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राजस्थान के घमासान पर बीजेपी की पैनी नजर, नेताओं को चुप रहने की हिदायत

राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में पिछले कुछ समय से घमासान चल रहा है और कुछ सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में बगावत का धुंआ भी उठ रहा है. लेकिन ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) बिल्कुल शांत है और इस मामले में कोई भी टिप्पणी नहीं कर रही है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

राजस्थान राजनीतिक संकट
राजस्थान राजनीतिक संकट
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Published : Sep 27, 2022, 11:09 PM IST

जयपुर: राजस्थान का सियासी उठा-पटक (Rajasthan Political Crisis) रुकने का नाम नहीं ले रही है और बगावत का धुंआ भी उठता हुआ महसूस हो रहा है, लेकिन राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) इस पर फूंक फूंक कर कदम रख रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान में अगले साल चुनाव है और एकबार फिर बीजेपी, कांग्रेस को ये मौका नहीं देना चाहती कि उनकी पार्टी में चल रही फूट (Bjp is keeping a close eye on Rajasthan) का ठीकरा बीजेपी पर फोड़कर कांग्रेस सहानुभूति बटोरने की कोशिश करे.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है और ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस (Congress Party) में चल रही आपसी फूट के लिए खुद पर आरोप नहीं लगने देना चाहती है। बीजेपी चाहती है की कांग्रेस के शासन में असफलताओं और पार्टी में टूट-फूट से उपज रहे एंटी इनकंबेंसी के माध्यम से वह 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करे. अगर देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी आपदा में अवसर को तलाशते हुए, बड़ी ही चतुराई से अपने फेवर में माहौल तैयार करने में जुट गई है.

इसके अलावा बीजेपी (BJP) अगले साल इस बात को लेकर भी दावा कर रही की पिछले तीन दशकों से राज्य की जनता ने किसी भी सरकार को दोबारा बनने का अवसर नहीं दिया है, ऐसे में अगली बार उनका नंबर खुद ब खुद आता नजर आ रहा है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी सोच रही है कि जोड़-तोड़ की राजनीति का ठीकरा कोई उनके सिर पर न फोड़ पाए. सूत्रों की माने तो बीजेपी के आला नेताओं ने सोमवार को राजस्थान के कुछ नेताओं को सख्त निर्देश दिए की वो राजस्थान में चल रहे कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर ज्यादा टीका टिप्पणी ना करें.

पढ़ें: काग्रेस अध्यक्ष चुनाव : सोनिया-राहुल यूपी से वोटर, मनमोहन-प्रियंका दिल्ली से पीसीसी डेलीगेट

बस फिर क्या था, शाम होते होते दिल्ली में बैठे राजस्थान के सभी नेताओं ने चुप्पी साध ली. पार्टी के राजस्थान से एक वरिष्ठ नेता और मंत्री ने तो नाम न लेने की शर्त पर यहां तक कह दिया की कांग्रेस के अंदरूनी कलह पर टिप्पणी करने की मनाही है. एक अन्य नेता ने भी टिप्पणी से बचते हुए कहा कि वैसे भी अगले साल राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनती नजर आ रही है, क्योंकि राज्य में दलितों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार से जनता परेशान है. साथ ही अपराध की पराकाष्ठा हो चुकी है और कांग्रेस राज्य में नफरत फैलाने का काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी और अगर राज्य के हालात बिगड़े तो बीजेपी उससे पहले भी चुनाव के लिए तैयार है और हमेशा तैयार रहती है, मगर फिलहाल हमारी पार्टी कोई पहल नहीं करने वाली है. बहरहाल इतना तय है की राजस्थान में चल रहे इस राजनीतिक संग्राम पर जिस तरह गहलोत समर्थक 82 विधायकों ने बगावत की है, उससे भाजपा की आंखे जरूर खुल गई हैं, क्योंकि सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सचिन पायलट पर दांव खेलने की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब उस तैयारी को भी बड़ा धक्का लगा है.

जयपुर: राजस्थान का सियासी उठा-पटक (Rajasthan Political Crisis) रुकने का नाम नहीं ले रही है और बगावत का धुंआ भी उठता हुआ महसूस हो रहा है, लेकिन राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) इस पर फूंक फूंक कर कदम रख रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान में अगले साल चुनाव है और एकबार फिर बीजेपी, कांग्रेस को ये मौका नहीं देना चाहती कि उनकी पार्टी में चल रही फूट (Bjp is keeping a close eye on Rajasthan) का ठीकरा बीजेपी पर फोड़कर कांग्रेस सहानुभूति बटोरने की कोशिश करे.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव काफी नजदीक है और ऐसे में बीजेपी, कांग्रेस (Congress Party) में चल रही आपसी फूट के लिए खुद पर आरोप नहीं लगने देना चाहती है। बीजेपी चाहती है की कांग्रेस के शासन में असफलताओं और पार्टी में टूट-फूट से उपज रहे एंटी इनकंबेंसी के माध्यम से वह 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करे. अगर देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी आपदा में अवसर को तलाशते हुए, बड़ी ही चतुराई से अपने फेवर में माहौल तैयार करने में जुट गई है.

इसके अलावा बीजेपी (BJP) अगले साल इस बात को लेकर भी दावा कर रही की पिछले तीन दशकों से राज्य की जनता ने किसी भी सरकार को दोबारा बनने का अवसर नहीं दिया है, ऐसे में अगली बार उनका नंबर खुद ब खुद आता नजर आ रहा है और ऐसे में भारतीय जनता पार्टी सोच रही है कि जोड़-तोड़ की राजनीति का ठीकरा कोई उनके सिर पर न फोड़ पाए. सूत्रों की माने तो बीजेपी के आला नेताओं ने सोमवार को राजस्थान के कुछ नेताओं को सख्त निर्देश दिए की वो राजस्थान में चल रहे कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर ज्यादा टीका टिप्पणी ना करें.

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बस फिर क्या था, शाम होते होते दिल्ली में बैठे राजस्थान के सभी नेताओं ने चुप्पी साध ली. पार्टी के राजस्थान से एक वरिष्ठ नेता और मंत्री ने तो नाम न लेने की शर्त पर यहां तक कह दिया की कांग्रेस के अंदरूनी कलह पर टिप्पणी करने की मनाही है. एक अन्य नेता ने भी टिप्पणी से बचते हुए कहा कि वैसे भी अगले साल राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनती नजर आ रही है, क्योंकि राज्य में दलितों और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार से जनता परेशान है. साथ ही अपराध की पराकाष्ठा हो चुकी है और कांग्रेस राज्य में नफरत फैलाने का काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी और अगर राज्य के हालात बिगड़े तो बीजेपी उससे पहले भी चुनाव के लिए तैयार है और हमेशा तैयार रहती है, मगर फिलहाल हमारी पार्टी कोई पहल नहीं करने वाली है. बहरहाल इतना तय है की राजस्थान में चल रहे इस राजनीतिक संग्राम पर जिस तरह गहलोत समर्थक 82 विधायकों ने बगावत की है, उससे भाजपा की आंखे जरूर खुल गई हैं, क्योंकि सूत्रों की माने तो कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सचिन पायलट पर दांव खेलने की तैयारी कर रही थी, लेकिन अब उस तैयारी को भी बड़ा धक्का लगा है.

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