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लाल डायरी के 'राजदार' गुढ़ा पर कसता शिकंजा, अस्पताल की जमीन कब्जाने के केस में नाम, CBCID करेगी जांच

सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर रहे बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. जयपुर जिले के बलेखन गांव में अस्पताल-जमीन पर कब्जे के एक मामले में पुलिस ने राजेंद्र गुढ़ा का नाम जोड़ा है.

बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा
बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा
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Published : Jul 26, 2023, 11:55 AM IST

जयपुर. लाल डायरी और महिला सुरक्षा के मामले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अब बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की परेशानी बढ़ती दिख रही है. जयपुर जिले के गोविंदगढ़ इलाके में अस्पताल पर कब्जा करने के एक मामले में पुलिस ने राजेंद्र गुढ़ा का नाम भी शामिल किया है. हालांकि, इस मामले में राजेंद्र गुढ़ा के पूर्व पीए दीपेंद्र सिंह और उसके साले अभय सिंह को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. अब इस मामले में राजेंद्र गुढ़ा का नाम भी शामिल किया गया है. इसके चलते इस मामले की फाइल को जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच को भेजा गया है.

अस्पताल की जमीन पर कब्जे के मुकदमे में नाम
अस्पताल की जमीन पर कब्जे के मुकदमे में नाम

राजस्थान पुलिस के अनुसार, गोविंदगढ़ के बलेखन गांव में डॉ. बनवारीलाल मील का एक अस्पताल है. वे खुद अफ्रीका रहते हैं और उन्होंने निर्मल कुमार नाम के एक शख्स के नाम पावर ऑफ एटॉर्नी दी है. इस मामले की जांच में सामने आया कि निर्मल कुमार ने डॉ. बनवारी लाल की जानकारी के बिना ही एक बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता के नाम की लीज डीड तैयार कर दी थी. इसके कुछ महीने बाद इसकी लीज डीड अभय सिंह के नाम कर दी गई थी.

एक साल पहले मौके पर कब्जा लेने का प्रयास : यह पूरा मामला एक अस्पताल और उसके पास की करीब दस बीघा जमीन से जुड़ा है. अस्पताल और जमीन पर कब्जा करने के लिए 20 अगस्त 2022 को कई लोग इकट्ठा होकर पहुंचे. उनमें बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के पीए रहे दीपेंद्र सिंह का साला अभय सिंह भी शामिल था. माहौल बिगड़ने के बाद पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.

पढ़ें बीजेपी बोली-मदन नहीं तो सदन नहीं, विपक्ष ने विधानसभा के बाहर निकाली प्रतीकात्मक लाल डायरी

इस तरह सामने आया राजेंद्र गुढ़ा का नाम : राजस्थान पुलिस की जांच में पता चला कि अस्पताल और जमीन पर कब्जा करने के लिए बदमाशों को अभय सिंह और लोकेंद्र उर्फ लकी लाया था. इन्होंने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उन्हें तत्कालीन मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भेजा था. इस मामले में पुलिस ने पहले निर्मल कुमार और अभय सिंह को और फिर दीपेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया. इसके बाद बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इन लोगों से पूछताछ में जब राजेंद्र गुढ़ा का नाम सामने आया तो इस मामले की फाइल को जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच के पास भेज दिया गया है.

पढ़ें केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी, मंत्री गोविंद मेघवाल, बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढा और BTP विधायक रामप्रसाद समेत 54 माननीय हैं राजस्थान पुलिस के हिस्ट्रीशीटर

झुंझुनूं के गुढ़ागौड़जी थाने के हिस्ट्रीशीटर में भी नाम : बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का नाम झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी थाने की हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में भी नाम है. इस सूची में सातवें नंबर पर राजेंद्र गुढ़ा का नाम है. इस सूची में जिनके नाम होते हैं. पुलिस उनके आपराधिक मामलों के साथ ही बायोमैट्रिक व अन्य जानकारी भी अपने रिकॉर्ड में रखती है. अब नए प्रावधान के अनुसार, पुलिस हिस्ट्रीशीटर्स की चल-अचल संपत्ति और उनकी आय के स्रोत पर भी नजर रख रही है.

गुढ़ा समर्थक उदयपुरवाटी चेयरमैन सैनी निलंबित : झुंझुनूं जिले की उदयपुरवाटी नगर पालिका के चेयरमैन रामनिवास सैनी को सरकार ने निलंबित कर दिया है. भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें निलंबित किया गया है. रामनिवास सैनी बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के समर्थक हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि गुढ़ा को घेरने के लिए सैनी का निलंबन किया गया है. बताया जा रहा है कि चार बागवानों की भर्ती सहित अन्य मामलों में चेयरमैन रामनिवास सैनी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कुछ पार्षदों ने डीएलबी निदेशक को पत्र भेजा था. निदेशालय की जांच में इस भर्ती को गलत मानते हुए चेयरमैन रामनिवास सैनी को निलंबित किया गया है.

जयपुर. लाल डायरी और महिला सुरक्षा के मामले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अब बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की परेशानी बढ़ती दिख रही है. जयपुर जिले के गोविंदगढ़ इलाके में अस्पताल पर कब्जा करने के एक मामले में पुलिस ने राजेंद्र गुढ़ा का नाम भी शामिल किया है. हालांकि, इस मामले में राजेंद्र गुढ़ा के पूर्व पीए दीपेंद्र सिंह और उसके साले अभय सिंह को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. अब इस मामले में राजेंद्र गुढ़ा का नाम भी शामिल किया गया है. इसके चलते इस मामले की फाइल को जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच को भेजा गया है.

अस्पताल की जमीन पर कब्जे के मुकदमे में नाम
अस्पताल की जमीन पर कब्जे के मुकदमे में नाम

राजस्थान पुलिस के अनुसार, गोविंदगढ़ के बलेखन गांव में डॉ. बनवारीलाल मील का एक अस्पताल है. वे खुद अफ्रीका रहते हैं और उन्होंने निर्मल कुमार नाम के एक शख्स के नाम पावर ऑफ एटॉर्नी दी है. इस मामले की जांच में सामने आया कि निर्मल कुमार ने डॉ. बनवारी लाल की जानकारी के बिना ही एक बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता के नाम की लीज डीड तैयार कर दी थी. इसके कुछ महीने बाद इसकी लीज डीड अभय सिंह के नाम कर दी गई थी.

एक साल पहले मौके पर कब्जा लेने का प्रयास : यह पूरा मामला एक अस्पताल और उसके पास की करीब दस बीघा जमीन से जुड़ा है. अस्पताल और जमीन पर कब्जा करने के लिए 20 अगस्त 2022 को कई लोग इकट्ठा होकर पहुंचे. उनमें बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के पीए रहे दीपेंद्र सिंह का साला अभय सिंह भी शामिल था. माहौल बिगड़ने के बाद पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था.

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इस तरह सामने आया राजेंद्र गुढ़ा का नाम : राजस्थान पुलिस की जांच में पता चला कि अस्पताल और जमीन पर कब्जा करने के लिए बदमाशों को अभय सिंह और लोकेंद्र उर्फ लकी लाया था. इन्होंने पुलिस को पूछताछ में बताया कि उन्हें तत्कालीन मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भेजा था. इस मामले में पुलिस ने पहले निर्मल कुमार और अभय सिंह को और फिर दीपेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया. इसके बाद बिल्डर सत्यनारायण गुप्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इन लोगों से पूछताछ में जब राजेंद्र गुढ़ा का नाम सामने आया तो इस मामले की फाइल को जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच के पास भेज दिया गया है.

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झुंझुनूं के गुढ़ागौड़जी थाने के हिस्ट्रीशीटर में भी नाम : बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का नाम झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी थाने की हिस्ट्रीशीटर्स की सूची में भी नाम है. इस सूची में सातवें नंबर पर राजेंद्र गुढ़ा का नाम है. इस सूची में जिनके नाम होते हैं. पुलिस उनके आपराधिक मामलों के साथ ही बायोमैट्रिक व अन्य जानकारी भी अपने रिकॉर्ड में रखती है. अब नए प्रावधान के अनुसार, पुलिस हिस्ट्रीशीटर्स की चल-अचल संपत्ति और उनकी आय के स्रोत पर भी नजर रख रही है.

गुढ़ा समर्थक उदयपुरवाटी चेयरमैन सैनी निलंबित : झुंझुनूं जिले की उदयपुरवाटी नगर पालिका के चेयरमैन रामनिवास सैनी को सरकार ने निलंबित कर दिया है. भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें निलंबित किया गया है. रामनिवास सैनी बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के समर्थक हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि गुढ़ा को घेरने के लिए सैनी का निलंबन किया गया है. बताया जा रहा है कि चार बागवानों की भर्ती सहित अन्य मामलों में चेयरमैन रामनिवास सैनी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कुछ पार्षदों ने डीएलबी निदेशक को पत्र भेजा था. निदेशालय की जांच में इस भर्ती को गलत मानते हुए चेयरमैन रामनिवास सैनी को निलंबित किया गया है.

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