जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक के बाद एक बिग कैट्स की मौत होने के मामले सामने आ रहे हैं ( Panther cub Shiva death). एक बार फिर नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से दुख की खबर सामने आई है. रविवार को नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पैंथर शिवा की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. करीब एक साल पहले 7 दिन का पैंथर शावक शिवा अपनी मां से बिछड़ गया था. जमवारामगढ़ में रायसर रेंज से बीमार हालात में शिवा को रेस्क्यू करके नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लाया गया था. अमेरिका से दूध पाउडर मंगवा कर शिवा की जान बचाई गई थी. पैंथर शावक 14 महीने का बताया जा रहा है.
पैंथर शिवा की मौत होने से वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों में दुख की लहर है. पैंथर के शव का पोस्टमार्टम करने के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है (Big Cats Death in Nahargarh Biological Park). मेडिकल बोर्ड की ओर से पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की जा रही है. पोस्टमार्टम होने के बाद अंतिम संस्कार किया जाएगा. शिवा की मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. करीब एक महीने के अंदर एक टाइगर और दो पैंथर्स की मौत हो चुकी है.
पिछले महीने वाइट टाइगर चीनू और एक पैंथर की मौत हुई थी और आज फिर पैंथर शिवा की मौत हो गई. पैंथर शिवा को 24 जून को रायसर रेंज के जंगल से रेस्क्यू करके बीमार हालात में लाया गया था जिसे अमेरिका का दूध पिला कर जान बचाई गई थी. पैंथर शिवा को 7 दिन की उम्र में मां ने छोड़ दिया था और 14 महीने बाद शिवा ने दुनिया ही छोड़ दी.
वरिष्ठ वन्य पशु चिकित्सक डॉक्टर अरविंद माथुर के नेतृत्व में शिवा का पालन पोषण किया गया था. शिवा इंसानों को देखकर काफी फ्रेंडली व्यवहार करता था. रविवार सुबह शिवा अपने पिंजरे में मृत अवस्था में पाया गया. जिसके बाद केयरटेकर और कर्मचारियों ने वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी. सूचना मिलते ही वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे.
34 महीने में करीब एक दर्जन बिग कैट्स की मौत : राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 34 महीने के दौरान करीब एक दर्जन बिग कैट्स की मौत हो चुकी है. 34 महीने में 5 टाइगर, 5 शेर और दो पैंथर की मौत हो चुकी है. लैपटोस्पायरोसिस और केनाइन डिस्टेंपर बीमारी की वजह से वन्यजीवों की मौतें हुई थी. बाघिन रंभा के शावक रिद्धि, शेरनी सुजैन और सफेद बाघिन सीता, बाघ शावक रुद्र, बब्बर शेर सिद्धार्थ, वाइट टाइगर चीनू की मौत हो चुकी है. शेरनी सुजैन की मौत की वजह केनाइन डिस्टेंपर वायरस को बताया गया था.
कैनाईल डिस्टेंपर वायरस के कहर के चलते नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में 19 सितंबर 2019 को एशियाटिक शेरनी सुजैन की मौत हुई थी. सुजैन की प्रारंभिक जांच में आईवीआरआई की टीम ने कैनाईल डिस्टेंपर वायरस होने की पुष्टि की थी. इसके बाद 21 सितंबर 2019 को 10 महीने की बाघिन रिद्धि की मौत हो गई थी. इसके बाद 26 सितंबर को सफेद बाघिन सीता की मौत हो गई थी. 9 जून 2020 को बाघ शावक रुद्र, 10 जून 2020 बब्बर शेर सिद्धार्थ, 18 अक्टूबर 2020 को बब्बर शेर कैलाश, 3 नवंबर 2020 को शेर तेजस की मौत, 10 जुलाई 2022 को वाइट टाइगर चीनू और 15 जुलाई को अचरोल से ट्रेंकुलाइज करके लाया गए पैंथर की मौत की भी मौत हो चुकी है.
खतरे में वन्यजीव : नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक के बाद एक वन्यजीव की मौत हो रही है. पार्क में वन्यजीवों पर खतरा मंडरा रहा है. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के डिस्प्ले में फिलहाल 5 टाइगर, 4 शेर और चार पैंथर मौजूद हैं. नाहरगढ़ रेस्क्यू सेंटर में पांच पैंथर मौजूद हैं. लगातार नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बिग कैट्स की मौत बड़ा सवाल बन रही है. आखिर वन विभाग कब जागेगा और इन वन्यजीवों की मौत की जांच कब शुरू होगी. वन्यजीव प्रेमियों ने वन मंत्री से गुहार लगाई है कि जल्द ही जांच करवाई जाए.