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हरीश रावत की हार में करीबियों का बड़ा हाथ, कांग्रेस के बड़े नेता ने किया खुलासा

उत्तराखंड चुनाव 2022 में कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को भी हार का सामना करना पड़ा है, वो नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी थे. हरीश रावत की इस हार की वजह भी सामने आई है. हरीश रावत को हराने वाला कोई और नहीं, बल्कि उनके करीबी 9 और 10 नंबरी दो नेता थे, जिसका खुलासा खुद कांग्रेस के एक बड़े नेता ने किया है.

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हरीश रावत
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Published : Mar 11, 2022, 10:34 PM IST

देहरादून/हल्द्वानी: उत्तराखंड में इतिहास रचते हुए जहां बीजेपी सत्ता पर दोबारा से काबिज हुई है, वहीं कांग्रेस को इस बार भी सत्ता का सुख नहीं मिल पाया है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस मात्र 19 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है. यहां तक की कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए है. जिसमें पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल तक का नाम शामिल है. हालांकि, इस हार को लेकर अब कांग्रेस के नेता समीक्षा करने में जुटे हुए हैं.

कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत खुद नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव हार गए है. हरदा को बीजेपी प्रत्याशी डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने 17,527 वोटों से हराया है. हरीश रावत के इस हार की वजह क्या है? इस पर ईटीवी भारत ने कांग्रेस के बड़े नेता और प्रदेश सचिव गोपाल रावत से बात की.

हरीश रावत की हार में करीबियों का बड़ा हाथ,

गोपाल रावत की मानें तो हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से हराने वाले नहीं थे, लेकिन उनके साथ दो लोग घूम रहे थे, 9 और 10 नंबरी. उन्होंने ही हरीश रावत को हरवाया है. इन लोगों ने जमीन पर कोई काम नहीं किया. इसीलिए हरीश रावत लालकुआं में हार गए. गोपाल रावत ने बिना नाम लिए एक पूर्व कैबिनेट मंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे लोग अपने बूथ से हरीश रावत को वोट नहीं दिला पाए. इन्होंने हरीश रावत को कार्यकर्ताओं से नहीं मिलने दिया. इसी वजह से हरीश रावत को जमीनी सच्चाई का पता नहीं चल पाया.

ऐसा ही कुछ मानना है राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार बीसी भट्ट का. बीसी भट्ट के मुताबिक, हरीश रावत को पार्टी के कुछ नेताओं ने लालकुआं में एक प्रत्याशी नहीं, बल्कि सैलिब्रटी बना दिया. यही कारण है कि हरीश रावत अपने क्षेत्र में मेहनत नहीं कर पाए. कार्यकर्ता बूथ पर काम करने के बजाए हरीश रावत के साथ घूमता रहा, जिसका परिणाम सबके सामने है. इसके अलावा वो एक और बड़ा कारण मान रहे हैं. बीसी भट्ट की मानें तो बीजेपी जनता को ये विश्वास दिलाने में कामयाब हो गई कि हरीश रावत बाहरी नेता और बीजेपी प्रत्याशी मोहन बिष्ट यहां के स्थानीय, जिसका फायदा बीजेपी को मिला भी.

ये भी पढ़ें - मैं सीएम रहूं या नहीं, नई सरकार में जल्द लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड : सीएम धामी

कांग्रेस करेगी हार की समीक्षा: मोदी लहर में भी देहरादून की चकराता विधानसभा सीट पर बीजेपी अपना कब्जा नहीं जमा पाई. यहां से इस बार भी कांग्रेस के प्रीतम सिंह जीते हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी मानते हैं कि कांग्रेस को अपनी हार का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था. हालांकि, अब पार्टी अपनी हार की समीक्षा करेगी.

प्रीतम सिंह ने कहा कि सभी नेता एक साथ बैठकर हार के कारणों पर चिंतन और मंथन करेंगे, इस दौरान जो विषय उभरकर सामने आएंगे उनसे सबक लिया जाएगा. लोकतंत्र में जब जनता जनादेश देती है तो वह सबको स्वीकार्य होता है.

देहरादून/हल्द्वानी: उत्तराखंड में इतिहास रचते हुए जहां बीजेपी सत्ता पर दोबारा से काबिज हुई है, वहीं कांग्रेस को इस बार भी सत्ता का सुख नहीं मिल पाया है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस मात्र 19 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है. यहां तक की कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए है. जिसमें पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल तक का नाम शामिल है. हालांकि, इस हार को लेकर अब कांग्रेस के नेता समीक्षा करने में जुटे हुए हैं.

कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत खुद नैनीताल जिले की लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव हार गए है. हरदा को बीजेपी प्रत्याशी डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने 17,527 वोटों से हराया है. हरीश रावत के इस हार की वजह क्या है? इस पर ईटीवी भारत ने कांग्रेस के बड़े नेता और प्रदेश सचिव गोपाल रावत से बात की.

हरीश रावत की हार में करीबियों का बड़ा हाथ,

गोपाल रावत की मानें तो हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से हराने वाले नहीं थे, लेकिन उनके साथ दो लोग घूम रहे थे, 9 और 10 नंबरी. उन्होंने ही हरीश रावत को हरवाया है. इन लोगों ने जमीन पर कोई काम नहीं किया. इसीलिए हरीश रावत लालकुआं में हार गए. गोपाल रावत ने बिना नाम लिए एक पूर्व कैबिनेट मंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे लोग अपने बूथ से हरीश रावत को वोट नहीं दिला पाए. इन्होंने हरीश रावत को कार्यकर्ताओं से नहीं मिलने दिया. इसी वजह से हरीश रावत को जमीनी सच्चाई का पता नहीं चल पाया.

ऐसा ही कुछ मानना है राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार बीसी भट्ट का. बीसी भट्ट के मुताबिक, हरीश रावत को पार्टी के कुछ नेताओं ने लालकुआं में एक प्रत्याशी नहीं, बल्कि सैलिब्रटी बना दिया. यही कारण है कि हरीश रावत अपने क्षेत्र में मेहनत नहीं कर पाए. कार्यकर्ता बूथ पर काम करने के बजाए हरीश रावत के साथ घूमता रहा, जिसका परिणाम सबके सामने है. इसके अलावा वो एक और बड़ा कारण मान रहे हैं. बीसी भट्ट की मानें तो बीजेपी जनता को ये विश्वास दिलाने में कामयाब हो गई कि हरीश रावत बाहरी नेता और बीजेपी प्रत्याशी मोहन बिष्ट यहां के स्थानीय, जिसका फायदा बीजेपी को मिला भी.

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कांग्रेस करेगी हार की समीक्षा: मोदी लहर में भी देहरादून की चकराता विधानसभा सीट पर बीजेपी अपना कब्जा नहीं जमा पाई. यहां से इस बार भी कांग्रेस के प्रीतम सिंह जीते हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी मानते हैं कि कांग्रेस को अपनी हार का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था. हालांकि, अब पार्टी अपनी हार की समीक्षा करेगी.

प्रीतम सिंह ने कहा कि सभी नेता एक साथ बैठकर हार के कारणों पर चिंतन और मंथन करेंगे, इस दौरान जो विषय उभरकर सामने आएंगे उनसे सबक लिया जाएगा. लोकतंत्र में जब जनता जनादेश देती है तो वह सबको स्वीकार्य होता है.

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