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एकनाथ शिंदे की 'बगावत', जानिये शिवसेना से उनके असंतुष्ट होने की वजह - गुजरात में शिंदे का डेरा

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बीच शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे मंगलवार को अपनी पार्टी के कुछ विधायकों के साथ सूरत में हैं, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. हालांकि, इसके चार मुख्य कारण बताए जा रहे हैं. आइए यहां जानें उनके शिवसेना से असंतुष्ट होने के कारणों के बारे में...

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Published : Jun 21, 2022, 7:55 PM IST

हैदराबाद : महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार संकट में नजर आ रही है, क्योंकि शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे और 30 विधायक एकांतवास में चले गए हैं और उन्होंने संभवत: सूरत के एक होटल में डेरा डाल लिया है. हालांकि, इसके चार मुख्य कारण बताए जा रहे हैं. आइए यहां उन कारणों की समीक्षा करें.

उद्धव ठाकरे, बड़ी वजह : एकनाथ शिंदे की नाराजगी की एक मुख्य वजह उद्धव ठाकरे हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने सरकार की सारी जिम्मेदारियां संभाल ली हैं, जिससे शिंदे नाराज हैं. जब फडणवीस की सरकार गिरी और नई सरकार बनी, तब इसमें शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नाम को काफी अहमियत दी जा रही थी. उस समय, उन्हें शिवसेना के विधायक दल के नेता के रूप में भी नियुक्त किया गया था. इसलिए माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री का पद उन्हें ही दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उद्धव ठाकरे उस वक्त ठाकरे परिवार में इतिहास रचते हुए वह स्वयं मुख्यमंत्री बने थे. वहीं, एकनाथ शिंदे को पहला झटका लगा था. विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बावजूद, वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे. हालांकि, उन्हें शहरी विकास मंत्री, लोक निर्माण मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्री पद देकर उनकी नाराजगी कुछ हद तक कम कर दी गई थी. लेकिन मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलने का दर्द उनके हमेशा से सताने लगा था. माना जाता है कि बालासाहेब ठाकरे के साथ काम करने के बाद भी बात नहीं बनी थी.

संजय राउत को ज्यादा अहमियत : संजय राउत ने राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है. इसलिए चर्चा है कि एकनाथ शिंदे को यहां अनदेखी कर दी गई. उस वक्त ऐसा लग रहा था कि संजय राउत ने शिवसेना की ओर से उनसे बातचीत करने की पहल की. चाहे वह शरद पवार से चर्चा हो या कांग्रेस से बातचीत. संजय राउत का पलड़ा भारी ही रहा. वहीं, राउत केंद्र में सांसद होने के बावजूद राज्य में होने वाले सभी मामलों में सर्वप्रथम प्रतिक्रिया उन्हीं की रहती है. आज भी प्रवक्ता होने के बावजूद राउत के बयानों को ही मीडिया में मानक माना जाता है. इससे एकनाथ शिंदे रणनीतिक चर्चाओं में दरकिनार होते नजर आने लगे. माना जाता है कि एकनाथ शिंदे के मन को इससे भी ठेस पहुंची है.

आदित्य ठाकरे की ब्रांडिंग : उद्धव ठाकरे के खुद मुख्यमंत्री बनने से शिवसेना के विधायक संतुष्ट थे. लेकिन साथ ही कैबिनेट में युवा नेता आदित्य ठाकरे को भी शामिल किया गया. उन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. इतना ही नहीं, एक तरह से शिवसेना की ओर से अगले मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ब्रांडिंग भी शुरू हो गई थी. उद्धव ठाकरे के बाद भी मौके की उम्मीद में बैठे शिंदे पिछड़ते नजर आ रहे थे. राज्य के प्रमुख कार्यक्रमों के साथ-साथ अन्य कार्यक्रमों में भी आदित्य ठाकरे की उपस्थिति उल्लेखनीय रूप से बढ़ती जा रही थी. जब सीएम उद्धव ठाकरे बीमार थे, तब भी अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा हो रही थी. उस वक्त उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे का नाम भी चर्चा में था. लेकिन एकनाथ शिंदे का नाम लिस्ट में नहीं था.

दरकिनार किये गए एकनाथ शिंदे : एकनाथ शिंदे बालासाहेब के कट्टर समर्थक के रूप में जाने जाते हैं. आनंद दिघे के बाद ठाणे में शिवसेना के जनाधार के साथ एक बड़े नेता के तौर पर राजनीति पर एकनाथ शिंदे की बड़ी पकड़ है. लेकिन हाल के दिनों में तस्वीर ये थी कि उनसे किनारा कर लिया गया. इसलिए शिंदे के कुछ समर्थक विधायकों का समूह बनाने की तस्वीर एक-दो कार्यक्रमों में देखने को मिली. शिंदे अपने सहयोगी विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे की बर्थडे पार्टी में पहुंचे. वह अपने सहयोगी विधायकों के साथ भी बाहर आए. वहीं, शिंदे ने भी पार्टी के वर्षगांठ कार्यक्रम के दौरान औरंगाबाद में अपनी विशिष्टता दिखाने की कोशिश की. इसकी एक झलक औरंगाबाद में देखने को मिली. इसी का नतीजा है कि शिंदे आज समर्थक विधायकों को लेकर गुजरात पहुंच गए हैं. इससे पता चलता है कि शिवसेना में कड़ी मेहनत करने के बावजूद शिदे हमेशा रणनीतिक समय पर साइड ट्रैकिंग के बारे में सोचते रहे. अब लगता है कि शिंदे ने एक बार फिर बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है.

पढ़ें : महाराष्ट्र संकट : छोटी पार्टियों के 29 विधायकों और निर्दलीयों की भूमिका अहम

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उद्धव ठाकरे, बड़ी वजह : एकनाथ शिंदे की नाराजगी की एक मुख्य वजह उद्धव ठाकरे हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे ने सरकार की सारी जिम्मेदारियां संभाल ली हैं, जिससे शिंदे नाराज हैं. जब फडणवीस की सरकार गिरी और नई सरकार बनी, तब इसमें शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नाम को काफी अहमियत दी जा रही थी. उस समय, उन्हें शिवसेना के विधायक दल के नेता के रूप में भी नियुक्त किया गया था. इसलिए माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री का पद उन्हें ही दिया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उद्धव ठाकरे उस वक्त ठाकरे परिवार में इतिहास रचते हुए वह स्वयं मुख्यमंत्री बने थे. वहीं, एकनाथ शिंदे को पहला झटका लगा था. विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बावजूद, वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे. हालांकि, उन्हें शहरी विकास मंत्री, लोक निर्माण मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्री पद देकर उनकी नाराजगी कुछ हद तक कम कर दी गई थी. लेकिन मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलने का दर्द उनके हमेशा से सताने लगा था. माना जाता है कि बालासाहेब ठाकरे के साथ काम करने के बाद भी बात नहीं बनी थी.

संजय राउत को ज्यादा अहमियत : संजय राउत ने राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है. इसलिए चर्चा है कि एकनाथ शिंदे को यहां अनदेखी कर दी गई. उस वक्त ऐसा लग रहा था कि संजय राउत ने शिवसेना की ओर से उनसे बातचीत करने की पहल की. चाहे वह शरद पवार से चर्चा हो या कांग्रेस से बातचीत. संजय राउत का पलड़ा भारी ही रहा. वहीं, राउत केंद्र में सांसद होने के बावजूद राज्य में होने वाले सभी मामलों में सर्वप्रथम प्रतिक्रिया उन्हीं की रहती है. आज भी प्रवक्ता होने के बावजूद राउत के बयानों को ही मीडिया में मानक माना जाता है. इससे एकनाथ शिंदे रणनीतिक चर्चाओं में दरकिनार होते नजर आने लगे. माना जाता है कि एकनाथ शिंदे के मन को इससे भी ठेस पहुंची है.

आदित्य ठाकरे की ब्रांडिंग : उद्धव ठाकरे के खुद मुख्यमंत्री बनने से शिवसेना के विधायक संतुष्ट थे. लेकिन साथ ही कैबिनेट में युवा नेता आदित्य ठाकरे को भी शामिल किया गया. उन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था. इतना ही नहीं, एक तरह से शिवसेना की ओर से अगले मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ब्रांडिंग भी शुरू हो गई थी. उद्धव ठाकरे के बाद भी मौके की उम्मीद में बैठे शिंदे पिछड़ते नजर आ रहे थे. राज्य के प्रमुख कार्यक्रमों के साथ-साथ अन्य कार्यक्रमों में भी आदित्य ठाकरे की उपस्थिति उल्लेखनीय रूप से बढ़ती जा रही थी. जब सीएम उद्धव ठाकरे बीमार थे, तब भी अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा हो रही थी. उस वक्त उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे का नाम भी चर्चा में था. लेकिन एकनाथ शिंदे का नाम लिस्ट में नहीं था.

दरकिनार किये गए एकनाथ शिंदे : एकनाथ शिंदे बालासाहेब के कट्टर समर्थक के रूप में जाने जाते हैं. आनंद दिघे के बाद ठाणे में शिवसेना के जनाधार के साथ एक बड़े नेता के तौर पर राजनीति पर एकनाथ शिंदे की बड़ी पकड़ है. लेकिन हाल के दिनों में तस्वीर ये थी कि उनसे किनारा कर लिया गया. इसलिए शिंदे के कुछ समर्थक विधायकों का समूह बनाने की तस्वीर एक-दो कार्यक्रमों में देखने को मिली. शिंदे अपने सहयोगी विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे की बर्थडे पार्टी में पहुंचे. वह अपने सहयोगी विधायकों के साथ भी बाहर आए. वहीं, शिंदे ने भी पार्टी के वर्षगांठ कार्यक्रम के दौरान औरंगाबाद में अपनी विशिष्टता दिखाने की कोशिश की. इसकी एक झलक औरंगाबाद में देखने को मिली. इसी का नतीजा है कि शिंदे आज समर्थक विधायकों को लेकर गुजरात पहुंच गए हैं. इससे पता चलता है कि शिवसेना में कड़ी मेहनत करने के बावजूद शिदे हमेशा रणनीतिक समय पर साइड ट्रैकिंग के बारे में सोचते रहे. अब लगता है कि शिंदे ने एक बार फिर बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है.

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