ETV Bharat / bharat

राजस्थान : मंत्रिमंडल विस्तार से क्या गहलोत देंगे जवाब

गहलोत सरकार का आधा कार्यकाल बीत गया है. इस अवधि में गहलोत सरकार पर सियासी संकट के बादल छाए. कई मंत्रियों ने इस्तीफे दे दिए. अब दो मंत्रियों को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. पूर्णकालीन मंत्री नहीं होने से सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है. मुख्यमंत्री भी अतिरिक्त काम का दबाव झेल रहे हैं. गहलोत मंत्रिमंडल में 9 जगह खाली है.

राजस्थान
राजस्थान
author img

By

Published : Oct 23, 2021, 7:16 PM IST

जयपुर : 3 साल से अधिक के कार्यकाल में सियासी संकटों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरकार चलाने के लिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना बेहद जरूरी हो गया है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गृह, वित्त, आबकारी, प्लानिंग, कार्मिक और ग्रामीण एवं पंचायतीराज विभाग जैसे 13 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार से क्या गहलोत देंगे जवाब

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के विभागों पर भी अलग से नजर रखने की जिम्मेदारी आ गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने सरकार चलाने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार करना ही एकमात्र विकल्प बचा है.

राज्य में जारी सियासी खींचतान के बीच पायलट खेमा लंबे समय से मंत्रिमण्डल विस्तार की मांग भी कर रहा है. लेकिन राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार टलता रहा है. विधायक भी मंत्रिमण्डल में अपने शामिल होने की बाट जो रहे हैं. राजस्थान में मुख्यमंत्री को मिलाकर 30 मंत्री बन सकते हैं. अभी 21 पद भरे हैं. मंत्रिमंडल में 9 जगह खाली है. कुछ मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी देने से 12 से 13 जगह खाली हो जाएगी.

2 मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी, मंत्रिमंडल विस्तार का बढ़ा दबाव

एआईसीसी ने गहलोत सरकार के दो मंत्रियों रघु शर्मा और हरीश चौधरी को गुजरात और पंजाब जैसे चुनावी राज्यों का प्रभारी बनाकर संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों ही मंत्रियों के पास चिकित्सा और राजस्व विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है.

आमजन से जुड़े दोनों ही विभागों के लिए पूर्णकालीन मंत्री की आवश्यकता है क्योंकि दोनों मंत्री अपने विभागों पर अपने प्रभार वाले राज्यों की जिम्मेदारी के चलते पूरा ध्यान नहीं दे पाएंगे. दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने प्रभार वाले राज्यों में जाना शुरू भी कर दिया है. ऐसे में उनके विभागों पर जब तक प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल नहीं हो जाता है, मुख्यमंत्री को ही ध्यान देना होगा. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास अब जल्द से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है.

हरीश चौधरी और रघु शर्मा ने दिए पद छोड़ने के संकेत

वैसे तो यह कोई नियम नहीं होता है कि अगर किसी मंत्री को किसी दूसरे राज्य के संगठन की जिम्मेदारी मिले तो उसे मंत्री पद छोड़ना होगा. लेकिन कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत भी है.

दूसरे राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी संभालने वाले नेता खुद यह बात जानते हैं की मंत्री होने से कहीं ज्यादा बड़ा पद संगठन में किसी प्रदेश का प्रभारी होना है. यही कारण है कि गुजरात का प्रभारी बनने के बाद रघु शर्मा ने साफ कहा था कि उनके लिए संगठन सर्वोपरि है.

राजस्व मंत्री हरीश चौधरी तो एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का समर्थन करते हुए इस बात के संकेत दे चुके हैं कि वह राजस्व मंत्री के पद से जल्द ही इस्तीफा देंगे. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी से हरीश चौधरी इस बारे में चर्चा कर भी चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पास शिक्षा मंत्री जैसा अहम महकमा भी है. ऐसे में एक संगठन के मुखिया होने के चलते जब बाकी संगठन के लोग अपने मंत्री पद छोड़ेंगे तो गोविंद डोटासरा खुद भी शिक्षा मंत्री का पद नहीं रखना चाहेंगे.

दलित को मंत्री बनाने के बहाने पायलट ने फिर दोहराई मंत्रिमंडल विस्तार की मांग

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने चाकसू में 20 अक्टूबर को मंत्रिमंडल विस्तार की मांग की थी. भले ही सचिन पायलट ने इसके लिए मास्टर भंवरलाल मेघवाल की खाली हुई मंत्री पद की सीट को दूसरे दलित विधायक से भरने की बात कही हो लेकिन संकेतों में उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार की ही बात रखी. क्योंकि अगर एक मंत्री बनाया जाएगा तो इसके लिए मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल विस्तार करना ही होगा.

जयपुर : 3 साल से अधिक के कार्यकाल में सियासी संकटों का सामना कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरकार चलाने के लिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना बेहद जरूरी हो गया है. क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गृह, वित्त, आबकारी, प्लानिंग, कार्मिक और ग्रामीण एवं पंचायतीराज विभाग जैसे 13 महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं.

मंत्रिमंडल विस्तार से क्या गहलोत देंगे जवाब

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के विभागों पर भी अलग से नजर रखने की जिम्मेदारी आ गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने सरकार चलाने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार करना ही एकमात्र विकल्प बचा है.

राज्य में जारी सियासी खींचतान के बीच पायलट खेमा लंबे समय से मंत्रिमण्डल विस्तार की मांग भी कर रहा है. लेकिन राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार टलता रहा है. विधायक भी मंत्रिमण्डल में अपने शामिल होने की बाट जो रहे हैं. राजस्थान में मुख्यमंत्री को मिलाकर 30 मंत्री बन सकते हैं. अभी 21 पद भरे हैं. मंत्रिमंडल में 9 जगह खाली है. कुछ मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी देने से 12 से 13 जगह खाली हो जाएगी.

2 मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी, मंत्रिमंडल विस्तार का बढ़ा दबाव

एआईसीसी ने गहलोत सरकार के दो मंत्रियों रघु शर्मा और हरीश चौधरी को गुजरात और पंजाब जैसे चुनावी राज्यों का प्रभारी बनाकर संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी है. दोनों ही मंत्रियों के पास चिकित्सा और राजस्व विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है.

आमजन से जुड़े दोनों ही विभागों के लिए पूर्णकालीन मंत्री की आवश्यकता है क्योंकि दोनों मंत्री अपने विभागों पर अपने प्रभार वाले राज्यों की जिम्मेदारी के चलते पूरा ध्यान नहीं दे पाएंगे. दोनों ही नेताओं ने अपने-अपने प्रभार वाले राज्यों में जाना शुरू भी कर दिया है. ऐसे में उनके विभागों पर जब तक प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल नहीं हो जाता है, मुख्यमंत्री को ही ध्यान देना होगा. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास अब जल्द से जल्द मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है.

हरीश चौधरी और रघु शर्मा ने दिए पद छोड़ने के संकेत

वैसे तो यह कोई नियम नहीं होता है कि अगर किसी मंत्री को किसी दूसरे राज्य के संगठन की जिम्मेदारी मिले तो उसे मंत्री पद छोड़ना होगा. लेकिन कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत भी है.

दूसरे राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी संभालने वाले नेता खुद यह बात जानते हैं की मंत्री होने से कहीं ज्यादा बड़ा पद संगठन में किसी प्रदेश का प्रभारी होना है. यही कारण है कि गुजरात का प्रभारी बनने के बाद रघु शर्मा ने साफ कहा था कि उनके लिए संगठन सर्वोपरि है.

राजस्व मंत्री हरीश चौधरी तो एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत का समर्थन करते हुए इस बात के संकेत दे चुके हैं कि वह राजस्व मंत्री के पद से जल्द ही इस्तीफा देंगे. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी से हरीश चौधरी इस बारे में चर्चा कर भी चुके हैं. प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पास शिक्षा मंत्री जैसा अहम महकमा भी है. ऐसे में एक संगठन के मुखिया होने के चलते जब बाकी संगठन के लोग अपने मंत्री पद छोड़ेंगे तो गोविंद डोटासरा खुद भी शिक्षा मंत्री का पद नहीं रखना चाहेंगे.

दलित को मंत्री बनाने के बहाने पायलट ने फिर दोहराई मंत्रिमंडल विस्तार की मांग

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने चाकसू में 20 अक्टूबर को मंत्रिमंडल विस्तार की मांग की थी. भले ही सचिन पायलट ने इसके लिए मास्टर भंवरलाल मेघवाल की खाली हुई मंत्री पद की सीट को दूसरे दलित विधायक से भरने की बात कही हो लेकिन संकेतों में उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार की ही बात रखी. क्योंकि अगर एक मंत्री बनाया जाएगा तो इसके लिए मुख्यमंत्री को मंत्रिमंडल विस्तार करना ही होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.