नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को मुद्रास्फीति (Inflation) पर काबू पाने के लिए राजकोषीय नीति और अन्य कारकों के साथ अधिक बेहतर ढंग से तालमेल बिठाना होगा. उन्होंने आर्थिक थिंक टैंक 'इक्रियर' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मुद्रास्फीति प्रबंधन को केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है, जो कई देशों में पूरी तरह से अप्रभावी साबित हुई है. वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि आरबीआई को कुछ हद तक तालमेल बिठाना होगा.
आगे उन्होंने कहा कि हो सकता है कि यह तालमेल उतना न हो, जितना कि अन्य पश्चिमी विकसित देशों में होता है. मैं रिजर्व बैंक को कुछ बता नहीं रही हूं... मैं आरबीआई को कोई आगे का निर्देश नहीं दे रही हूं, लेकिन सच्चाई यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए मौद्रिक नीति के साथ ही राजकोषीय नीति पर भी काम करना होगा. उन्होंने कहा कि ऐसी अर्थव्यवस्थाएं हैं, जहां नीति को इस तरह तैयार किया गया है कि मुद्रास्फीति को संभालने के लिए मौद्रिक नीति और ब्याज दर प्रबंधन एकमात्र साधन हैं.
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निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं कहूंगी कि भारत का मुद्रास्फीति प्रबंधन कई अलग-अलग गतिविधियों की साझा कवायद है और जिनमें से ज्यादातर आज की परिस्थितियों में मौद्रिक नीति से बाहर है. बता दें कि बीते दिन ही भारत सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitaraman) ने कहा था कि मुद्रास्फीति (Inflation) कम होकर वहनीय स्तर पर पहुंच गई है, इसलिए सरकार के लिए देश की आर्थिक वृद्धि ही प्राथमिकता बनी हुई है.
वित्त मंत्री ने कहा था कि रोजगार सृजन और धन का समान वितरण वो अन्य क्षेत्र हैं, जिन पर सरकार का ध्यान है. उन्होंने कहा कि ‘कुछ निश्चित तौर पर प्राथमिकताएं हैं और कुछ उतनी महत्वपूर्ण नहीं हैं.' निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने आगे कहा कि 'प्राथमिकताओं में रोजगार शामिल हैं, इसके अलावा धन का समान वितरण और यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि भारत वृद्धि के रास्ते पर बढ़े.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘इस लिहाज से मुद्रास्फीति प्राथमिकता नहीं है. आपको इस बात से हैरानी नहीं होनी चाहिए. बीते कुछ महीनों में हम इसे वहनीय स्तर पर लाने में कामयाब रहे है.’
(पीटीआई-भाषा)