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गणतंत्र दिवस हिंसा : हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल को भेजा नोटिस, जानिए क्या है मामला - appointment of SPPs Delhi LG

दिल्ली हाई कोर्ट ने राजधानी में हुई हिंसा पर LG को नोटिस दिया है. दरअसल, गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा और पिछले साल हुए दंगों के मामलों में उपराज्यपाल ने पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों को अभियोजक नियुक्त करने की अनुमति दी थी. उपराज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय का रुख किया था. इस याचिका पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उपराज्यपाल को एक नोटिस जारी किया है.

दिल्ली उच्च न्यायालय
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Published : Aug 27, 2021, 6:33 PM IST

Updated : Aug 27, 2021, 8:07 PM IST

नई दिल्ली : इस साल गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा और पिछले साल हुए दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त करने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उपराज्यपाल से जवाब मांगा. दिल्ली सरकार ने दलील दी है कि यह नियुक्ति 'निष्पक्ष मुकदमा प्रक्रिया' के हित में नहीं है.

दिल्ली सरकार ने कहा है कि 'एसपीपी की नियुक्ति' एक नियमित मामला है और असाधारण नहीं है कि इसके लिए राष्ट्रपति का संदर्भ दिया जा सकता है. साथ ही कहा कि उपराज्यपाल के पास इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेजने का कोई ठोस कारण नहीं था जब सरकार स्वतंत्र एसपीपी नियुक्त करने के लिए सहमत हो गई थी.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका के साथ-साथ इस फैसले पर रोक लगाने के आवेदन पर नोटिस जारी किया और उपराज्यपाल तथा केंद्र से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है. अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की.

दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के उस फैसले चुनौती दी है जिसमे उन्होंने इस साल 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा और फरवरी 2020 में हुए दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त करने की अनुमति दी थी.

याचिका में दलील दी गई है कि इन एसपीपी को दिल्ली पुलिस ने चुना है और इसलिए यह हितों के गंभीर टकराव का मामला है.

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी, 'हमारे द्वारा नियुक्त एसपीपी का मामले से कोई नाता नहीं था. आप उन एसपीपी को नहीं चुन सकते, जो जांच शाखा यानी दिल्ली पुलिस का हिस्सा हैं.'

याचिका में उपराज्यपाल के 23 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें किसानों के आंदोलन और दिल्ली दंगों, सीएए विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित मामलों पर मुकदमा चलाने के लिए एसपीपी की नियुक्ति की गई है.

पढ़ें : दिल्ली हाई कोर्ट ने उप-राज्यपाल को वकीलों की नियुक्ति के मामले में नोटिस भेजा

सिंघवी ने दावा किया कि उपराज्यपाल नियमित रूप से एसपीपी की नियुक्ति में हस्तक्षेप कर रहे हैं और चुनी हुई सरकार को कमजोर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह तीसरी बार है कि इस संदर्भ शक्ति का इस्तेमाल चुनी हुई सरकार के आदेश को खत्म करने के लिए किया गया है तथा अदालत को इस तरह के दुरुपयोग की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : इस साल गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा और पिछले साल हुए दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त करने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उपराज्यपाल से जवाब मांगा. दिल्ली सरकार ने दलील दी है कि यह नियुक्ति 'निष्पक्ष मुकदमा प्रक्रिया' के हित में नहीं है.

दिल्ली सरकार ने कहा है कि 'एसपीपी की नियुक्ति' एक नियमित मामला है और असाधारण नहीं है कि इसके लिए राष्ट्रपति का संदर्भ दिया जा सकता है. साथ ही कहा कि उपराज्यपाल के पास इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेजने का कोई ठोस कारण नहीं था जब सरकार स्वतंत्र एसपीपी नियुक्त करने के लिए सहमत हो गई थी.

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका के साथ-साथ इस फैसले पर रोक लगाने के आवेदन पर नोटिस जारी किया और उपराज्यपाल तथा केंद्र से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है. अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की.

दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के उस फैसले चुनौती दी है जिसमे उन्होंने इस साल 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा और फरवरी 2020 में हुए दंगों के मामलों में दिल्ली पुलिस द्वारा चुने गए वकीलों को विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नियुक्त करने की अनुमति दी थी.

याचिका में दलील दी गई है कि इन एसपीपी को दिल्ली पुलिस ने चुना है और इसलिए यह हितों के गंभीर टकराव का मामला है.

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी, 'हमारे द्वारा नियुक्त एसपीपी का मामले से कोई नाता नहीं था. आप उन एसपीपी को नहीं चुन सकते, जो जांच शाखा यानी दिल्ली पुलिस का हिस्सा हैं.'

याचिका में उपराज्यपाल के 23 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें किसानों के आंदोलन और दिल्ली दंगों, सीएए विरोधी प्रदर्शनों से संबंधित मामलों पर मुकदमा चलाने के लिए एसपीपी की नियुक्ति की गई है.

पढ़ें : दिल्ली हाई कोर्ट ने उप-राज्यपाल को वकीलों की नियुक्ति के मामले में नोटिस भेजा

सिंघवी ने दावा किया कि उपराज्यपाल नियमित रूप से एसपीपी की नियुक्ति में हस्तक्षेप कर रहे हैं और चुनी हुई सरकार को कमजोर कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह तीसरी बार है कि इस संदर्भ शक्ति का इस्तेमाल चुनी हुई सरकार के आदेश को खत्म करने के लिए किया गया है तथा अदालत को इस तरह के दुरुपयोग की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Aug 27, 2021, 8:07 PM IST
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