ETV Bharat / bharat

आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया: बैंक घोटालों में उसके कर्मियों की संलिप्तता के दावे झूठे

उच्चतम न्यायालय में विभिन्न बैंकिंग घोटाले में अपने अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच की मांग वाली याचिका पर भारतीय रिजर्व बैंक ने जवाब देते हुए कहा कि उनके पास कर्मचारियों के आचरण की जांच के लिए तंत्र है.

RBI's reply to the Supreme Court
आरबीआई का सुप्रीम कोर्ट को जवाब
author img

By

Published : Jan 4, 2023, 6:37 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा विभिन्न बैंकिंग घोटालों में उसके अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच की मांग वाली याचिका में दिए गए कथन भ्रामक और गैर-प्रमाणित हैं. आरबीआई ने न्यायालय से यह भी कहा कि उसके पास एक कर्मचारी के आचरण की जांच के लिए आंतरिक तंत्र है.

स्वामी की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए आरबीआई ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है और यह तथ्यात्मक तथा कानूनी त्रुटियों से पूर्ण है. आरबीआई ने शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा, 'इस संबंध में, यह निवेदन किया जाता है कि याचिकाकर्ता द्वारा घोटालों को आरबीआई अधिकारियों से जोड़ने की कोशिश करने वाले दावे याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए किसी भी प्रथम दृष्टया साक्ष्य के अभाव में भ्रामक हैं और इसकी पुष्टि नहीं हुई है.'

इसमें कहा गया, 'यह अनुरोध किया जाता है कि यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई विशिष्ट आरोप है, या उसके कार्यों या चूक के संबंध में प्रथम दृष्टया सबूत हैं, तो उसके आचरण की जांच करने के लिए आरबीआई के पास एक आंतरिक तंत्र/ढांचा है. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में कोई सबूत या विशिष्ट आरोप प्रस्तुत नहीं किया है और प्रतिवादी संस्था के खिलाफ केवल अस्पष्ट और भ्रामक आरोप लगाए गए हैं.'

आरबीआई ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसका एक केंद्रीय सतर्कता प्रकोष्ठ (सीवीसी) भी है, जो कर्मचारियों के आचरण की निगरानी करता है. विभिन्न बैंकिंग घोटालों में भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच की मांग करने वाली स्वामी की याचिका के जवाब में हलफनामा दायर किया गया था. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान स्वामी को हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया.

पढ़ें: उत्तराखंड के पूर्व CM त्रिवेंद्र को 'सुप्रीम' राहत, CBI जांच के आदेश पर रोक

न्यायालय ने 17 अक्टूबर को स्वामी की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आरबीआई को नोटिस जारी किये थे. स्वामी ने आरोप लगाया है कि किंगफिशर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यस बैंक जैसी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े घोटालों में आरबीआई अधिकारियों के शामिल होने की जांच नहीं की गई. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि आरबीआई के अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, बैंकिंग विनियमन अधिनियम और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों का प्रत्यक्ष उल्लंघन करते हुए सक्रिय रूप से मिलीभगत की.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा विभिन्न बैंकिंग घोटालों में उसके अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच की मांग वाली याचिका में दिए गए कथन भ्रामक और गैर-प्रमाणित हैं. आरबीआई ने न्यायालय से यह भी कहा कि उसके पास एक कर्मचारी के आचरण की जांच के लिए आंतरिक तंत्र है.

स्वामी की याचिका खारिज करने की मांग करते हुए आरबीआई ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं है और यह तथ्यात्मक तथा कानूनी त्रुटियों से पूर्ण है. आरबीआई ने शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा, 'इस संबंध में, यह निवेदन किया जाता है कि याचिकाकर्ता द्वारा घोटालों को आरबीआई अधिकारियों से जोड़ने की कोशिश करने वाले दावे याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए किसी भी प्रथम दृष्टया साक्ष्य के अभाव में भ्रामक हैं और इसकी पुष्टि नहीं हुई है.'

इसमें कहा गया, 'यह अनुरोध किया जाता है कि यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई विशिष्ट आरोप है, या उसके कार्यों या चूक के संबंध में प्रथम दृष्टया सबूत हैं, तो उसके आचरण की जांच करने के लिए आरबीआई के पास एक आंतरिक तंत्र/ढांचा है. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में कोई सबूत या विशिष्ट आरोप प्रस्तुत नहीं किया है और प्रतिवादी संस्था के खिलाफ केवल अस्पष्ट और भ्रामक आरोप लगाए गए हैं.'

आरबीआई ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसका एक केंद्रीय सतर्कता प्रकोष्ठ (सीवीसी) भी है, जो कर्मचारियों के आचरण की निगरानी करता है. विभिन्न बैंकिंग घोटालों में भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच की मांग करने वाली स्वामी की याचिका के जवाब में हलफनामा दायर किया गया था. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान स्वामी को हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया.

पढ़ें: उत्तराखंड के पूर्व CM त्रिवेंद्र को 'सुप्रीम' राहत, CBI जांच के आदेश पर रोक

न्यायालय ने 17 अक्टूबर को स्वामी की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आरबीआई को नोटिस जारी किये थे. स्वामी ने आरोप लगाया है कि किंगफिशर, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यस बैंक जैसी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े घोटालों में आरबीआई अधिकारियों के शामिल होने की जांच नहीं की गई. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि आरबीआई के अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, बैंकिंग विनियमन अधिनियम और भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों का प्रत्यक्ष उल्लंघन करते हुए सक्रिय रूप से मिलीभगत की.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.