मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई- Reserve Bank Of India) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक (First monetary review meeting of the current financial year) में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार 11 वीं बार कोई बदलाव नहीं करते हुए इसे चार प्रतिशत के निचले स्तर पर कायम रखा है. नीतिगत दर यथावत रहने का मतलब है कि बैंक कर्ज की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है जबकि मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा दिया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि को बरकरार रखने के लिए केंद्रीय बैंक अपने नरम रुख में थोड़ा बदलाव करेगा.
रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई, 2020 को रेपो दरों में बदलाव किया था. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर को भी 3.35 प्रतिशत पर यथावत रखा है. रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज देता है. जबकि रिवर्स रेपो दर के तहत बैंकों को अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने पर ब्याज मिलता है. एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है. फरवरी की मौद्रिक समीक्षा बैठक में एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने की संभावना जतायी है. पहले इसके 4.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था. गवर्नर दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक किसी नियम से बंधा नहीं है. उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था के संरक्षण के लिए रिजर्व बैंक सभी उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल करेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नई एवं बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है और रिजर्व बैंक इसे सभी चुनौतियों से बचाकर रखने के लिए काम करेगा. दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, भू-राजनीतिक तनाव की वजह से आर्थिक वृद्धि दर और मुद्रास्फीति के किसी भी अनुमान में ‘जोखिम’ की संभावना है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने उम्मीद जताई है कि रबी यानी सर्दियों की फसल अच्छी रहने से अनाज और दालों की कीमतों को काबू में रखने में मदद मिलेगी.
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हालांकि दास ने कहा कि ओमीक्रोन लहर कमजोर पड़ने से होने वाले अनुमानित लाभों को बढ़े हुए भू-राजनीतिक तनावों ने निष्प्रभावी कर दिया है. गवर्नर ने कहा कि रिजर्व बैंक ग्राहक सेवाओं की समीक्षा करेगा. उन्होंने यूपीआई का इस्तेमाल कर एटीएम से बिना कार्ड (कार्डलेस) के निकासी की सुविधा का विस्तार सभी बैंकों के करने की भी घोषणा की.