जोधपुर : राजस्थान उच्च न्यायालय ने जैसलमेर की पोकरण तहसील के नैदान गांव में बनने वाले सोलर प्लांट को लेकर दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए अहम आदेश पारित किया है. उच्च न्यायालय ने अडानी रिन्यूएबल एनर्जी के सोलर प्लांट के लिए पोकरण तहसील के नैदान गांव में आवंटित 6115.6 बीघा में से 1500 बीघा जमीन के आवंटन को निरस्त कर दिया है.
4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सरकार को शेष बची करीब 4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश दिया है. एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता बरकत खान व अन्य की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित के जरिये विशेष अपीलें पेश की गईं थीं जिस पर वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व जस्टिस रामेश्वर लोढ़ा की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए पूर्व में आदेश सुरक्षित रखा था. मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश लोढ़ा की खंडपीठ ने विस्तृत आदेश पारित करते हुए अडानी ग्रुप को बड़ा झटका दिया है.
आदेश में सरकार को कहा गया है कि जो भी वहां रह रहे हैं, उनकी ढाणियों और जमीन तक रास्ते की व्यवस्था किए बिना कोई भी किसी प्रकार का आवंटन बहाल न करे. उच्च न्यायालय ने पूरे क्षेत्र का विस्तृत सर्वे करने के निर्देश दिये हैं और वहां के लोगों की व्यवस्था को देखा जाए. उसके बाद वहां कोई जमीन रहती है तो डिटेल रिव्यू कर आवंटन किया जाए. आवंटित सरकारी जमीन में से ढाणियों के रास्तों के लिए विस्तृत सर्वे हो.
वर्ष 2006 में जमीन आवंटन का विज्ञापन जारी किया था
गौरतलब है कि अपीलकर्ता बरकत खान की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने अपील याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि एसडीओ पोकरण ने वर्ष 2006 में जमीन आवंटित करने के लिए राजस्थान भूमि राजस्व (कृषि उद्देश्य के लिए जमीन आवंटन) नियम 1970 के तहत योग्य काश्तकारों के लिए विज्ञापन जारी किया था. चूंकि यह जमीन न तो बंजर है और न ही खराब, इसलिए यह जमीन केवल कृषि उद्देश्य के उपयोग में आ सकती है. इसके बावजूद वर्ष 2015 में अडाणी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड को सोलर प्लांट के लिए 6115.6 बीघा जमीन आवंटित करने के लिए अनुशंसा भेज दी गई.
इसके बाद 30 मई 2017 को राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर सोलर प्लांट के लिए अडाणी ग्रुप को आवंटन के लिए जमीन की बारानी किस्म को बदल दिया. इसके बाद राज्य सरकार की स्वीकृति पर जिला कलेक्टर ने 11 जनवरी 2018 को 6115.6 बीघा जमीन अडाणी ग्रुप को आवंटित कर दी गई. अधिवक्ता ने कहा कि इसे एकलपीठ में चुनौती दी गई, लेकिन 27 नवंबर 2019 को याचिका खारिज कर दी गई.
एकलपीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दायर की गई थी. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता रेखा बोराणा ने पक्ष रखने के साथ ही अंडरटेकिंग दिए जाने के बाद यथास्थिति रखने के आदेश जारी किए थे. सुनवाई में अन्य प्रार्थीगण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एन माथुर, कुलदीप माथुर, धीरेन्द्र सिंह सोडा, श्रेयांस मरडिया व विपुल धारणिया ने पैरवी की.
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