नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीतियों और चुनौतियों पर अल्पकालिक चर्चा की जा रही है. हंगामे और नारेबाजी के बीच स्वपन दासगुप्ता ने अपनी बातें राज्य सभा के पटल पर रखीं. हंगामे के बीच गुप्ता अपनी बातें कहते रहे. उपसभापति हरिवंश ने हंगामा न थमता देख 1.20 बजे 15 मिनट के लिए राज्य सभा की कार्यवाही स्थगित कर दी. इसके बाद दोबारा चर्चा शुरू हुई. चर्चा पूरी होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया राज्य सभा में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए कई कंपनियों की वैक्सीन का प्रयोग किया जा रहा है.
मंडाविया ने बताया कि भारत बायोटेक की ओर से नाक में डाली जाने वाली दवा का ट्रायल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के पहले तक देशभर के लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा, इस बात पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें देश के वैज्ञानिकों की योग्यता पर पूरा यकीन है. उन्होंने कहा कि बच्चों के टीकाकरण के लिए भी कोरोना टीका बना रहीं कंपनियों ने ट्रायल शुरू कर दिया है.
चर्चा की शुरुआत में मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि इस बीमारी से निपटने में राज्यों की भूमिका सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि इस घातक बीमारी से निपटने के दौरान राज्यों की भूमिका पारदर्शी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जब एक ही शहर के एक हिस्से में लॉकडाउन लागू है वहीं दूसरे हिस्से में अलग स्थिति है. इसके अलावा एक त्योहार के दौरान लॉकडाउन है और दूसरे त्योहार में नहीं.
दासगुप्ता ने कहा कि यह भी सच है कि यह राष्ट्रीय आपदा है और अकेला राज्य इस महामारी की विभीषिका से नहीं निपट सकता और इसके लिए केंद्र के सहयोग की जरूरत है. उन्होंने कहा कि परस्पर सहयोग होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र और राज्य दोनों अलग अलग रास्ते जाएंगे तो स्थिति में सुधार नहीं होगा. उन्होंने कहा 'पहले लग रहा था कि यह जल्दी खत्म हो जाएगा लेकिन इस महामारी की दूसरी लहर आई और अब तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है.'
दासगुप्ता ने कहा 'स्पेनिश फ्लू ने करीब पांच करोड़ लोगों की जान ली थी. कोविड की दूसरी लहर ने भी बहुत कहर ढाया है. पूरी दुनिया इससे प्रभावित हुई है. हमें खुद यह तय करना होगा कि हम दूसरों को किस हद तक इससे राहत दे सकते हैं. हमें सोचना होगा कि क्या लॉकडाउन स्थायी समाधान है ? क्या यह अर्थव्यवस्था के लिए ठीक है ?'
उन्होंने कहा कि इस महामारी ने लोगों को कई तरह से प्रभावित किया है. 'हालांकि अर्थव्यवस्था की पुख्ता नींव और सरकार द्वारा की गई कई पहलों के कारण संकट के इस समय में भी देश मजबूती के साथ खड़ा रहा.' दासगुप्ता ने कहा कि चुनौतियां कम नहीं हैं लेकिन इनके बीच से ही आगे बढ़ने के रास्ते भी निकालने होंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरी सावधानी बरतनी होगी और हर किसी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.
इसके बाद राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संकट के समय में ताली, थाली जैसे विकल्प चुने. खड़गे ने कहा कि इन चीजों को देख कर लगता है कि आप चिंतित नहीं थे और लोगों को झूठी तस्वीर दिखा रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री समस्या सुलझाने में विफल रहे और उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को बलि का बकरा बनाया है.
खड़गे ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में उमड़ी भीड़ का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने खुद ही कोरोना से बचने के लिए बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि सभी को तबाह और तंग करने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटना सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए कांग्रेस सहयोग करने के लिए तैयार है.
विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा 'नोटबंदी की तरह ही लॉकडाउन की घोषणा भी रात को की गई. 24 मार्च की रात को की गई. इस घोषणा के बाद प्रवासी कामगार किस हद तक परेशान हुए, यह सबने देखा है. लॉकडाउन की घोषणा न केवल आठ से पंद्रह दिन पहले की जानी चाहिए थी बल्कि प्रवासी कामगारों को उनके गंतव्य तक पहंचाने के लिए व्यवस्था भी की जानी चाहिए थी. यह जिम्मेदारी सरकार की थी लेकिन वह विफल रही.'
इसके अलावा संजय राउत ने भी कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीतियों और चुनौतियों पर अल्पकालिक चर्चा में भाग लिया. राउत ने कहा कि कोविड-19 से देशभर में हुई मौतों का मामला गंभीर है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस बारे में जानकारी छिपा रही है. उन्होंने कहा, हमारा सरकार से सवाल है कि आखिर आप आंकड़े छिपा क्यों रहे हैं? हमें बताइए कि कोविड-19 की वजह से कितने लोगों ने जान गंवाई है.
समाजवादी पार्टी (सपा) सदस्य रामगोपाल यादव ने जोर दिया कि सरकार को स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा में सुधार पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति की विभिन्न सुझावों पर गौर किया होता तो आज इतनी भयावह स्थिति नहीं देखने को मिलती और इतना नुकसान नहीं होता. उन्होंने कहा कि पर्याप्त बुनियादी ढांचा होने पर लोगों को बेड और ऑक्सीजन आदि की कमी का सामना नहीं करना पड़ता. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के एक मंत्री तक को बेड की कमी के बारे में टिप्पणी करनी पड़ी.
रामगोपाल यादव ने निजी अस्पतालों में कोविड बीमारी के इलाज में आने वाले भारी खर्चे का जिक्र करते हुए कहा कि इस वजह से कई लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए. उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी व्यय में वृद्धि करने और आम लोगों को इलाज में मदद देने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जीवन बचाना सबसे अहम है और जीवन के बाद ही कुछ और है.
ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नेता एम थंबीदुरै ने कहा कि राज्य सिर्फ अपने दम पर इस रोग का मुकाबला नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बीमारी के संबंध में आम लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं. उन्होंने रोग पर काबू के लिए टीकाकरण को अहम बताते हुए कहा कि लोगों को दोनों खुराकें लगनी चाहिए. टीकों की दोनों खुराकों के बीच अंतराल को लेकर अलग-अलग सुझावों से भी लोगों में भ्रम पैदा होता है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य इलामारम करीम ने सरकार ने पर्याप्त तैयारी नहीं की और दूसरी लहर के दौरान स्थिति काफी खराब हो गयी. लोगों को ऑक्सीजन एवं बेड नहीं मिल रहे थे. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने प्रचार पर विशेष ध्यान दिया.
कोरोना टीकों के मूल्य निर्धारण नीति की आलोचना करते हुए करीम ने कहा कि टीकों के वितरण में एकरूपता होनी चाहिए और निर्माताओं को भारी मुनाफा कमाने का मौका नहीं मिलना चाहिए.
बसपा के अशोक सिद्धार्थ ने कहा 'उत्तर प्रदेश में यह दिखाने का प्रयास किया गया कि सब कुछ ठीक है लेकिन असलियत कुछ और है. राज्य में पंचायत चुनाव टाले जा सकते थे लेकिन छह चरणों में पंचायत चुनाव कराए गए. चुनाव ड्यूटी में लगे कई कर्मचारी मारे गए जिनके परिवारों को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला.' उन्होंने महामारी में अपने माता पिता गंवा देने वाले बच्चों की मुफ्त शिक्षा और सहायता के लिए सरकार से कानून बनाने की मांग की.
जदयू के रामनाथ ठाकुर ने कहा कि कोविड महामारी को एक चुनौती की तरह लिया जाना चाहिए और उसी तरह इससे निपटने के लिए युद्धस्तर पर इंतजाम करने चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में आम लोगों के साथ साथ अफसरों के मध्य भी कोविड महामारी को लेकर जागरूकता फैलाई गई और इसके बेहतरीन नतीजे मिले.
टीएमसी(एम) सदस्य जी के वासन ने मांग की कि कोविड प्रभावित लोगों के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की जानी चाहिए. तृणमूल सदस्य शांतनु सेन ने दावा किया कि कोविड महामारी के संबंध में कई मंत्रियों के बयान भी विरोधाभासी थे. तीसरी लहर की आशंका के बीच उन्होंने आगाह किया कि अगर पूरी तैयारी नहीं की गयी तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी खराब हो सकती है. उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे का सम्मान किया जाना चाहिए. सेन ने एक कोविड स्मारक का निर्माण किए जाने की भी मांग की.
चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) के अमर पटनायक ने कहा कि करीब 100 साल बाद ऐसी भयानक स्थिति आयी जिसके लिए न तो केंद्र और न ही राज्य तैयार थे. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के बारे में बहुत जानकारी भी नहीं थी.
उन्होंने कहा कि कोविड विषय का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और इस बीमारी से निपटने में केंद्र-राज्य सहयोग महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि कोई भी इससे अपने दम पर नहीं निपट सकता. उन्होंने वैश्विक सहयोग की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि यह राहत की बात है कि 10 महीनों के अंदर ही टीका आ गया. उन्होंने कहा कि संभव है कि तीसरी लहर आखिरी लहर नहीं हो और कोरोना आखिरी वायरस नहीं हो. हमें ऐसी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) टी शिवा ने कहा कि बीमारी की दूसरी लहर में ज्यादा लोगों की मौत हुयी और सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए पहले से कोई तैयारी नहीं की थी जबकि यह रोग मुख्य रूप से श्वसन से ही संबंधित है. उन्होंने कहा कि टीकों के आने से उम्मीदें बंधी हैं और सरकार की जिम्मेदारी है कि अधिक से अधिक मात्रा में टीके उपलब्ध हों.
उन्होंने सुझाव दिया कि चेन्नई के पास एक टीका उत्पादन इकाई बंद पड़ी है और उसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है. शिवा ने कहा कि ऐसे केंद्रों का भी अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के बीच टीकों का वितरण समान होना चाहिए और इस संबंध में एकरूपता होनी चाहिए.
तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के कनकमेदला रवींद्र कुमार ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरोप लगाया कि चाहे केंद्र की सरकार हो या विभिन्न राज्य सरकारें, कोरोना की दूसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार नहीं थीं. लोगों को ऑकसीजन और दवाओं की कमी का सामना करना पड़ा और इससे हजारों लोगों की जान गई.
उन्होंने आंध्र प्रदेश की सरकार पर कोरोना से हुई मौतें छिपाने का आरोप लगाया और कहा कि तिरूपति के एक अस्पताल में एक ही दिन ऑक्सीजन की कमी से 31 लोगों की जान गई लेकिन सरकारी आंकड़ों में इसे 11 मौतों के रूप में दर्शाया गया. उन्होंने राज्य सरकार पर महामारी के दौरान लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया ओर कहा कि वहां भी बड़ी मात्रा में टीकों की बर्बादी हुई है. उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए तेज गति से टीकाकरण की मांग की.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण ने कोरोना संक्रमित एक परिवार की व्यथा सुनाते हुए कहा कि हजारों ऐसे मामले कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखने को मिला. हजारो बच्चे इस दौरान अनाथ हो गए.
उन्होंने सवाल उठाया कि विशेषज्ञों ने दूसरी लहर की आशंका जताई थी लेकिन उसे गंभीरता से कयों नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि इसके लिए गंभीर आत्म मंथन की आवश्यकता है. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब विश्व के तमाम विशेषज्ञ दूसरी लहर की आशंका जता रहे थे तो उस बारे में राज्यों सरकारों को क्यों सूचना नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि केंद्र ने यदि महाराष्ट्र सरकार से इस बारे में संवाद किया होता तो महाराष्ट्र को यह महामारी भारी नहीं पड़ती.
चव्हाण ने राज्यों को जनसंख्या के आधार पर टीका वितरण करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए ओर कहा कि जो राज्य इस महामारी से अत्यधिक प्रभावित हैं उन राज्यों को अधिक टीका मिलना चाहिए.
शिरोमणि अकाली दल के सरदार बलविंदर सिंह भुंडर ने कोरोना ऐसी महामारी साबित हो रही है जिसने विज्ञान को भी विफल कर दिया है और अब तक इसकी दवा सामने नहीं आई. उन्होंने कहा कि भगवान ना करे कोरोना की तीसरी लहर आए इसलिए हमें तैयारी करके रखनी होगी ताकि जो स्थितियां दूसरी लहर में आई वैसी स्थितियां फिर ना पैदा हो.
बलविंदर सिंह भुंडर ने कोरोना काल में गुरुद्वारों की ओर से की गई सेवा भाव का भी उल्लेख किया और अगले दो-तीन महीनों के भीतर सभी का टीकाकरण करा लेने की सलाह दी.
लोकतांत्रिक जनता दल के एम वी श्रेयम्स कुमार ने कहा कि सरकारों की अपनी गलतियों से सीख लेनी चाहिए और आक्रामक तरीके से निषिद्ध क्षेत्र बनाने, बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देने, सभी का टीकाकरण सुनिश्चित करने पर जोर देना चाहिए तभी हम तीसरी लहर का मजबूती से मुकाबला कर सकेंगे.
सरकार की अपील- महामारी पर चर्चा अहम
इससे पहले हंगामे को लेकर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार कोरोना महामारी पर चर्चा करने के लिए तैयार है. गोयल ने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर चर्चा महत्वपूर्ण है, ऐसे में वे विपक्षी नेताओं से इस चर्चा में देशहित में शामिल होने की अपील करते हैं.
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर वाईएसआर कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा किया. हंगामे के कारण मानसून सत्र में लगातार दूसरे दिन राज्य सभा कार्यवाही बाधित हुई. हंगामा कर रहे वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य सभापति के आसन के निकट आ गए और जोर से नारेबाजी आरंभ कर दी. वाईएसआर सदस्यों को आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर 'हमें न्याय चाहिए' का नारा लगाते सुना गया.
उपसभापति ने भी हंगामा कर रहे सदस्यों से वापस जाने और हंगामा ना करने का अनुरोध किया लेकिन वाईएसआर सदस्यों ने इसे भी नजरअंदाज कर दिया. इस पर उपसभापति ने कहा, 'अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है ओर यह सभी की चिंता से जुड़ा मामला भी है. नारा लगाकर बहस ना होने देना लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं है. यह उचित व्यवहार नहीं है...यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक व्यवहार है.' इसी बीच, सदन के नेता पीयूष गोयल ने वाईएसआर कांग्रेस के नेता विजय साई रेड्डी से हंगामा ना करने ओर सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने आग्रह किया.
पहला दिन भी रहा हंगामेदार
बता दें कि संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) 19 जुलाई से शुरू हो गया. राज्य सभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. हंगामे के कारण पीएम मोदी के संबोधन (PM Modi Rajya Sabha Statement) के दौरान भी व्यवधान हुआ. लगातार हंगामा होने के कारण सदन में सुचारु कार्यवाही नहीं हो सकी और सदन को मंगलवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.
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पहले दिन राज्य सभा में आज निशिथ प्रमाणिक (Nisith Pramanik) की नागरिकता को लेकर जमकर हंगामा हुआ. तृणमूल सांसद शुखेन्दु शेखर रॉय और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया. सदन के नेता पीयूष गोयल ने शुखेन्दु शेखर रॉय की टिप्पणी को आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि इसे सदन की कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए. इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि सांसदों की टिप्पणी का परीक्षण किया जाएगा.
(एजेंसी इनपुट के साथ)