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रामगढ़ से रांची तक अब रोमांचक होगी रेल यात्रा - खूबसूरती सतरंगी छटा दिखेगी

झारखंड में अब रेल यात्री सफर के दौरान खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठा सकेंगे. पहाड़ों के बीच से जब ट्रेन गुजरेगी तो यहां की खूबसूरती सतरंगी छटा दिखेगी. जब ट्रेन सुरंगों और घाटियों से गुजरेगी तो यात्रियों को रोमांच से भर देगी. अब कोडरमा से ट्रेन पहाड़ों और 4 सुरंगों से गुजरती हुई रांची पहुंचेगी.

रोमांचक होगी रेल यात्रा
रोमांचक होगी रेल यात्रा
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Published : Feb 20, 2021, 10:53 PM IST

रांची : झारखंड की खूबसूरती लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है. यहां के झील, नदियां, झरने और हरी-भरी वादियों की अलग ही पहचान है, लेकिन अब इसकी खूबसूरती का मजा उठाने वाले लोगों को और भी मजा आने वाला है. अब कोडरमा से ट्रेन पहाड़ों और 4 सुरंगों से गुजरती हुई रांची पहुंचेगी. उसके बाद लोग झारखंड की तुलना दार्जिलिंग जैसे शहरों से जरूर करेंगे.

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी नींव

हम बात कर रहे हैं कोडरमा से हजारीबाग, बरकाकाना होते हुए रांची तक बनने वाली 211 किलोमीटर की महत्वकांक्षी रेल परियोजना की, जिसकी नींव 6 मार्च 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी. 1999 में भाजपा सरकार ने इस परियोजना को अपने बजट में लाया था, उस समय बजट 3031 करोड़ रखा रखा गया था. कोडरमा से रांची 202 किलोमीटर की रेल लाइन का निर्माण होना था. हालांकि, कुछ तकनीकी (भूमि अधिग्रहण और फोरेस्ट क्लियरेंस) दिक्कतों के कारण काम 2009 से फेज वाइज शुरू किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था उद्घाटन

पहले फेज में 20 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79.7 किलोमीटर का उद्घाटन कोडरमा-हजारीबाग टाउन के लिए किया था. दूसरे फेज में 7 दिसंबर 2016 को हजारीबाग टाउन से बरकाकाना जंक्शन तक 57 किलोमीटर का उद्घाटन किया गया था. 31 मार्च 2017 को तीसरे फेज में बरकाकाना स्टेशन से सिधवार स्टेशन तक लाइन को चालू किया गया था. 29 अगस्त 2019 को चौथे फेज में टाटीसिलवे से साकी रेलवे स्टेशन तक 32 किलोमीटर रेल लाइन का उद्घाटन किया गया था.

पढ़ें - मिलिए ऋषिकेश की पहली महिला ड्राइवर से, 'आत्मनिर्भर' बनना है सपना

यात्री खूबसूरत वादियों का उठा सकेंगे लुप्त

अब रेल यात्री सफर के दौरान खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठा सकेंगे. यह रेल मार्ग राज्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने में भी काफी मददगार होगा. पहाड़ों के बीच से जब ट्रेन गुजरेगी तो यहां की खूबसूरती सतरंगी छटा दिखेगी. जब ट्रेन सुरंगों और घाटियों से गुजरेगी तो यात्रियों को रोमांच से भर देगी. इन इलाकों से जब ट्रेन गुजरेगी तब आसपास के गांव के लोगों को भी काफी फायदा दिखने लगेगा. खूबसूरत वादियों के बीच लगभग 2280 मीटर प्राकृतिक और 1638 मीटर कृत्रिम सुरंग से यात्री सफर करेंगे.

तीन पहाड़ों को काटकर बनाई गई है प्राकृतिक सुरंग

सिधवार रेलवे स्टेशन से साकी रेलवे स्टेशन तक पांचवे और अंतिम चरण का 26.6 किलोमीटर तक रेल लाइन निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इन 26.6 किलोमीटर में 4 सुरंगों से गुजर कर ट्रेन रांची तक जाएगी, जिसमें एक कृत्रिम सुरंग है और तीन पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्राकृतिक सुरंग है. इस रूट पर 50 मीटर गहरी खाई में भी पुल बनाए गए हैं, ताकि यात्रा को सुगम और रोमांचकारी बनाया जा सके.

कम पैसे में यात्रा

इस महत्वकांक्षी परियोजना के पूरी होने के बाद से बरकाकाना से झारखंड की राजधानी की ट्रेन से दूरी लगभग 1 घंटे में पूरी कर ली जाएगी. इस रूट के बन जाने से बरकाकाना से रांची की दूरी लगभग 60 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. वर्तमान में ट्रेन मुरी होकर रांची जाती हैं, जो 90 किलोमीटर बरकाकाना से रांची की दूरी रेल मार्ग से अधिक पड़ती है. इस रेल परियोजना के पूरा होते ही यात्री कम पैसे में यहां से रांची आना-जाना कर सकते हैं और उनका समय भी बचेगा.

रांची : झारखंड की खूबसूरती लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है. यहां के झील, नदियां, झरने और हरी-भरी वादियों की अलग ही पहचान है, लेकिन अब इसकी खूबसूरती का मजा उठाने वाले लोगों को और भी मजा आने वाला है. अब कोडरमा से ट्रेन पहाड़ों और 4 सुरंगों से गुजरती हुई रांची पहुंचेगी. उसके बाद लोग झारखंड की तुलना दार्जिलिंग जैसे शहरों से जरूर करेंगे.

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी नींव

हम बात कर रहे हैं कोडरमा से हजारीबाग, बरकाकाना होते हुए रांची तक बनने वाली 211 किलोमीटर की महत्वकांक्षी रेल परियोजना की, जिसकी नींव 6 मार्च 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी. 1999 में भाजपा सरकार ने इस परियोजना को अपने बजट में लाया था, उस समय बजट 3031 करोड़ रखा रखा गया था. कोडरमा से रांची 202 किलोमीटर की रेल लाइन का निर्माण होना था. हालांकि, कुछ तकनीकी (भूमि अधिग्रहण और फोरेस्ट क्लियरेंस) दिक्कतों के कारण काम 2009 से फेज वाइज शुरू किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था उद्घाटन

पहले फेज में 20 फरवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79.7 किलोमीटर का उद्घाटन कोडरमा-हजारीबाग टाउन के लिए किया था. दूसरे फेज में 7 दिसंबर 2016 को हजारीबाग टाउन से बरकाकाना जंक्शन तक 57 किलोमीटर का उद्घाटन किया गया था. 31 मार्च 2017 को तीसरे फेज में बरकाकाना स्टेशन से सिधवार स्टेशन तक लाइन को चालू किया गया था. 29 अगस्त 2019 को चौथे फेज में टाटीसिलवे से साकी रेलवे स्टेशन तक 32 किलोमीटर रेल लाइन का उद्घाटन किया गया था.

पढ़ें - मिलिए ऋषिकेश की पहली महिला ड्राइवर से, 'आत्मनिर्भर' बनना है सपना

यात्री खूबसूरत वादियों का उठा सकेंगे लुप्त

अब रेल यात्री सफर के दौरान खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठा सकेंगे. यह रेल मार्ग राज्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने में भी काफी मददगार होगा. पहाड़ों के बीच से जब ट्रेन गुजरेगी तो यहां की खूबसूरती सतरंगी छटा दिखेगी. जब ट्रेन सुरंगों और घाटियों से गुजरेगी तो यात्रियों को रोमांच से भर देगी. इन इलाकों से जब ट्रेन गुजरेगी तब आसपास के गांव के लोगों को भी काफी फायदा दिखने लगेगा. खूबसूरत वादियों के बीच लगभग 2280 मीटर प्राकृतिक और 1638 मीटर कृत्रिम सुरंग से यात्री सफर करेंगे.

तीन पहाड़ों को काटकर बनाई गई है प्राकृतिक सुरंग

सिधवार रेलवे स्टेशन से साकी रेलवे स्टेशन तक पांचवे और अंतिम चरण का 26.6 किलोमीटर तक रेल लाइन निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इन 26.6 किलोमीटर में 4 सुरंगों से गुजर कर ट्रेन रांची तक जाएगी, जिसमें एक कृत्रिम सुरंग है और तीन पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्राकृतिक सुरंग है. इस रूट पर 50 मीटर गहरी खाई में भी पुल बनाए गए हैं, ताकि यात्रा को सुगम और रोमांचकारी बनाया जा सके.

कम पैसे में यात्रा

इस महत्वकांक्षी परियोजना के पूरी होने के बाद से बरकाकाना से झारखंड की राजधानी की ट्रेन से दूरी लगभग 1 घंटे में पूरी कर ली जाएगी. इस रूट के बन जाने से बरकाकाना से रांची की दूरी लगभग 60 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. वर्तमान में ट्रेन मुरी होकर रांची जाती हैं, जो 90 किलोमीटर बरकाकाना से रांची की दूरी रेल मार्ग से अधिक पड़ती है. इस रेल परियोजना के पूरा होते ही यात्री कम पैसे में यहां से रांची आना-जाना कर सकते हैं और उनका समय भी बचेगा.

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