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Manipur Renaming institutions: मणिपुर सरकार का आदेश, बिना मंजूरी के जिलों, संस्थानों का नाम बदलना अपराध

मणिपुर सरकार ने जिलों, संस्थानों का नाम बदलने को लेकर सख्ती बरती है. सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि बगैर अनुमति के नामों में परिवर्तन करना एक दंडनीय अपराध है.

Renaming of districts institutions without approval punishable Manipur govt order
मणिपुर सरकार का आदेश, बिना मंजूरी के जिलों, संस्थानों का नाम बदलना अपराध
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By PTI

Published : Oct 8, 2023, 12:23 PM IST

इम्फाल: मणिपुर सरकार जिलों और संस्थानों का नाम बदलने को लेकर सलाह जारी की है. सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि बगैर अनुमति इन नामों को बदलना गुनाह है. इसके खिलाफ दंडात्मक सजा का प्रावधान किया गया है. सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि इस तरह के कदम से समुदायों के बीच संघर्ष पैदा हो सकता है और मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है.

इसमें कहा गया है कि निर्देश का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर संबंधित कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 3 मई को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में जातीय झड़पें होने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सैकड़ों घायल हो गए.

मुख्य सचिव विनीत जोशी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार की मंजूरी के बिना कोई भी जानबूझकर जिलों, उप-मंडलों, स्थानों, संस्थानों और ऐसे संस्थानों के पते का नाम बदलने का कोई कार्य नहीं करेगा या करने का प्रयास नहीं करेगा. विश्वसनीय स्रोतों से मणिपुर राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि कई नागरिक समाज संगठन, संस्थान, प्रतिष्ठान और व्यक्ति जानबूझकर जिलों का नाम बदल रहे हैं या नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं. ये आपत्तिजनक हैं, या समुदायों के बीच विवाद और संघर्ष पैदा करने की संभावना है.

ये भी पढ़ें- Kuki Meitei Youths Spreading love-Peace: खेल की सीमा से पार है जातिवाद, कुकी-मैतेई युवा फुटबॉल के जरिए फैला रहे प्यार

इसमें कहा गया है कि इस मामले को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ देखा जा रहा है क्योंकि समान प्रथा राज्य में विभाजन पैदा कर सकती है या वर्तमान कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब कर सकती है. यह संदेश चुराचांदपुर स्थित संगठन द्वारा जिले का नाम 'लम्का' रखे जाने के तुरंत बाद आया है. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

इम्फाल: मणिपुर सरकार जिलों और संस्थानों का नाम बदलने को लेकर सलाह जारी की है. सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि बगैर अनुमति इन नामों को बदलना गुनाह है. इसके खिलाफ दंडात्मक सजा का प्रावधान किया गया है. सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि इस तरह के कदम से समुदायों के बीच संघर्ष पैदा हो सकता है और मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है.

इसमें कहा गया है कि निर्देश का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर संबंधित कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 3 मई को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में जातीय झड़पें होने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सैकड़ों घायल हो गए.

मुख्य सचिव विनीत जोशी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य सरकार की मंजूरी के बिना कोई भी जानबूझकर जिलों, उप-मंडलों, स्थानों, संस्थानों और ऐसे संस्थानों के पते का नाम बदलने का कोई कार्य नहीं करेगा या करने का प्रयास नहीं करेगा. विश्वसनीय स्रोतों से मणिपुर राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि कई नागरिक समाज संगठन, संस्थान, प्रतिष्ठान और व्यक्ति जानबूझकर जिलों का नाम बदल रहे हैं या नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं. ये आपत्तिजनक हैं, या समुदायों के बीच विवाद और संघर्ष पैदा करने की संभावना है.

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इसमें कहा गया है कि इस मामले को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ देखा जा रहा है क्योंकि समान प्रथा राज्य में विभाजन पैदा कर सकती है या वर्तमान कानून-व्यवस्था की स्थिति को खराब कर सकती है. यह संदेश चुराचांदपुर स्थित संगठन द्वारा जिले का नाम 'लम्का' रखे जाने के तुरंत बाद आया है. मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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