नई दिल्ली: मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुख्य रूप से महंगाई को काबू में लाने के उद्देश्य से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक बार फिर नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. इससे मुख्य नीतिगत दर बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गई है. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया है. वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है.
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It's now proposed to permit all inbound travellers to use UPI payments for their merchant payments while they are in the country. To begin with, this facility will be extended to travellers from G20 countries arriving at select international airports: RBI Governor pic.twitter.com/JGSGVPLgzj
— ANI (@ANI) February 8, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) February 8, 2023
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल माध्यम से प्रसारित बयान में कहा कि मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत करने का निर्णय किया है.
गवर्नर दास ने कहा कि पिछले करीब तीन साल में विभिन्न चुनौतियों के कारण दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के लिये मौद्रिक नीति के स्तर पर चुनौती रही है. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति अब इतनी कमजोर नहीं दिख रही है, मुद्रास्फीति नीचे आ रही है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देने के पक्ष में है. कमजोर वैश्विक मांग, मौजूदा आर्थिक माहौल घरेलू वृद्धि को प्रभावित कर सकता है. गवर्नर दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि, रेपो दर में वृद्धि की यह गति पिछली पांच बार की वृद्धि के मुकाबले कम है और बाजार इसकी उम्मीद कर रहा था.
आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अबतक कुल छह बार में रेपो दर में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है. इससे पहले, मई में रेपो दर 0.40 प्रतिशत तथा जून, अगस्त तथा सितंबर में 0.50-0.50 प्रतिशत तथा दिसंबर में 0.35 प्रतिशत बढ़ायी गयी थी. केंद्रीय बैंक नीतिगत दर पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है.
(पीटीआई-भाषा)
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