कोंडागांव: राहुल गांधी ने जातिगत आरक्षण न कराने पर मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने कोंडागांव के फरसगांव में सबसे ज्यादा हमला जातिगत जनगणना को लेकर मोदी सरकार पर बोला. राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर यूपीए सरकार के समय कराई गई जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का आरोप लगाया. जातिगत जनगणना न कराकर आदिवासी, दलितों और ओबीसी वर्ग के अधिकारों को रोकने का आरोप उन्होंने लगाया.
बीजेपी सरकार ने सेंसस की रिपोर्ट को रोका: राहुल गांधी ने यूपी सरकार के समय कराए गए जनगणना को छिपाने का आरोप मोदी सरकार पर लगाया है. उन्होंने कहा कि" जब कांग्रेस पार्टी यूपीए में सरकार में थी. तो हमने जाति जनगणना कराया था. हमने ये पता लगाया था कि हिंदुस्तान में अलग अलग जाति के कितने लोग हैं. पिछड़े कितने हैं. अन्य जातियों के लोग कितने हैं. आदिवासी कितने हैं. दलित कितने हैं. ये हमने जाति जनगणना में पता लगाने का काम किया था. बीजेपी ने जो हमारे आंकड़े निकले थे. उनको छिपा कर रखा हुआ है. आपकी आबादी की सच्चाई आपके आंकड़ों की सच्चाई पीएम मोदी आपको नहीं बताना चाह रहे हैं. जाति जनगणना से काफी असर पड़ता है."
संसद में पूछे गए सवालों का राहुल गांधी ने दिया हवाला: राहुल गांधी ने संसद में पूछे गए सवालों का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि" मैंने संसद में पूछा कि इस देश में आदिवासियों की, दलितों की, पिछड़ों की कितनी भागीदारी है. हम सरकार चलाते हैं. बजट पास करते हैं. ये जो बजट का पैसा बांटा जाता है. इसमें दलित और ओबीसी लोगों में से निर्णय कौन ले रहा है. हिंदुस्तान की सरकार को राज्यसभा और लोकसभा के एमपी नहीं चलाते हैं. 90 अफसर यानी कि आईएएस चलाते हैं. उनके साथ सबसे सीनियर ऑफिसर कैबिनेट सेक्रेटरी चलाते हैं. ये सारे के सारे फैसले लेते हैं. छत्तीसगढ़ में आवास योजना का पैसा नहीं भेज रहे हैं. ये 90 लोग फैसला ले रहे हैं. हमने पूछा कि इन 90 में से आदिवासी, ओबीसी और दलित हैं. इनमें से कितने अफसर दलित और पिछड़े हैं. फिर जवाब आया. 90 में तीन अफसर ओबीसी के हैं और तीन अफसर आदिवासी हैं. वो छोटे छोटे कामों में लगे हुए. जो मेन बजट हैं उसमें से 5 परसेंट फैसला ओबीसी अफसर लेते हैं. आदिवासी अफसर उसमें से 0.1 फीसदी निर्णय लेते हैं."
"ओबीसी, आदिवासी, दलितों की हिंदुस्तान की सरकार में भागीदारी नहीं है. हिंदुस्तान की सरकार 100 रुपये खर्च कर रही है. तो आदिवासी अफसर 10 पैसे का फैसला ले रहे हैं. ये शर्म की बात है. देश में आदिवासियों और ओबीसी की आबादी पांच फीसदी नहीं है. असलियत में ओबीसी और आदिवासी कितने हैं. ये सच्चाई नरेंद्र मोदी जी हिंदुस्तान के आदिवासियों से, पिछड़ों से दलितों से और ओबीसी से छिपाने की कोशिश कर रहे हैं." :राहुल गांधी, सांसद, कांग्रेस
पीएम मोदी कास्ट सेंसस की बात नहीं करते: राहुल गांधी ने पीएम मोदी से कास्ट सेंसस कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि" ये हर भाषण में खुद को ओबीसी कहते हैं. लेकिन यह नहीं बताते हैं कि ओबीसी की संख्या कितनी है. हर युवा को यह समझ आ जाएगा कि नरेंद्र मोदी को अडानी कंट्रोल करते हैं. किसी भी भाषण में मोदी जी कास्ट सेंसस की बात नहीं करते हैं. पीएम मोदी कभी भी ओबीसी और आदिवासियों के बारे में नहीं बताएंगे. आपको वनवासी कहते हैं. फिर आपको जंगल से बाहर निकाल देंगे. हिंदुस्तान के जंगल से आदिवासियों को भगा देंगे. फिर इस पर उद्योगपति कब्जा कर लेंगे. हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम आपसे छत्तीसगढ़ में कास्ट सर्वे का वादा करते हैं. जिससे छत्तीसगढ़ में ओबीसी, दलितों और आदिवासियों का पता चल जाएगा. जिससे आपका विकास संभव होगा जाएगा.
राहुल गांधी ने इस दौरान वादों की झड़ी लगा दी. उन्होंने कहा कि आखिरी बात मैंने अंग्रेजी स्कूलों का जाल बिछाने की बात कही है. चुनाव के एकदम बाद हम छत्तीसगढ़ की जनता से एक और वादा करने जा रहे हैं. हम सरकारी स्कूलों और कॉलेज में छत्तीसगढ़ की जनता को मुफ्त में शिक्षा देंगे. आपको अपने जेब से स्कूल और कॉलेज के लिए पैसा नहीं देना पड़ेगा. आप अपना पैसा दूसरे जगह खर्च करिए. आपको सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालय में मुफ्त में शिक्षा मिलेगी. आदिवासी, ओबीसी और दलितों के युवाओं को मुफ्त में शिक्षा देंगे. मोदी जी की सोच है कि शिक्षा को भी उद्योगपतियों और अदानी जी को दे दो. फिर जनता से पैसा निकालो. धान के लिए तीन हजार रुपये मिलेगा. तेंदूपत्ता के लिए चार हजार रुपये मिलेंगे और शिक्षा मुफ्त मिलेगी.बस्तर में आदिवासी सीटों की संख्या अधिक है. इसलिए राहुल गांधी ने आदिवासियों को रिझाने की हर कोशिश की है. जातिगत सर्वे और फ्री शिक्षा का दांव कांग्रेस के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.