आसनसोल : 140 साल पुराने ईस्टर्न रेलवे हायर सेकेंडरी स्कूल (Eastern Railway Higher Secondary School) ने भारतीय रेलवे के इतिहास में अपनी जगह पक्की कर ली है. लेकिन आसनसोल औद्योगिक क्षेत्र के पहले बंगाली स्कूल का भविष्य अंधकारमय है. इसे जल्द ही बंद किया जा सकता है. यह अकेला स्कूल नहीं है जो बंद हो सकता है. आसनसोल रेलवे मंडल के सभी स्कूलों के छात्रों के अभिभावकों को सूचित किया गया है कि रेलवे अन्य निजी स्कूलों में छात्रों के प्रवेश की निगरानी करेगा. लेकिन ऐसा कदम क्यों? क्या स्कूलों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
अगर इतिहास की बात करें तो एक सदी से भी अधिक पुराने ईस्टर्न रेलवे हायर सेकेंडरी स्कूल ने 1882 में आसनसोल के डूरंड कॉलोनी में लोको टैंक के पास शिक्षा देना शुरू किया था. स्कूल की स्थापना बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से की गई थी. बाद में स्कूल को 1898 में डूरंड कॉलोनी से बड़े डाकघर के पास बड़ाबाजार क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था.
आसनसोल में गोधुली जंक्शन के पास एक और स्कूल है. बाजार क्षेत्र के स्कूल को निर्माण में अपनी विशिष्टता के लिए हेरिटेज टैग भी मिला है. स्कूल बाहर से एक मंजिल की इमारत जैसा दिखता है लेकिन इसमें एक बेसमेंट है जो इसे दो मंजिला बनाता है. यह ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था. साहित्य के दिग्गज आशुतोष भट्टाचार्य (कलकत्ता विश्वविद्यालय में बांग्ला विभाग के तत्कालीन प्रमुख) ने इस स्कूल के शिक्षक के रूप में कार्य किया. नारायण सान्याल, बिमल कर और न्यायमूर्ति मनोज मुखर्जी जैसे प्रसिद्ध लेखक इस स्कूल के पूर्व छात्र रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में दोनों संस्थान सह-शिक्षा विद्यालयों में बदल गए हैं. दोनों स्कूलों में एक साथ लगभग 1600 छात्र हैं. स्वाभाविक रूप से स्कूल बंद हो सकते हैं, इस खबर ने स्टूडेंट्स के माता-पिता को निराश किया है.
ईस्टर्न रेलवे हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रधानाध्यापक टिके रक्षित (Tike Rakshita) ने कहा, 'इस बात की संभावना है कि स्कूल बंद हो जाएगा. रेलवे बोर्ड जो भी फैसला करेगा, स्कूल अधिकारियों को उसे स्वीकार करना होगा.' रेलवे के एकतरफा फैसले के विरोध में तृणमूल शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक रुद्र पहले ही आंदोलन का आह्वान कर चुके हैं. रुद्र के अनुसार यह विद्यालय आसनसोल का गौरव है और वे इस विद्यालय को किसी भी हाल में बंद नहीं होने देंगे. आसनसोल के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी कहा कि स्कूल को लेकर कोई भी मनमाना फैसला स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद आंदोलन में शामिल होने की कसम खाई. अभिभावकों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे स्कूल बंद होने का पुरजोर विरोध करेंगे.
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