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KYC संबंधित धोखाधड़ी को लेकर आरबीआई ने जनता को किया आगाह

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने KYC विवरण को अपडेट करने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी को लेकर लोगों को आगाह किया है. इस संबंध में पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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Published : Sep 13, 2021, 7:14 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने सोमवार को आम जनता को 'नो योर कस्टमर' (know your customer ) विवरण को अपडेट करने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के खिलाफ चेतावनी दी है.

दरअसल, बैंकिंग क्षेत्र के नियामक (banking sector regulator ) को बैंक ग्राहकों के बारे में बहुत सारी शिकायतें मिली हैं, जिनमें व्यक्तिगत विवरण जैसे लॉगिन आईडी, पासवर्ड और ओटीपी के लिए अवांछित कॉल प्राप्त करना शामिल है. इन सबका उपयोग बाद में उन्होंने ग्राहकों को ठगने के लिए इस्तेमाल किया.

रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया कि बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को अपने ग्राहकों के केवाईसी विवरण को समय-समय पर अपडेट (periodically update) करने की आवश्यकता थी, लेकिन यह गैर-अपडेशन ग्राहक के बैंक खाते (customer’s bank account) को अवरुद्ध करने का एकमात्र कारण नहीं हो सकता है.

बैंक ने कहा कि ऐसे मामलों में सामान्य तौर-तरीकों में फरॉड कॉल, एसएमएस या ईमेल शामिल होते हैं, जो ग्राहकों से बैंक लॉगिन आईडी, पासवर्ड, पिन या ओटीपी जैसी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने का आग्रह करते हैं या संचार में लिंक प्रदान करके कुछ अनधिकृत एप्लिकेशन (unauthorised applications) इंस्टॉल करने के लिए कहते हैं.

आरबीआई ने कहा कि ऐसे धोखेबाज बैंक ग्राहकों को धमकी (fraudsters threaten the bank customers ) देते हैं कि यदि कम्यूनिकेशन में सुझाई गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो उनका बैंक खाता फ्रीज, ब्लॉक या बंद कर दिया जाएगा.

बैंक के अनुसार एक बार जब कोई ग्राहक कॉल, संदेश या अनधिकृत मोबाइल एप्लिकेशन पर जानकारी साझा करता है, तो धोखेबाज ग्राहक के खाते तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं.

आरबीआई ने एक बयान में कहा, 'जनता को चेतावनी दी जाती है कि वे खाता लॉगिन विवरण, व्यक्तिगत जानकारी, KYC दस्तावेजों की प्रतियां, कार्ड की जानकारी, पिन, पासवर्ड, ओटीपी आदि अज्ञात व्यक्तियों या एजेंसियों के साथ साझा न करें.'

रिजर्व बैंक ने बैंक ग्राहकों को भी इस तरह के विवरण को संदिग्ध वेबसाइटों और मोबाइल एप्लिकेशन के साथ साझा करने के प्रति आगाह किया है.

आरबीआई ने अपनी एडवाइजरी में कहा, 'अगर उन्हें ऐसा कोई अनुरोध मिलता है, तो ग्राहकों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपनी बैंक शाखा से संपर्क करें.'

रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (commercial banks) जैसी विनियमित संस्थाओं के लिए वास्तव में अपने ग्राहक के KYC विवरण को समय-समय पर अद्यतन करने की आवश्यकता थी, लेकिन इसे पहले ही वर्षों में सरल बना दिया गया है.

पढ़ें - भारतीयों के लिए अच्छी खबर : अतिरिक्त शुल्क जमा कर प्राप्त कर सकेंगे अमेरिका का वैध स्थायी निवास

आरबीआई ने कहा कि इस साल मई में उसने पहले ही बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को सलाह दी थी कि उन बैंक खातों पर साल के अंत तक कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए, जिनका इस साल 5 मई तक अपडेशन होने वाला था.

आरबीआई ने कहा कि ऐसे खातों को सिर्फ इसलिए ब्लॉक या बंद नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनका आवधिक अपडेशन तब तक होता है. जब तक कि कानून प्रवर्तन एजेंसी नियामक या कानून की अदालत से निर्देश नहीं मिलता.

साइबर धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं

केंद्र सरकार के एंटी-साइबर अपराध पोर्टल – www.cybercrime.gov.in – पर सबमिट की गई शिकायतों के अनुसार इस साल मार्च तक पोर्टल पर 3,28,000 से अधिक साइबर धोखाधड़ी की सूचना मिली थी. सरकार ने यह पोर्टल अगस्त 2019 में लॉन्च किया था. इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union home ministry) द्वारा प्रबंधित किया जाता है. यह भारतीय रिजर्व बैंक, सभी सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों, प्रमुख भुगतान गेटवे और वॉलेट कंपनियों, यूपीआई भुगतान अनुप्रयोगों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित है.

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने सोमवार को आम जनता को 'नो योर कस्टमर' (know your customer ) विवरण को अपडेट करने के नाम पर हो रही धोखाधड़ी के खिलाफ चेतावनी दी है.

दरअसल, बैंकिंग क्षेत्र के नियामक (banking sector regulator ) को बैंक ग्राहकों के बारे में बहुत सारी शिकायतें मिली हैं, जिनमें व्यक्तिगत विवरण जैसे लॉगिन आईडी, पासवर्ड और ओटीपी के लिए अवांछित कॉल प्राप्त करना शामिल है. इन सबका उपयोग बाद में उन्होंने ग्राहकों को ठगने के लिए इस्तेमाल किया.

रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया कि बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को अपने ग्राहकों के केवाईसी विवरण को समय-समय पर अपडेट (periodically update) करने की आवश्यकता थी, लेकिन यह गैर-अपडेशन ग्राहक के बैंक खाते (customer’s bank account) को अवरुद्ध करने का एकमात्र कारण नहीं हो सकता है.

बैंक ने कहा कि ऐसे मामलों में सामान्य तौर-तरीकों में फरॉड कॉल, एसएमएस या ईमेल शामिल होते हैं, जो ग्राहकों से बैंक लॉगिन आईडी, पासवर्ड, पिन या ओटीपी जैसी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने का आग्रह करते हैं या संचार में लिंक प्रदान करके कुछ अनधिकृत एप्लिकेशन (unauthorised applications) इंस्टॉल करने के लिए कहते हैं.

आरबीआई ने कहा कि ऐसे धोखेबाज बैंक ग्राहकों को धमकी (fraudsters threaten the bank customers ) देते हैं कि यदि कम्यूनिकेशन में सुझाई गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो उनका बैंक खाता फ्रीज, ब्लॉक या बंद कर दिया जाएगा.

बैंक के अनुसार एक बार जब कोई ग्राहक कॉल, संदेश या अनधिकृत मोबाइल एप्लिकेशन पर जानकारी साझा करता है, तो धोखेबाज ग्राहक के खाते तक पहुंच प्राप्त कर लेते हैं.

आरबीआई ने एक बयान में कहा, 'जनता को चेतावनी दी जाती है कि वे खाता लॉगिन विवरण, व्यक्तिगत जानकारी, KYC दस्तावेजों की प्रतियां, कार्ड की जानकारी, पिन, पासवर्ड, ओटीपी आदि अज्ञात व्यक्तियों या एजेंसियों के साथ साझा न करें.'

रिजर्व बैंक ने बैंक ग्राहकों को भी इस तरह के विवरण को संदिग्ध वेबसाइटों और मोबाइल एप्लिकेशन के साथ साझा करने के प्रति आगाह किया है.

आरबीआई ने अपनी एडवाइजरी में कहा, 'अगर उन्हें ऐसा कोई अनुरोध मिलता है, तो ग्राहकों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपनी बैंक शाखा से संपर्क करें.'

रिजर्व बैंक ने स्वीकार किया कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (commercial banks) जैसी विनियमित संस्थाओं के लिए वास्तव में अपने ग्राहक के KYC विवरण को समय-समय पर अद्यतन करने की आवश्यकता थी, लेकिन इसे पहले ही वर्षों में सरल बना दिया गया है.

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आरबीआई ने कहा कि इस साल मई में उसने पहले ही बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को सलाह दी थी कि उन बैंक खातों पर साल के अंत तक कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए, जिनका इस साल 5 मई तक अपडेशन होने वाला था.

आरबीआई ने कहा कि ऐसे खातों को सिर्फ इसलिए ब्लॉक या बंद नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उनका आवधिक अपडेशन तब तक होता है. जब तक कि कानून प्रवर्तन एजेंसी नियामक या कानून की अदालत से निर्देश नहीं मिलता.

साइबर धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं

केंद्र सरकार के एंटी-साइबर अपराध पोर्टल – www.cybercrime.gov.in – पर सबमिट की गई शिकायतों के अनुसार इस साल मार्च तक पोर्टल पर 3,28,000 से अधिक साइबर धोखाधड़ी की सूचना मिली थी. सरकार ने यह पोर्टल अगस्त 2019 में लॉन्च किया था. इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union home ministry) द्वारा प्रबंधित किया जाता है. यह भारतीय रिजर्व बैंक, सभी सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों, प्रमुख भुगतान गेटवे और वॉलेट कंपनियों, यूपीआई भुगतान अनुप्रयोगों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित है.

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