सवाईमाधोपुर : देश में एक और आंदोलन की जरूरत है. इसके लिए सभी तैयार रहें. अपने ट्रैक्टर ट्रॉलियों को तैयार रखें. आंदोलन कब, कहां होगा, इसकी जानकारी आने वाले समय में दी (Rakesh Tikait new agitation on the cards) जाएगी. यह बात किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कही. किसान महापंचायत को किसान नेता राजाराम मील सहित कई किसान नेताओं ने भी सम्बोधित किया. टिकैत ने जिला मुख्यालय पर चल रहे आंदोलन को समाप्त करने का आह्वान भी किया.
किसान महापंचायत को सम्बोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि पांचना बांध सहित राज्य के जो भी मुद्दे होंगे, उन्हें लेकर सरकार से बात की जाएगी. सरकारों द्वारा किसानों के खिलाफ जो भी निर्णय लिए जाएंगे, इसके लिए आंदोलन करेंगे. किसान विरोधी काम किए जाने पर आंदोलन करने से नहीं हिचकेंगे. इससे पहले भू प्रेमी परिवार की ओर से दशहरा मैदान खेल स्टेडियम में किसान महापंचायत में टिकैत लगभग ढाई घंटे देरी से पहुंचे. टिकैत ट्रैक्टर चलाकर समर्थकों के साथ महापंचायत स्थल पहुंचे. इस दौरान आयोजकों की ओर से किसान नेताओं का साफा बांध एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया.
किसानों को 6 हजार रुपए देकर भिखारी बना रही केन्द्र सरकार: टिकैत ने कहा कि भारत सरकार देश के किसानों को छह हजार रुपए देती है. उसका चार महीने प्रचार किया जाता है. किसानों को भिखारी बनाकर रुपए दिए जा रहे हैं. केन्द्र की सरकार के जो मुद्दे हैं, उनमें एमएसपी बड़ा सवाल है. केन्द्र सरकार द्वारा दो सदस्यों के नाम मांगे जा रहे हैं. लेकिन सरकार यह नहीं बता रही है कि कमेटियों के अधिकार क्या होंगे, कार्यकाल कितना होगा. इसके सदस्य कितने रहेंगे. किस-किस किसान संगठनों के होंगे. इसका अध्यक्ष कौन होगा. लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा इसका जवाब नहीं दिया जा रहा है. जब तक भारत सरकार स्पष्ट नहीं बताएगी, तब तक नाम नहीं देंगे.
सरकार किसानों के दो सदस्य लेकर शेष सदस्य अपने समर्थन के लोगों को बनाकर बहुमत के आधार पर फैसला देगी कि एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने यूनिवर्सिटी ऐसी ही बनाई है, जिसमें कोई फेल नहीं होता है. पूरे देश के लोगों के बीच एमएसपी कानून को लेकर जाएंगे. इसके लिए जन आंदोलन (Public agitation for MSP) बनाएंगे.
देश राजनीतिक पार्टियों से नहीं, क्रांति से बचेगा: टिकैत ने कहा कि देश राजनीतिक पार्टियों से नहीं, क्रांति से बचेगा. इसके लिए एक बार फिर आंदोलन और क्रांति होगी. तभी जाकर देश बचेगा. उन्होंने कहा कि देश वोट की ताकत से नहीं बचेगा. क्योंकि देश में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है. संवैधानिक संस्थाओं पर अवैधानिक तरीके से कब्जे हो चुके हैं. सड़क का आंदोलन मजबूत होने से ही तीनों कृषि कानून वापस हुए हैं. आंदोलनकारी की भाषा समझो. मुद्दों को लेकर सरकार से उलझो.
ये भी पढ़ें - किसान नेता राकेश टिकैत को मिली फोन पर धमकी, पुलिस में की शिकायत
किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉलियां रखें तैयार: टिकैत ने कहा कि किसानों की समस्याओं के लिए अभी और आंदोलन किए जाएंगे. फसले कट जाने दो, इसके बाद राजस्थान व मध्यप्रदेश में भी किसानों के हितों के लिए आंदोलन (Tikait to launch agitation in Rajasthan and Madhya Pradesh) करेंगे. इसके लिए अपने ट्रैक्टर ट्रॉलियां तैयार रखें. सरकारें किसी की भी हो किसानों के लिए आंदोलन पूरे देश की राजधानियों में होगा. सरकार तैयार रहे. किसान, मजदूर, आदिवासी, छोटा व्यापारी, दुकानदार की लड़ाई हमें लड़नी पड़ेगी. देश में एक ओर आंदोलन की जरुरत है.
देश गरीबी रेखा से नीचे जा रहा: किसान नेता राजाराम मील ने कहा कि देश गरीबी रेखा से नीचे जा रहा है. केन्द्र की सरकार कहती है कि 70 सालों में देश में कुछ नहीं हुआ. जबकि केन्द्र सरकार 70 सालों में बने देश के संस्थानों, कम्पनियों को ही बैच रही है. भाजपा की केन्द्र सरकार के कार्यकाल में एक भी कंपनी देश में नहीं बनी. देश में गरीब को और गरीब बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार चुनाव जीतने के लिए पुलवामा करवाती है. हिन्दू-मुस्लिम करा चुनाव जीते जाते हैं. राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हो रही हैं. इससे देश का भला होने वाला नहीं है. देश का भला राष्ट्रीय पार्टियां ही कर सकती हैं. ऐसे में इसे समझें और अपने विवेक से वोट की चोट करें.