ETV Bharat / bharat

मवेशियों में सरोगेसी, तिरुपति में हुआ सफल परीक्षण - मवेशियों में सरोगेसी

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में स्थित श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में ओपीयू-आईवीएफ (ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड गाइडेड - इनविट्रो फर्टिलाइजेशन के माध्यम से अधिक पिकअप) प्रणाली पर किए जा रहे शोध के सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं. सरोगेसी के माध्यम से एक गाय के गर्भाशय से एग एकत्र कर 10 से 12 मादा को गर्भधारण कराया जा सकता है (Surrogacy in cattle).

Surrogacy in cattle
मवेशियों में सरोगेसी
author img

By

Published : Dec 26, 2022, 7:47 PM IST

Updated : Dec 26, 2022, 8:19 PM IST

तिरुपति : इंसानों में सेरोगेसी से बच्चे होने की बात चलन में है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पशुओं में भी इसे अपनाया जाता है. श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में गाय की सेरोगेसी प्रेग्नेंसी से जुड़े अध्ययन के नतीजे सामने आए हैं. ओपीयू-आईवीएफ (ओवम पिकअप थ्रू ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड-गाइडेड - इनविट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रणाली पर चल रहे शोध के मुताबिक एक गाय के गर्भाशय गुहा से एकत्र अंडों की मदद से सेरोगेसी के जरिए हर साल 10 से 12 मादा बच्चे पैदा कर सकती हैं (Surrogacy in cattle).

गाय पर किया गया शोध
गाय पर किया गया शोध

दरअसल तिरुमाला श्रीवरी सेवा (Tirumala Srivari Seva ) को घरेलू पशुधन की आवश्यकता है इसलिए टीटीडी ने इस संबंध में वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से संपर्क किया. टीटीडी के निर्देशों के अनुसार श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई ओपीयू-आईवीएफ प्रणाली को गुणवत्तापूर्ण घरेलू मवेशी प्राप्त करने के लिए नवंबर से अपनाया गया, ये प्रयोग सफल रहा है. एक गाय से एकत्र अंडे को 33 गायों में इस्तेमाल किया गया. इससे पांच गाय गर्भवती हो गईं, जबकि 8 का परीक्षण बाकी है.

जानिए ओपीयू-आईवीएफ प्रणाली के बारे में : इसके लिए सबसे पहले स्वस्थ नस्ल के मवेशियों का चयन किया जाता है जो ज्यादा दूध देते हों. ओव्यूलेशन में मदद करने वाला इंजेक्शन देने के 5 दिनों के बाद, अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करके मवेशियों के गर्भाशय गुहा से अंडे एकत्र किए जाते हैं. 24 घंटे के बाद उन्हें मादा बछड़े के वीर्य से प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है और 6-8 दिनों के लिए इनक्यूबेटर में रखा जाता है. अंडे जब भ्रूण में बदल जाते हैं तो पहले से तैयार सरोगेट मवेशी में इन्हें शिफ्ट गिया जाता है. इस प्रोजेक्ट में एक गाय के 39 अंडे लिए गए और उनसे 21 भ्रूण तैयार किए गए.

इसके लिए टीटीडी गोशाला में उत्तम साहीवाल मवेशियों का उपयोग किया जा रहा है. अब तक 7 गायों से 90 भ्रूण विकसित किए गए हैं और 33 सरोगेट गायों में पेश किए गए हैं और शेष अंडे संग्रहीत किए गए हैं. परीक्षण की गई 25 सरोगेट गायों में से 5 मवेशियों का 60-80 दिनों में परीक्षण किया गया.

वेटरनरी यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. वीरब्रह्मैया इस नीति से वाकिफ हैं. उन्होंने अतीत में ब्राजील जैसे देशों में प्रशिक्षण लिया और उनके नेतृत्व में मुख्य रूप से प्रजनन प्रणाली में अच्छे परिणाम हासिल किए. इस दृष्टिकोण पर प्रारंभिक शोध करते हुए टीटीडी का प्रस्ताव वरदान साबित हुआ. प्रयोगों के परिणाम के साथ, अगले सात महीनों में पहला घरेलू बछड़ा श्रीवरी को मिल जाएगा. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वी. पद्मनाभ रेड्डी ने कहा कि 'हमने हर साल टीटीडी को इस तरह से 50-60 से अधिक मवेशी तैयार करने की योजना बनाई है.'

पढ़ें- हरियाणा के हर जिले में गायों के लिए से बनेंगे विशेष अस्पताल

तिरुपति : इंसानों में सेरोगेसी से बच्चे होने की बात चलन में है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पशुओं में भी इसे अपनाया जाता है. श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में गाय की सेरोगेसी प्रेग्नेंसी से जुड़े अध्ययन के नतीजे सामने आए हैं. ओपीयू-आईवीएफ (ओवम पिकअप थ्रू ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड-गाइडेड - इनविट्रो फर्टिलाइजेशन) प्रणाली पर चल रहे शोध के मुताबिक एक गाय के गर्भाशय गुहा से एकत्र अंडों की मदद से सेरोगेसी के जरिए हर साल 10 से 12 मादा बच्चे पैदा कर सकती हैं (Surrogacy in cattle).

गाय पर किया गया शोध
गाय पर किया गया शोध

दरअसल तिरुमाला श्रीवरी सेवा (Tirumala Srivari Seva ) को घरेलू पशुधन की आवश्यकता है इसलिए टीटीडी ने इस संबंध में वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से संपर्क किया. टीटीडी के निर्देशों के अनुसार श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई ओपीयू-आईवीएफ प्रणाली को गुणवत्तापूर्ण घरेलू मवेशी प्राप्त करने के लिए नवंबर से अपनाया गया, ये प्रयोग सफल रहा है. एक गाय से एकत्र अंडे को 33 गायों में इस्तेमाल किया गया. इससे पांच गाय गर्भवती हो गईं, जबकि 8 का परीक्षण बाकी है.

जानिए ओपीयू-आईवीएफ प्रणाली के बारे में : इसके लिए सबसे पहले स्वस्थ नस्ल के मवेशियों का चयन किया जाता है जो ज्यादा दूध देते हों. ओव्यूलेशन में मदद करने वाला इंजेक्शन देने के 5 दिनों के बाद, अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करके मवेशियों के गर्भाशय गुहा से अंडे एकत्र किए जाते हैं. 24 घंटे के बाद उन्हें मादा बछड़े के वीर्य से प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है और 6-8 दिनों के लिए इनक्यूबेटर में रखा जाता है. अंडे जब भ्रूण में बदल जाते हैं तो पहले से तैयार सरोगेट मवेशी में इन्हें शिफ्ट गिया जाता है. इस प्रोजेक्ट में एक गाय के 39 अंडे लिए गए और उनसे 21 भ्रूण तैयार किए गए.

इसके लिए टीटीडी गोशाला में उत्तम साहीवाल मवेशियों का उपयोग किया जा रहा है. अब तक 7 गायों से 90 भ्रूण विकसित किए गए हैं और 33 सरोगेट गायों में पेश किए गए हैं और शेष अंडे संग्रहीत किए गए हैं. परीक्षण की गई 25 सरोगेट गायों में से 5 मवेशियों का 60-80 दिनों में परीक्षण किया गया.

वेटरनरी यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. वीरब्रह्मैया इस नीति से वाकिफ हैं. उन्होंने अतीत में ब्राजील जैसे देशों में प्रशिक्षण लिया और उनके नेतृत्व में मुख्य रूप से प्रजनन प्रणाली में अच्छे परिणाम हासिल किए. इस दृष्टिकोण पर प्रारंभिक शोध करते हुए टीटीडी का प्रस्ताव वरदान साबित हुआ. प्रयोगों के परिणाम के साथ, अगले सात महीनों में पहला घरेलू बछड़ा श्रीवरी को मिल जाएगा. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. वी. पद्मनाभ रेड्डी ने कहा कि 'हमने हर साल टीटीडी को इस तरह से 50-60 से अधिक मवेशी तैयार करने की योजना बनाई है.'

पढ़ें- हरियाणा के हर जिले में गायों के लिए से बनेंगे विशेष अस्पताल

Last Updated : Dec 26, 2022, 8:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.