आइजोल : मिजोरम में सात नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी पार्टी के प्रचार के लिए आइजोल के दो दिवसीय दौरे पर हैं. मिजोरम की अपनी यात्रा के दूसरे दिन की शुरुआत उन्होंने दोपहिया की सवारी के साथ की. दरअसल, राहुल गांधी मंगलवार को मिजोरम के पूर्व मुख्यमंत्री लाल थनहवला से मुलाकात के लिए निकले. उन्होंने अपनी लग्जरी कार में बैठकर जाने के बदले दोपहिया वाहन की सवारी का आनंद उठाया. इससे पहले कांग्रेस सांसद ने राज्य की राजधानी के चानमारी क्षेत्र से राजभवन तक पदयात्रा में भाग लिया, जिसके बाद उन्होंने एक सभा को संबोधित किया. राहुल गांधी के मिजोरम आगमन के बाद कांग्रेस पार्टी ने आगामी मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों की सूची भी जारी की.
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#WATCH | Congress MP Rahul Gandhi rides pillion in Aizawl during his visit to Mizoram pic.twitter.com/ajNmvkPSCl
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— ANI (@ANI) October 17, 2023
कांग्रेस ने आइजोल पूर्व-I निर्वाचन क्षेत्र से लालसांगलुरा राल्ते को मैदान में उतारा है, जो वर्तमान में मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा के पास है. मिजोरम कांग्रेस कमेटी के प्रमुख लालसावता को आइजोल पश्चिम-III (एसटी) से मैदान में उतारा गया है, वहीं, लालनुनमाविया चुआंगो को आइजोल उत्तर-I (एसटी) से पार्टी का टिकट दिया गया है. इसके अलावा, लालरिंडिका राल्ते हाचेक (एसटी) से, लालमिंगथांगा सेलो डंपा (एसटी) से और लालरिनमाविया आइजोल उत्तर-द्वितीय से चुनाव लड़ेंगे. 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में, मिजो नेशनल फ्रंट ने 2018 के चुनावों में विजयी होने के लिए 37.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 26 सीटें हासिल कीं थीं. कांग्रेस को पांच और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को एक सीट पर जीत मिली थी.
कांग्रेस ने हाल ही में दो स्थानीय पार्टियों - पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जेडएनपी) के साथ मिजोरम सेक्युलर अलायंस (एमएसए) का गठन किया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लालसावता ने कहा कि एमएसए का गठन भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए किया गया है. एमएसए संकल्प में कहा गया है, "यह आरोप है कि जब से भगवा पार्टी और उसके सहयोगी 2014 में केंद्र में सत्ता में आए हैं, तब से अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर आदिवासियों को ध्वस्त करने और कई कानूनों के जरिए हिंदू राज्य स्थापित करने के ठोस प्रयास किए गए हैं. जिस पर एमएसए मूकदर्शक नहीं रहना चाहता. भारत उन शीर्ष देशों में से एक है जहां ईसाई सुरक्षित नहीं हैं."
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