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मतदान अधिकारी से मारपीट का मामला: दोषसिद्धि के खिलाफ राज बब्बर ने कोर्ट में दाखिल की याचिका - एमपी एमएलए कोर्ट लखनऊ

एमपी-एमएलए कोर्ट ने 28 साल पहले मतदान अधिकारी से मारपीट के मामले में 7 जुलाई को अभिनेता राज बब्बर को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. अब राज बब्बर ने कोर्ट के दोषसिद्धि वाले निर्णय के खिलाफ याचिका दाखिल की है.

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दोषसिद्धि के खिलाफ राज बब्बर ने कोर्ट में दाखिल की याचिका
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Published : Jul 15, 2022, 6:24 AM IST

लखनऊ : कोर्ट ने 28 साल पहले विधानसभा चुनाव में मतदान अधिकारी व अन्य लोगों से मारपीट करने व अन्य आरोपों में अभियुक्त कांग्रेस नेता व समाजवादी पार्टी के तत्कालीन प्रत्याशी राज बब्बर को दोषी करार दिया था. यह आदेश एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने सुनाया था. अब राज बब्बर ने सत्र अदालत के समक्ष अपील दाखिल की है.
निचली अदालत के दोषसिद्धि के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी यह अपील प्रभारी सत्र न्यायाधीश मीना श्रीवास्तव ने सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है. हालांकि कोर्ट ने राज बब्बर को मिली 6500 रुपये जुर्माने की सजा में हस्तक्षेप न करते हुए, इसे 15 दिन में जमा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत पर भी रिहा करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि 7 जुलाई को इस मामले में राज बब्बर को मिली सजा 3 वर्ष से कम होने के कारण उन्हें अंतरिम जमानत पर उसी दिन रिहा कर दिया गया था.

ये है मामला :
एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने 7 जुलाई को राज बब्बर को 2 वर्ष के कारावास और 6500 रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया था. इस मामले में राज बब्बर के साथ आरोपी रहे अरविंद सिंह यादव की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई थी. कोर्ट ने राज बब्बर को भारतीय दंड संहिता की धारा 143 में 6 महीने की कैद और 1000 रुपये का जुर्माना, धारा 332 में 2 साल की कैद और 4000 रुपये जुर्माना, धारा 353 में 1 वर्ष की कैद और 1000 रुपये जुर्माना लगाया था.

इसके अलावा कोर्ट ने धारा 323 में 6 माह की कैद और 500 रुपये जुर्माना लगते हुए कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि राज बब्बर अगर जुर्माना नहीं जमा करते हैं, तो उन्हें 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इस मामले की रिपोर्ट 2 मई 1996 को मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह राणा द्वारा थाना वजीरगंज में राज बब्बर व अरविन्द सिंह यादव के अलावा अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया था कि मतदान केंद्र संख्या 192/103 के बूथ संख्या 192 पर जब मतदाताओं का आना बंद हो गया, तब वादी मतदान केंद्र से बाहर निकलकर खाना खाने जा रहा था. इसी बीच सपा प्रत्याशी राज बब्बर अपने साथियों को लेकर मतदान केंद्र में आए व फर्जी मतदान का झूठा आरोप लगाने लगे.

आरोप है कि राज बब्बर व उनके साथियों ने वादी व शिव कुमार सिंह के साथ मारपीट की. इसी बीच मतदान केंद्र के बूथ संख्या 191 में नियुक्त मतदान अधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव के अलावा वीके शुक्ला तथा पुलिस वालों ने उन्हें बचाया. पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद विवेचना की और राज बब्बर व अरविंद यादव के खिलाफ साक्ष्य पाते हुए 23 सितम्बर 1996 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की. चार्जशीट पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने आरोपियों को तलब किया. इसके बाद 7 मार्च 2020 को राज बब्बर के खिलाफ आरोप तय किए गए. इस मामले में अभियोजन ने वादी श्रीकृष्ण सिंह राणा, शिव कुमार सिंह, मनोज श्रीवास्तव, चंद्र दास साहू के अलावा डॉ. एमएस कालरा को बतौर गवाह कोर्ट में पेश किया था.

इसे पढ़ें- राज बब्बर को एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई 2 साल कैद की सजा, ये था मामला

लखनऊ : कोर्ट ने 28 साल पहले विधानसभा चुनाव में मतदान अधिकारी व अन्य लोगों से मारपीट करने व अन्य आरोपों में अभियुक्त कांग्रेस नेता व समाजवादी पार्टी के तत्कालीन प्रत्याशी राज बब्बर को दोषी करार दिया था. यह आदेश एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने सुनाया था. अब राज बब्बर ने सत्र अदालत के समक्ष अपील दाखिल की है.
निचली अदालत के दोषसिद्धि के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी यह अपील प्रभारी सत्र न्यायाधीश मीना श्रीवास्तव ने सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है. हालांकि कोर्ट ने राज बब्बर को मिली 6500 रुपये जुर्माने की सजा में हस्तक्षेप न करते हुए, इसे 15 दिन में जमा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें नियमित जमानत पर भी रिहा करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि 7 जुलाई को इस मामले में राज बब्बर को मिली सजा 3 वर्ष से कम होने के कारण उन्हें अंतरिम जमानत पर उसी दिन रिहा कर दिया गया था.

ये है मामला :
एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने 7 जुलाई को राज बब्बर को 2 वर्ष के कारावास और 6500 रुपये जुर्माने की सजा से दंडित किया था. इस मामले में राज बब्बर के साथ आरोपी रहे अरविंद सिंह यादव की विचारण के दौरान मृत्यु हो गई थी. कोर्ट ने राज बब्बर को भारतीय दंड संहिता की धारा 143 में 6 महीने की कैद और 1000 रुपये का जुर्माना, धारा 332 में 2 साल की कैद और 4000 रुपये जुर्माना, धारा 353 में 1 वर्ष की कैद और 1000 रुपये जुर्माना लगाया था.

इसके अलावा कोर्ट ने धारा 323 में 6 माह की कैद और 500 रुपये जुर्माना लगते हुए कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि राज बब्बर अगर जुर्माना नहीं जमा करते हैं, तो उन्हें 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इस मामले की रिपोर्ट 2 मई 1996 को मतदान अधिकारी श्रीकृष्ण सिंह राणा द्वारा थाना वजीरगंज में राज बब्बर व अरविन्द सिंह यादव के अलावा अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया था कि मतदान केंद्र संख्या 192/103 के बूथ संख्या 192 पर जब मतदाताओं का आना बंद हो गया, तब वादी मतदान केंद्र से बाहर निकलकर खाना खाने जा रहा था. इसी बीच सपा प्रत्याशी राज बब्बर अपने साथियों को लेकर मतदान केंद्र में आए व फर्जी मतदान का झूठा आरोप लगाने लगे.

आरोप है कि राज बब्बर व उनके साथियों ने वादी व शिव कुमार सिंह के साथ मारपीट की. इसी बीच मतदान केंद्र के बूथ संख्या 191 में नियुक्त मतदान अधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव के अलावा वीके शुक्ला तथा पुलिस वालों ने उन्हें बचाया. पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद विवेचना की और राज बब्बर व अरविंद यादव के खिलाफ साक्ष्य पाते हुए 23 सितम्बर 1996 को कोर्ट में चार्जशीट पेश की. चार्जशीट पर संज्ञान लेकर कोर्ट ने आरोपियों को तलब किया. इसके बाद 7 मार्च 2020 को राज बब्बर के खिलाफ आरोप तय किए गए. इस मामले में अभियोजन ने वादी श्रीकृष्ण सिंह राणा, शिव कुमार सिंह, मनोज श्रीवास्तव, चंद्र दास साहू के अलावा डॉ. एमएस कालरा को बतौर गवाह कोर्ट में पेश किया था.

इसे पढ़ें- राज बब्बर को एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाई 2 साल कैद की सजा, ये था मामला

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