रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस महाधिवेशन के आखिरी दिन राहुल गांधी का संबोधन हुआ. राहुल गांधी ने सबसे पहले भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र किया. राहुल ने कहा "चार महीने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा हमने की. भारत जोड़ो यात्रा के वीडियो में आपने मेरा चेहरा देखा लेकिन हमारे साथ लाखों लोग चले. हर स्टेट में लोग चले. बारिश में, गर्मी में, बर्फ में एक साथ हम सभी ने यात्रा की. बहुत कुछ सीखने को मिला."
गले लगाने के बाद होता था ट्रांसमिशन: राहुल गांधी ने कहा कि "पंजाब में एक मैकेनिक आकर मुझसे मिला. मैंने उसका हाथ पकड़ा. सालों की तपस्या, दर्द, खुशी, दुख मैंने जाना समझा. वैसे ही लाखों किसानों के साथ गले लगकर, हाथ मिलाने पर एक ट्रांसमिशन जैसा होता रहा. शुरुआत में पूछने की जरूरत महसूस हुई. क्या मुश्किलें हैं, कितने बच्चे हैं. यह एक डेढ़ महीने चला. लेकिन उसके बाद बोलने की जरूरत नहीं पड़ी. जैसे ही हाथ पकड़ा, गले लगे, एक शब्द नहीं बोला जाता था लेकिन उनका दर्द, मेहनत मुझे एक सेकंड में समझ आ जाती थी. जो मैं उनसे कहना चाहता था, वे बिना बोले समझ जाते थे."
जब चलना शुरू किया तो पुराना दर्द उभर आया: राहुल गांधी ने बताया कि '' केरल में आपने बोट रेस देखी होगी. उस समय जब मैं बोट में बैठा था. पूरी टीम के साथ था. मेरे पैर में भयंकर दर्द था. मैं उस फोटो में मुस्कुरा रहा हूं. लेकिन उस वक्त मुझे रोना आ रहा था, बहुत ज्यादा दर्द था. मैं काफी फीट आदमी हूं. दस बारह किलोमीटर दौड़ लेता हूं. मैंने सोचा था दस बारह किलोमीटर चल लेता हूं तो 20-25 किलोमीटर चलने में क्या दिक्कत है.''
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राहुल ने आगे बताया "मुझे कॉलेज में फुटबॉल खेलते समय इंज्यूरी हुई थी. घुटने में चोट लगी थी. सालों के लिए दर्द गायब था. अचानक यात्रा शुरु करने पर वह पुराना दर्द शुरू हो गया. आप मेरा परिवार हैं, इसलिए मैं आपसे कह सकता हूं. सुबह उठता था तो सोचता था कि कैसे चला जाए. उसके बाद सोचता था कि 25 किलोमीटर नहीं 3500 किलोमीटर चलना है कैसे चलूंगा. फिर कंटेनर से उतरता था. चलना शुरू करता था. लोगों से मिलता. पहले 10-15 दिन में जिसको आप अहंकार या घमंड कह सकते हो, वो सारा गायब हो गया."
अहंकार दूर करो तभी यात्रा करो: "भारत माता ने मुझे मैसेज दिया. देखो तुम अगर निकले हो. अगर कन्याकुमारी से कश्मीर चलने निकले हो तो अपने दिल से अहंकार, घमंड मिटाओ वर्ना मत यात्रा करो. मुझे यह बात सुननी पड़ी. धीरे धीरे मैंने नोटिस किया. मेरी आवाज चुप होती गई. पहले किसान से मिलता था. उसको अपना ज्ञान समझाने की कोशिश करता था. खेती के बारे में, मनरेगा के बारे में, खाद के बारे में किसान को बताता था. धीरे धीरे यह बंद हो गया. शांति सी आ गई. सन्नाटे में मैं सुनने लगा. यह धीरे धीरे बदलाव आया. जब मैं जम्मू कश्मीर पहुंचा, मैं बिल्कुल चुप हो गया. जैसे विपश्यना करते हैं, वैसा चुप हो गया."
आज भी मेरे पास घर नहीं: "मां बैठी हैं. मैं छोटा सा था. 1977 की बात है. चुनाव आया. मुझे चुनाव के बारे में कुछ मालूम नहीं था. मैं 6 साल का था. एक दिन घर में अजीब सा माहौल था. मैं मां के पास गया. मैंने मां से पूछा, मम्मी क्या हुआ. मां कहती हैं, हम घर छोड़ रहे हैं. तबतक मैं सोचता था कि वह घर हमारा था. मैंने मां से पूछा, हम अपने घर को क्यों छोड़ रहे हैं. पहली बार मां ने मुझे बताया कि राहुल यह हमारा घर नहीं है. यह सरकार का घर है. अब हमें यहां से जाना है. मैंने मां से पूछा कहां जाना है. कहती हैं नहीं मालूम. नहीं मालूम कहां जाना है. मैं हैरान हो गया. मैंने सोचा था कि वो हमारा घर था. 52 साल हो गए मेरे पास घर नहीं है. आजतक घर नहीं है. हमारे परिवार का घर इलाहाबाद में है, वो भी हमारा घर नहीं है. घर के साथ मेरा अजीब सा रिश्ता है. मैं 12 तुगलक लेन में रहता हूं. वह मेरे लिए घर नहीं है. जब मैं यात्रा पर कन्याकुमारी से निकला. मैंने अपने आप से पूछा. मेरी जिम्मेदारी क्या बनती है."
"मैंने थोड़ी देर सोचा. फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया. मेरे ऑफिस के लोगों को मैंने बुलाया. उनसे कहा, यहां हजारों लोग चल रहे हैं. धक्का लगेगा. लोगों को चोट लगेगी. बहुत भीड़ है. हमें एक काम करना है. मेरे साइड में मेरे सामने 20-25 फुट खाली जगह, जहां लोग मिलने आएंगे. अगले चार महीने के लिए वो हमारा घर है. यह घर हमारे साथ चलेगा. मैंने सबसे कहा, इस घर में जो भी आएगा. अमीर हो, गरीब हो, बुजुर्ग,युवा या बच्चा हो, किसी भी धर्म, किसी भी स्टेट, हिंदुस्तान से बाहर का हो या जानवर हो, उसको यह लगना चाहिए कि मैं आज अपने घर आया हूं. जब वह यहां से जाए उसे लगना चाहिए कि मैं अपने घर को छोड़ कर जा रहा हूं. यह छोटा सा आइडिया था. इसकी गहराई मुझे तब समझ नहीं आई. जैसे ही मैंने यह किया, उस दिन यात्रा बदल गई. जादू से बदल गई. लोग मेरे साथ राजनीतिक बात नहीं कर रहे थे. "
महिलाओं की हालत ठीक नहीं: "मैंने क्या क्या सुना आपको मैं बता भी नहीं सकता हूं. हिंदुस्तान की महिलाओं ने इस देश के बारे में क्या कहा है, मैं आपको बता नहीं सकता हूं. युवाओं के दिल में कितना दर्द है वह मैं आपको समझा नहीं सकता. कितना बोझ उठा रहे हैं. मेरा रिश्ता बदल गया. हम सुबह सुबह चल रहे थे. साइड में एक महिला भीड़ में खड़ी थी. मैंने उसे देखा तो बुलाया. जैसे मैं प्रियंका का हाथ पकड़ता हूं. वैसे ही मैंने उसका हाथ पकड़ा. उसने कहा मैं आपसे मिलने आई हूं. मेरा पति मुझे मारता पीटता है. मैं आपसे मिलने के लिए घर से भागकर आई हूं. मैंने कहा पुलिस बुलाएं. उसने कहां नहीं. मैं आपको सिर्फ यह बताना चाहती थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है. इस देश में ऐसी लाखों करोड़ों महिलाएं हैं."
हमने कश्मीर के हजारों लोगों के साथ झंडा फहराया: "नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के 15-20 लोगों को साथ ले जाकर श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराया. भारत जोड़ो यात्रा के जरिए हमने जम्मू कश्मीर के हजारों लोगों के हाथ से तिरंगा फहराया. प्रधानमंत्री को फर्क समझ नहीं आया. आपने झंडे की भावना जम्मू कश्मीर के लोगों से छीन ली. हमनें युवाओं से झंडा फहराया. यह तिरंगा दिल की भावना है. हमने इस भावना को कश्मीर के युवाओं के दिल में जगाया है. वे खुद हमारी यात्रा से जुड़े. वे अपने हाथ में तिरंगा उठाकर चले."
"हिंदुस्तान एक भावना है. मोहब्बत है. आदर है. यह तिरंगा इन भावनाओं का चिन्ह है. भारत जोड़ो यात्रा ने इस भावना को पूरे देश ने फैलाया है. यह काम राहुल गांधी ने नहीं किया है. यह काम कांग्रेस कार्यकर्ताओं और हिंदुस्तान की जनता ने किया है."
हिंदुस्तान का मंत्री चाइना की तारीफ कर रहा: "सावरकर की विचारधारा है कि जो मजबूत है उसके सामने अपना सर झुका दो. हिंदुस्तान का मंत्री चाइना से कह रहा है कि आपकी इकॉनामी हमसे बड़ी है. हम आपके सामने खड़े नहीं हो सकते. यह कौनसी देशभक्ति है. जो आपसे कमजोर है उसको मारो और जो आपसे मजबूत है उसके सामने झुक जाओ."
आरएसएस बीजेपी सत्ताग्राही: "महात्मा गांधी सत्याग्रह की बात करते थे. सत्याग्रह का मतलब सत्य के रास्ते को कभी मत छोड़ो. हम सत्यग्राही हैं, लेकिन आरएसएस बीजेपी वाली सत्ताग्राही हैं. वे सत्ता के लिए किसी से भी मिल जाएंगे."
मोदी अडानी का क्या रिश्ता: "संसद में मैंने अडानी पर आक्रमण किया. मैंने कहा अडानी दूसरे नंबर तक कैसे पहुंचे. आपकी फॉरेन पॉलिसी बनती है तो सभी जगह उनको फायदा मिलता है. इजरायल में डिफेंस कांट्रेक्ट मिल गए. श्रीलंका में एक व्यक्ति ने कहा कि दबाव डालकर मोदी ने अडानी को काम दिलवाया. मैंने सवाल पूछा कि मोदी जी अडानी से आपका रिश्ता क्या है. पूरी सरकार, सभी मंत्री अडानी की रक्षा करने लग गए. जो अडानी पर आक्रमण करता ह वो देशद्रोही है. अडानी देश के सबसे बड़े देशभक्त बन गए. बीजेपी, आरएसएस इस व्यक्ति की रक्षा क्यों कर रहे हैं. क्या है इस अडानी में. क्यों बीजेपी को और सभी मंत्री को अडानी की रक्षा करने की जरूरत पड़ रही है. इसमें इंवेस्टिगेनशन क्यों नहीं हो रहा है. देश की रक्षा का मामला है. यह पता लगाना चाहिए कि सेल कंपनियां किसकी है."
"अडानी पर हम एक बार नहीं हजार बार सवाल पूछेंगे. जबतक अडानी की सच्चाई बाहर नहीं आएगी, तबतक हम नहीं रूकेंगे. अडानी की कंपनी पूरे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंच रही है. आजादी की लड़ाई भी इस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुई थी. उस कंपनी ने भी हिंदुस्तान का सारा इंफ्रास्ट्रक्चर उठा लिया था. इतिहास रिपिट हो रहा है. ये देश के खिलाफ काम हो रहा है. इसलिए कांग्रेस पार्टी लड़ेगी."
"कांग्रेस पार्टी तपस्वियों की पार्टी है. चार महीने की तपस्या की है. आपने देखा कि कांग्रेस कार्यकर्ता में कैसे जान आई. देश में कैसे जान आई. तपस्या बंद नहीं होनी चाहिए. हर कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता को शामिल होना चाहिए. मल्लिकार्जुन खड़गे से उन्होंने आग्रह किया कि यात्रा का कार्यक्रम बनाइये. हम सभी मिलकर यात्रा करेंगे. राहुल गांधी ने ये दावा भी किया कि पूरा हिंदुस्तान इस यात्रा में शामिल होगा. "