जयपुर. शहर में सफाई करने वाली तत्कालीन कंपनी बीवीजी के नगर निगम पर बकाया 267 करोड़ रुपए का भुगतान दिलाने के बदले बीस करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले में आरएसएस प्रचारक निंबाराम की आपराधिक याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिका में कोर्ट से याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुहार की गई है.
सुनवाई के दौरान एसीबी की ओर से तथ्यात्मक रिपोर्ट और पैन ड्राइव में रिकॉर्डिंग पेश की गई. वहीं निंबाराम की ओर से जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ में लिखित बहस भी पेश की गई. जिसमें कहा गया कि उसके खिलाफ जांच एजेंसी के पास कोई साक्ष्य नहीं है. उसे राजनीतिक द्वेषता के कारण फंसाया जा रहा है. वहीं ऑडियो-वीडियो और ट्रांसक्रिप्ट में कांट-छांट की गई है. ऐसे में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए. इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील की ओर से कहा गया कि जांच एजेंसी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं. ऐसे में याचिका को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
बता दें कि 10 जून, 2022 को वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने मामला दर्ज किया था. जिसमें मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के ओमकार सप्रे सहित संदीप चौधरी और आरएसएस प्रचारक निंबाराम को आरोपी बनाया गया था. पूर्व में एसीबी ने माना था कि उनके पास रिश्वत मांगने से जुडे़ मामले की रिकॉर्डिंग की सिर्फ कॉपी ही है ओर इसके आधार पर ही मामला दर्ज किया गया था. वहीं अदालत ने फरवरी 2022 को निंबाराम के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.