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सिद्धारमैया के खिलाफ टिप्पणी मामला, BJP विधायक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर 4 सप्ताह की रोक

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ भाजपा के विधायक डॉ सी एन अश्वत्थ नारायण द्वारा कथित टिप्पणी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसपर हाई कोर्ट ने चार सप्ताह तक के लिए रोक लगा दी है.

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Published : May 30, 2023, 10:26 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और मल्लेश्वरम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक डॉ.सी.एन.अश्वत्थ नारायण के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर मंगलवार को चार सप्ताह तक के लिए रोक लगा दी. नारायण ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी को लेकर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

न्यायमूर्ति एम.नागप्रसन्ना ने याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान नारायण का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा- 153 (दंगे के लिए भड़काना) लागू नहीं होती. उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी को भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में नारायण ने कथित तौर पर आह्वान किया था कि ‘‘सिद्धरमैया का भी उसी तरह सफाया कर दें जैसा उरी गौड़ा और नाजी गौड़ा ने टीपू सुल्तान का किया था."

इस टिप्पणी के खिलाफ एम लक्ष्मना नामक व्यक्ति ने मैसुरु जिले के देवराज पुलिस थाने में नारायण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. पूर्ववर्ती सरकार में एडवोकेट जनरल नवदगी ने नारायण का पक्ष रखते हुए अदालत में कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्य ने नयी सरकार के आने के बाद 24 मई 2023 को मामले में शिकायत दर्ज कराई और उसी दिन प्राथमिकी दर्ज की गई जो दुर्भावनापूर्ण मंशा को प्रदर्शित करता है. उन्होंने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में फरवरी में भी एक शिकायत दर्ज कराई गई थी और गैर संज्ञेय रिपोर्ट दाखिल की गई थी.

(पीटीआई-भाषा)

पढ़ें : Karnataka Politics: गारंटी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कांग्रेस को ₹50 हजार करोड़ की जरूरत!

बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और मल्लेश्वरम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक डॉ.सी.एन.अश्वत्थ नारायण के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर मंगलवार को चार सप्ताह तक के लिए रोक लगा दी. नारायण ने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणी को लेकर दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

न्यायमूर्ति एम.नागप्रसन्ना ने याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान नारायण का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता की धारा- 153 (दंगे के लिए भड़काना) लागू नहीं होती. उल्लेखनीय है कि 15 फरवरी को भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में नारायण ने कथित तौर पर आह्वान किया था कि ‘‘सिद्धरमैया का भी उसी तरह सफाया कर दें जैसा उरी गौड़ा और नाजी गौड़ा ने टीपू सुल्तान का किया था."

इस टिप्पणी के खिलाफ एम लक्ष्मना नामक व्यक्ति ने मैसुरु जिले के देवराज पुलिस थाने में नारायण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. पूर्ववर्ती सरकार में एडवोकेट जनरल नवदगी ने नारायण का पक्ष रखते हुए अदालत में कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्य ने नयी सरकार के आने के बाद 24 मई 2023 को मामले में शिकायत दर्ज कराई और उसी दिन प्राथमिकी दर्ज की गई जो दुर्भावनापूर्ण मंशा को प्रदर्शित करता है. उन्होंने अदालत को सूचित किया कि इस मामले में फरवरी में भी एक शिकायत दर्ज कराई गई थी और गैर संज्ञेय रिपोर्ट दाखिल की गई थी.

(पीटीआई-भाषा)

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