नई दिल्ली : भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि उन्होंने नरेंद्र मोदी की खूब मदद की, जब भी जरूरत पड़ा, उनकी छवि को मजबूत किया, लेकिन पीएम बनते ही वह सबकुछ भूल गए. स्वामी ने कहा कि मोदी और आरएसएस के बीच खाई को भी उन्होंने ही पाटा. ओबामा के साथ बेहतर संबंध रखने में मदद की.
सवाल : आप तो मोदी से ज्यादा राजीव गांधी की तारीफ कर रहे हैं ?
स्वामी : राजीव गांधी की तारीफ इसलिए कर रहा हूं कि राजीव मेरे मित्र थे. मोदी ने मुझे धोखा दिया. मोदी को मैं 1972 से जानता हूं, जब ये आरएसएस का प्रचारक था. जब ये मुख्यमंत्री था, मुझसे बहुत मदद ली उसने. आरएसएस से इसकी बनती नहीं थी. मैंने ही इसके आग्रह पर इसकी संघ से सुलह करवाई थी. मोहन भागवत इस बारे में बता सकते हैं. मोहन भागवत से पहले जो सर संघ चालक थे, वो तो इनसे बात भी नहीं करना चाहते थे. मोदी की तो मैंने बहुत मदद की, उनका प्रचार किया. असल में ओबामा ने मुझे एक डिनर में बुलाया था और उसकी एक फोटो किसी गुजराती पेपर में छप गई. मोदी ने खुद मुझको हाथ जोड़ कर कहा कि ओबामा तुम्हारा मित्र है, उससे मेरे संबंध ठीक करवाओ. लेकिन मोदी जिस दिन प्राइम मिनिस्टर बना, वो बिलकुल बदल गया.
मैंने मोदी को बताया था कि तुम जैसे ही प्रधानमंत्री बन जाओगे, तो अमेरिकी तुमको वीज़ा न देने वाले मामलो को सस्पेंड कर के रखेंगे. जिस दिन पीएम नहीं रहोगे, ये बैन दोबारा आ जाएगा.
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सवाल : मोहन भागवत दिल्ली में मुस्लिम लीडर्स से मिल रहे हैं, मदरसों में बच्चों से सवाल पूछ रहे हैं, आप इसे कैसे लेते हैं ?
स्वामी : गलती आप लोगों की है, जो आप लोग समझते हैं कि सरकार बीजेपी की आ गई तो संघ सरकार के पक्ष में रहेगा और संघ कोई ऐसी बात नहीं करेगा, जो सरकार को नापसंद हो.
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सवाल : आपका मतलब मोदी को ये सब पसंद नहीं है, जो मोहन भागवत कर रहे हैं ?
स्वामी : मैं नहीं जानता मोदी को क्या पसंद है या नहीं. मैंने तो उसके बारे में सोचना ही बंद कर दिया. मैं तो धोखा खा गया उससे. मैं तो उससे अब मिलता भी नहीं हूं. बहुत सालों से नहीं मिला हूं.
सवाल : मोदी ने आपसे ऐसा कौन सा वायदा किया था जो उन्होंने पूरा नहीं किया ?
स्वामी : वायदों पर मत जाइए, मुझसे उन्होंने मदद कितनी ली, ये देखिए. मोदी ने कई बार मेरी मदद ली, कहा- मेरे इससे संबंध ठीक करवाओ, उससे ठीक करवाओ. मैंने मोदी की छवि ठीक करने में बहुत मदद की. इसका नाम बहुत खराब था. लेकिन ठीक है, राजनीति में तो ये होता है.
राजीव गांधी वचनबद्ध था. जो मुझसे कहता था, करता था. राम मंदिर के लिए मुझसे राजीव ने पूछा कि ताला खोलना चाहिए या नहीं, मैंने कहा करना चाहिए. उसने मंदिर का दरवाज़ा खुलवा दिया. उसके बाद पूछा कि विश्व हिंदू परिषद को शिलान्यास करने देना चाहिए, मैंने कहा हां, करने देना चाहिए. मैंने कहा रामायण टीवी पर दिखाओ, उसने दिखाया. रामायण से ही तो हिंदू चेतना जागी.
सवाल : इस पैमाने पर तो सबसे बड़े हिंदू नेता राजीव गांधी ही हुए, आप ये मानते हैं ?
स्वामी : राजीव गांधी सिद्धांतत: हिंदू नहीं थे, मगर अपने को हिंदू मानते थे और मानते थे कि उनको (इन मुद्दों पर) खड़ा भी होना चाहिए. राजीव की मुसीबत ये थी कि उन्होंने एक विदेशी से शादी कर ली. तो उल्टा हो गया.
सवाल : आपका कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर वे एक अच्छे आदमी थे, लेकिन शादी के बाद सब गड़बड़ हो गया ?
स्वामी : सोनिया तो केजीबी की (जासूस) थी. इसके पिता हिटलर के सैनिक थे, रूस में पकड़े गए थे, जेल में थे. जेल में ही वो केजीबी के एजेंट बन गए, तो उन्हें छोड़ दिया, बाकियों को नहीं छोड़ा. रूस के विघटन के बाद यदगाना अदबक्स नाम की एक स्कॉलर ने ‘स्टेट विदिन स्टेट: द केजीबी’ नामकी एक किताब लिखी है, जिसमें केजीबी के सारे कारनामों के बारे में लिखा है. उसमें चार-पांच पन्ने सोनिया गांधी के बारे में लिखे हैं. लिखा है कि उनको केजीबी से कितना पैसा मिलता था, उस समय रूस का जो एम्बेसेडर भारत में था, वो हर महीने कितना देता था, ये सब उस किताब में है. अब हमारे देश में कोई पूछता नहीं, किसी और देश में होती तो जेल में डाल देते.