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रेलवे यूनियन ने प्रिंटिंग प्रेस बंद करने पर सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

कई क्षेत्रों में भारतीय रेलवे की प्रिंटिंग प्रेस बंद हो रही है. सरकार के इस कदम को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन का कहना की सरकार रेलवे का निजीकरण चाहती है इसलिए ऐसा कदम उठा रही है.

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Published : Feb 15, 2021, 10:47 PM IST

नई दिल्ली : वर्षों की सेवा के बाद मुंबई, हावड़ा, चेन्नई, सिकंदराबाद और शकूरबस्ती में भारतीय रेलवे के प्रिंटिंग प्रेस बंद हो रहे हैं. हालांकि, इस कदम ने ट्रेड यूनियनों को परेशान कर दिया है, जिन्होंने केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए हैं.

इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने भी इस कदम की आलोचना की और सरकार पर हमला बोला है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय रेलवे को खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा था कि रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा, तो आज यह सब क्या हो रहा है?

प्रिंटिंग प्रेस बंद पर उठे सवाल

उन्होंने कहा, रेलवे केवल एक उद्यम नहीं है. यह सामाजिक स्वामित्र का एक साधन है. इससे न सिर्फ कई लोग बेरोजगार होंगे, बल्कि परिवहन को अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा.

भारतीय रेलवे के सबसे बड़े संघ ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन (AIRF) ने रविवार को एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें सभी प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी शामिल हुए जो सरकार के इस कदम के कारण बेरोजगार हो सकते हैं.

कार्यशाला के दौरान, एआईआरएफ के महासचिव, शिव गोपाल मिश्रा ने आरोप लगाया कि रेल मंत्रालय सभी प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने की साजिश कर रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार भारतीय रेलवे का निजीकरण करना चाहती है.

एसजी मिश्रा ने कहा कि सरकार मूल रूप से इन प्रिंटिंग प्रेस की जमीन को बेचना चाहती है. भारतीय रेलवे के इन प्रिंटिंग प्रेस को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपये लगाए गए थे और अब इनका निजीकरण किया जा रहा है.

पढ़ें :- जानिए, पिछले तीन वर्षों में रेलवे में कितने अपराध हुए

संघ के सदस्यों ने कहा कि इन प्रिंटिंग प्रेस से होने वाली कमाई को भारतीय रेलवे के राजस्व में शामिल किया जाता है, फिर प्रिंटिंग के काम को आउटसोर्स करने का क्या कारण है. ऐसा करने से अधिक खर्च होगा.

भारतीय रेलवे की योजना के अनुसार, इन प्रेस पर प्रिंट होने वाले अनारक्षित और आरक्षित टिकट, समय-सारणी, नक्शे और अन्य डॉक्यूमेंट्स अब आरबीआई और भारतीय बैंक संघों के अधिकृत प्रिंटरों को आउटसोर्स की जाएगी.

नई दिल्ली : वर्षों की सेवा के बाद मुंबई, हावड़ा, चेन्नई, सिकंदराबाद और शकूरबस्ती में भारतीय रेलवे के प्रिंटिंग प्रेस बंद हो रहे हैं. हालांकि, इस कदम ने ट्रेड यूनियनों को परेशान कर दिया है, जिन्होंने केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए हैं.

इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने भी इस कदम की आलोचना की और सरकार पर हमला बोला है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय रेलवे को खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा था कि रेलवे का निजीकरण कभी नहीं होगा, तो आज यह सब क्या हो रहा है?

प्रिंटिंग प्रेस बंद पर उठे सवाल

उन्होंने कहा, रेलवे केवल एक उद्यम नहीं है. यह सामाजिक स्वामित्र का एक साधन है. इससे न सिर्फ कई लोग बेरोजगार होंगे, बल्कि परिवहन को अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा.

भारतीय रेलवे के सबसे बड़े संघ ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन (AIRF) ने रविवार को एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें सभी प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी शामिल हुए जो सरकार के इस कदम के कारण बेरोजगार हो सकते हैं.

कार्यशाला के दौरान, एआईआरएफ के महासचिव, शिव गोपाल मिश्रा ने आरोप लगाया कि रेल मंत्रालय सभी प्रिंटिंग प्रेसों को बंद करने की साजिश कर रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार भारतीय रेलवे का निजीकरण करना चाहती है.

एसजी मिश्रा ने कहा कि सरकार मूल रूप से इन प्रिंटिंग प्रेस की जमीन को बेचना चाहती है. भारतीय रेलवे के इन प्रिंटिंग प्रेस को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपये लगाए गए थे और अब इनका निजीकरण किया जा रहा है.

पढ़ें :- जानिए, पिछले तीन वर्षों में रेलवे में कितने अपराध हुए

संघ के सदस्यों ने कहा कि इन प्रिंटिंग प्रेस से होने वाली कमाई को भारतीय रेलवे के राजस्व में शामिल किया जाता है, फिर प्रिंटिंग के काम को आउटसोर्स करने का क्या कारण है. ऐसा करने से अधिक खर्च होगा.

भारतीय रेलवे की योजना के अनुसार, इन प्रेस पर प्रिंट होने वाले अनारक्षित और आरक्षित टिकट, समय-सारणी, नक्शे और अन्य डॉक्यूमेंट्स अब आरबीआई और भारतीय बैंक संघों के अधिकृत प्रिंटरों को आउटसोर्स की जाएगी.

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