ETV Bharat / bharat

हवाओं में घुलकर लोगों को संक्रमित कर सकता है कोरोनाः रिसर्च

क्या कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है? जी हां, कोरोना वायरस हवा में रह भी सकता है और दूसरों को संक्रमित भी कर सकता है. ये एक ज्वाइंट रिसर्च से सामने आया है. डॉक्टर भी इस रिसर्च से सहमत हैं. डॉक्टरों का कहना है कि वेंटिलेशन ही एकमात्र उपाय है जिससे लोग संक्रमित होने से बच सकते हैं.

कोरोना वायरस हवा में रह भी सकता है
कोरोना वायरस हवा में रह भी सकता है
author img

By

Published : May 21, 2021, 11:11 AM IST

चंडीगढ़: ये बात लगातार सामने आ रही है कि कोरोना वायरस हवा के जरिए लोगों को संक्रमित कर सकता है और वायरस हवा में कई घंटों तक बना रह सकता है. इसी को लेकर वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की. इस रिसर्च में ये सामने आया कि अगर किसी जगह पर कोई संक्रमित व्यक्ति आया तो उसके जाने के बाद 2 घंटे तक वायरस हवा मे रह सकता है और दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है.

ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च

ये बात एक ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च में सामने आई है. इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी चंडीगढ़, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन साइंटिफिक ऑर्गेनाइजेशन (CSIO) चंडीगढ़, CCMB हैदराबाद और CSIR की लैब की ज्वाइंट रिसर्च के आधार पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने देश भर के लिए गाइडलाइंस भी जारी की हैं.

CSIR की तरफ से वैज्ञानिकों को ये कहा गया था कि वो इसके लिए दवा रहित उपाय निकालें. इसके लिए वैज्ञानिकों ने पिछले हफ्ते ही नई गाइडलाइन तैयार की थी जिसमें नेशनल बिल्डिंग कोड एनसीबी 2016 में बदलाव की सिफारिश की गई थी. गाइडलाइंस के अनुसार रेजिडेंशियल एरिया और ऑफिस में बदलाव की सिफारिश की है. ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेशन रखने की बात कही गई है.

पढ़ेंः पंजाब: मोगा में क्रैश हुआ मिग 21, पायलट की मौत, जांच के आदेश

इमटेक चंडीगढ़ ने अपनी प्रैक्टिकल रिसर्च के जरिए बताया है कि संक्रमित व्यक्ति के कमरे से जाने के बाद भी 2 घंटे तक हवा में वायरस रहता है. गाइडलाइंस में कहा गया है कि 2 गज की दूरी नाकाफी है. संक्रमण से बचना है तो कम से कम 2 मीटर की दूरी होनी चाहिए.

वायरस को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने अलग-अलग डिसइंफेक्टेंट को उपयोग करने की सिफारिश भी की है. इसमें यूवी लाइट है, जो वायरस खत्म करती है. ये यूवी लाइट रॉड CSIO ने तैयार की है. इसके अलावा एसी में उपयोग होने वाला यूवी डक्ट को भी CSIO ने तैयार किया है.

ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च
ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च

रिसर्च को लेकर क्या बोले डॉक्टर?

चंडीगढ़ PGI के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके जिंदल ने बताया कि वायरस हवा में मौजूद रह सकता है और संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को संक्रमित भी कर सकता है. ये समस्या छोटे कमरों में ज्यादा है, क्योंकि अगर किसी बड़े हॉल में वायरस फैलता है तो वो लोगों को कम नुकसान पहुंचाएगा. लेकिन अगर छोटे कमरे में वायरस होगा तो वहां मौजूद लोगों को वो ज्यादा प्रभावित कर सकता है.

उन्होंने कहा कि वेंटिलेशन बेहद जरूरी है. कमरों की हवा लगातार बहती रहे जिससे कुछ ही घंटों में हवा पूरी तरह से बदल जाए. इसके लिए कमरों की खिड़कियों को खुला रखें और पंखा चलता रहे जिससे हवा ठहरे नहीं. जिन कमरों में खिड़कियां ज्यादा नहीं है या छोटी हैं उन कमरों में एग्जॉस्ट फैन लगवाएं, जो कमरे की हवा को लगातार बाहर फेंकता रहे ताकि कमरे में ताजी हवा आ सके.

चंडीगढ़: ये बात लगातार सामने आ रही है कि कोरोना वायरस हवा के जरिए लोगों को संक्रमित कर सकता है और वायरस हवा में कई घंटों तक बना रह सकता है. इसी को लेकर वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की. इस रिसर्च में ये सामने आया कि अगर किसी जगह पर कोई संक्रमित व्यक्ति आया तो उसके जाने के बाद 2 घंटे तक वायरस हवा मे रह सकता है और दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है.

ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च

ये बात एक ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च में सामने आई है. इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी चंडीगढ़, सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन साइंटिफिक ऑर्गेनाइजेशन (CSIO) चंडीगढ़, CCMB हैदराबाद और CSIR की लैब की ज्वाइंट रिसर्च के आधार पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने देश भर के लिए गाइडलाइंस भी जारी की हैं.

CSIR की तरफ से वैज्ञानिकों को ये कहा गया था कि वो इसके लिए दवा रहित उपाय निकालें. इसके लिए वैज्ञानिकों ने पिछले हफ्ते ही नई गाइडलाइन तैयार की थी जिसमें नेशनल बिल्डिंग कोड एनसीबी 2016 में बदलाव की सिफारिश की गई थी. गाइडलाइंस के अनुसार रेजिडेंशियल एरिया और ऑफिस में बदलाव की सिफारिश की है. ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेशन रखने की बात कही गई है.

पढ़ेंः पंजाब: मोगा में क्रैश हुआ मिग 21, पायलट की मौत, जांच के आदेश

इमटेक चंडीगढ़ ने अपनी प्रैक्टिकल रिसर्च के जरिए बताया है कि संक्रमित व्यक्ति के कमरे से जाने के बाद भी 2 घंटे तक हवा में वायरस रहता है. गाइडलाइंस में कहा गया है कि 2 गज की दूरी नाकाफी है. संक्रमण से बचना है तो कम से कम 2 मीटर की दूरी होनी चाहिए.

वायरस को खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने अलग-अलग डिसइंफेक्टेंट को उपयोग करने की सिफारिश भी की है. इसमें यूवी लाइट है, जो वायरस खत्म करती है. ये यूवी लाइट रॉड CSIO ने तैयार की है. इसके अलावा एसी में उपयोग होने वाला यूवी डक्ट को भी CSIO ने तैयार किया है.

ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च
ज्वाइंट प्रैक्टिकल रिसर्च

रिसर्च को लेकर क्या बोले डॉक्टर?

चंडीगढ़ PGI के पल्मोनरी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. एसके जिंदल ने बताया कि वायरस हवा में मौजूद रह सकता है और संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को संक्रमित भी कर सकता है. ये समस्या छोटे कमरों में ज्यादा है, क्योंकि अगर किसी बड़े हॉल में वायरस फैलता है तो वो लोगों को कम नुकसान पहुंचाएगा. लेकिन अगर छोटे कमरे में वायरस होगा तो वहां मौजूद लोगों को वो ज्यादा प्रभावित कर सकता है.

उन्होंने कहा कि वेंटिलेशन बेहद जरूरी है. कमरों की हवा लगातार बहती रहे जिससे कुछ ही घंटों में हवा पूरी तरह से बदल जाए. इसके लिए कमरों की खिड़कियों को खुला रखें और पंखा चलता रहे जिससे हवा ठहरे नहीं. जिन कमरों में खिड़कियां ज्यादा नहीं है या छोटी हैं उन कमरों में एग्जॉस्ट फैन लगवाएं, जो कमरे की हवा को लगातार बाहर फेंकता रहे ताकि कमरे में ताजी हवा आ सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.