 212 लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकतर भारतीय मूल के लोग हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिंसा के दौरान दंगाई भारतीय मूल के लोगों को निशाना बना रहे हैं और उनके व्यवसायों व संपत्तियों को जला रहे हैं. भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ हिंसा का कारण जाने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 19, 2021, 1:51 PM IST

दक्षिण अफ्रीका में हिंसा
दक्षिण अफ्रीका में हिंसा

हैदराबाद : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा (Jacob Zuma) की सात जुलाई को गिरफ्तारी के बाद से ही अफ्रीकी देश में अभूतपूर्व हिंसा हो रही है, जिसमें भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

जैकब जूमा के समर्थकों ने भारतीय मूल के लोगों के स्वामित्व वाले व्यवसायों और संपत्तियों को निशाना बनाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है. दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल की आबादी करीब 14 लाख है, जिसमें से दो-तिहाई डरबन में रहती है.

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों का इतिहास
औपनिवेशिक काल में 1860 से 1911 के बीच भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के रूप में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. इन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा बागानों, रेलवे और खदानों में काम करने के लिए ले जाया गया था.

दक्षिण अफ्रीका में लगभग 1.5 मिलियन भारतीय हैं जो जनसंख्या का मात्र 2.5% है, जिसमें लगभग एक मिलियन क्वाज़ूलू-नताल (KwaZulu-Natal) प्रांत में रहते हैं.

भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ हिंसा का कारण
29 जून को, दक्षिण अफ्रीका के सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना ​​के लिए जूमा को 15 महीने जेल की सजा सुनाई, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति जूमा औपचारिक सुनवाई के लिए उपस्थित होने के अदालती आदेशों की लगातार अवहेलना कर रहे थे. जैबक जूमा ने सात जुलाई को सरेंडर कर दिया.

जूमा द्वारा सरेंडर किए जाने से ठीक पहले, सशस्त्र समूह उमखोंटो वी सिज़वे मिलिट्री वेटरन्स एसोसिएशन (Umkhonto we Sizwe Military Veterans Association) के नेतृत्व में उनके समर्थकों ने धमकी दी कि अगर जूमा को जेल भेजा गया तो वे देश में विद्रोह कर देंगे.

जूमा की गिरफ्तारी से गुस्साए उनके समर्थकों ने सड़कों और राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया और हिंसा करने लगे. इस दौरान उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.

जूमा की गिरफ्तारी और भारतीय कनेक्शन
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैबक जूमा के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के सभी मामलों में गुप्ता परिवार की संलिप्तता है. उत्तर प्रदेश का रहने वाला गुप्त परिवार साल 1993 में दक्षिण अफ्रीका शिफ्ट हो गया था.

गुप्त बंधु कभी इतने प्रभावशाली थे कि यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा सरकार की नीतियां तय कीं. इसलिए जूमा के आलोचकों ने उन्हें जूप्ता (Zupta) (गुप्ता और जूमा) नाम दिया.

ऐसे आरोप हैं कि जूमा ने भारतीय मूल के तीन व्यवसायियों अतुल गुप्ता, अजय गुप्ता और राजेश गुप्ता को 'देश के संसाधनों को लूटने' और सरकारी नीति पर प्रभाव डालने की अनुमति दी. यह भी आरोप लगा है कि गुप्ता बंधुओं के सहयोग से, जैकब जूमा ने देश की संपत्तियों का गबन किया.

जैकब जूमा को 2018 में राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए मजबूर किए जाने के बाद गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका से भाग गए. हालांकि दोनों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है.

गुप्तागेट 2013
गुप्ता परिवार के एक रिश्तेदार की शादी के लिए मेहमानों को ले जाने के लिए एक चार्टर्ड विमान का इस्तेमाल किया गया था. केवल देशों के प्रमुखों और राजनयिक प्रतिनिधियों के आने के लिए एयरबेस का उपयोग किया गया था. इस घटना ने हंगामा खड़ा कर दिया और दक्षिण अफ्रीकी मीडिया ने इसे 'गुप्तागेट' करार दिया.

भारतीयों को निशाना बना रहे दंगाई
दक्षिण अफ्रीका के दो प्रांतों गौतेंग और क्वाज़ूलू-नताल (KZN) में दंगाई हिंसा कर रहे हैं. भारतीय पूरे क्वाज़ूलू-नताल में फैले हुए हैं और उन्हें हर जगह निशाना बनाया जा रहा है. फीनिक्स में स्थिति और भी खराब है, जहां भारतीय बहुसंख्यक हैं लेकिन काले लोगों से घिरे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- देश में हिंसा फैलाने वालाें की खैर नहीं, जानें क्याें इतने सख्त हुए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति

इस हिंसा में अब तक 212 लोग मारे गए हैं, जिसमें ज्यादातर भारतीय मूल के हैं. क्वाज़ूलू-नताल की प्रांतीय सरकार ने अनुमान लगाया है कि करीब 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के माल और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. लगभग 3,53,000 टन गन्ना बर्बाद हो गया है. करीब 200 शॉपिंग मॉल क्षतिग्रस्त हुए हैं. इनमें से कई मेगा-मॉल में मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीकी-भारतीयों की दुकानें थीं.

हैदराबाद : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा (Jacob Zuma) की सात जुलाई को गिरफ्तारी के बाद से ही अफ्रीकी देश में अभूतपूर्व हिंसा हो रही है, जिसमें भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

जैकब जूमा के समर्थकों ने भारतीय मूल के लोगों के स्वामित्व वाले व्यवसायों और संपत्तियों को निशाना बनाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है. दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल की आबादी करीब 14 लाख है, जिसमें से दो-तिहाई डरबन में रहती है.

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों का इतिहास
औपनिवेशिक काल में 1860 से 1911 के बीच भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के रूप में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. इन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा बागानों, रेलवे और खदानों में काम करने के लिए ले जाया गया था.

दक्षिण अफ्रीका में लगभग 1.5 मिलियन भारतीय हैं जो जनसंख्या का मात्र 2.5% है, जिसमें लगभग एक मिलियन क्वाज़ूलू-नताल (KwaZulu-Natal) प्रांत में रहते हैं.

भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ हिंसा का कारण
29 जून को, दक्षिण अफ्रीका के सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना ​​के लिए जूमा को 15 महीने जेल की सजा सुनाई, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति जूमा औपचारिक सुनवाई के लिए उपस्थित होने के अदालती आदेशों की लगातार अवहेलना कर रहे थे. जैबक जूमा ने सात जुलाई को सरेंडर कर दिया.

जूमा द्वारा सरेंडर किए जाने से ठीक पहले, सशस्त्र समूह उमखोंटो वी सिज़वे मिलिट्री वेटरन्स एसोसिएशन (Umkhonto we Sizwe Military Veterans Association) के नेतृत्व में उनके समर्थकों ने धमकी दी कि अगर जूमा को जेल भेजा गया तो वे देश में विद्रोह कर देंगे.

जूमा की गिरफ्तारी से गुस्साए उनके समर्थकों ने सड़कों और राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया और हिंसा करने लगे. इस दौरान उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया.

जूमा की गिरफ्तारी और भारतीय कनेक्शन
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैबक जूमा के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के सभी मामलों में गुप्ता परिवार की संलिप्तता है. उत्तर प्रदेश का रहने वाला गुप्त परिवार साल 1993 में दक्षिण अफ्रीका शिफ्ट हो गया था.

गुप्त बंधु कभी इतने प्रभावशाली थे कि यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा सरकार की नीतियां तय कीं. इसलिए जूमा के आलोचकों ने उन्हें जूप्ता (Zupta) (गुप्ता और जूमा) नाम दिया.

ऐसे आरोप हैं कि जूमा ने भारतीय मूल के तीन व्यवसायियों अतुल गुप्ता, अजय गुप्ता और राजेश गुप्ता को 'देश के संसाधनों को लूटने' और सरकारी नीति पर प्रभाव डालने की अनुमति दी. यह भी आरोप लगा है कि गुप्ता बंधुओं के सहयोग से, जैकब जूमा ने देश की संपत्तियों का गबन किया.

जैकब जूमा को 2018 में राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए मजबूर किए जाने के बाद गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका से भाग गए. हालांकि दोनों ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है.

गुप्तागेट 2013
गुप्ता परिवार के एक रिश्तेदार की शादी के लिए मेहमानों को ले जाने के लिए एक चार्टर्ड विमान का इस्तेमाल किया गया था. केवल देशों के प्रमुखों और राजनयिक प्रतिनिधियों के आने के लिए एयरबेस का उपयोग किया गया था. इस घटना ने हंगामा खड़ा कर दिया और दक्षिण अफ्रीकी मीडिया ने इसे 'गुप्तागेट' करार दिया.

भारतीयों को निशाना बना रहे दंगाई
दक्षिण अफ्रीका के दो प्रांतों गौतेंग और क्वाज़ूलू-नताल (KZN) में दंगाई हिंसा कर रहे हैं. भारतीय पूरे क्वाज़ूलू-नताल में फैले हुए हैं और उन्हें हर जगह निशाना बनाया जा रहा है. फीनिक्स में स्थिति और भी खराब है, जहां भारतीय बहुसंख्यक हैं लेकिन काले लोगों से घिरे हुए हैं.

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इस हिंसा में अब तक 212 लोग मारे गए हैं, जिसमें ज्यादातर भारतीय मूल के हैं. क्वाज़ूलू-नताल की प्रांतीय सरकार ने अनुमान लगाया है कि करीब 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के माल और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. लगभग 3,53,000 टन गन्ना बर्बाद हो गया है. करीब 200 शॉपिंग मॉल क्षतिग्रस्त हुए हैं. इनमें से कई मेगा-मॉल में मुख्य रूप से दक्षिण अफ्रीकी-भारतीयों की दुकानें थीं.

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