नई दिल्ली: गुजरात उच्च न्यायालय ने मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से जुड़ी याचिका को खारिज करते हुए सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है. इसका मतलब यह है कि अभी भी राहुल गांधी चुनावी राजनीति में हिस्सेदारी नहीं कर सकते हैं. और ना ही फिलहाल उनकी संसद सदस्यता उन्हें वापस मिलेगी. अब वह हाईकोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट के डबल बेंच या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. हालांकि कांग्रेस ने फैसले के तुरंत बाद ही मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. सभी की निगाहें राहुल गांधी के अगले कदम और सुप्रीम कोर्ट में होने वाली कार्यवाही पर होगी. उनकी अपील और उसपर कोर्ट के फैसले का असर ना केवल व्यक्तिगत राजनीतिक करियर पर बल्कि आगामी लोकसभा चुनावों पर भी अवश्य ही पड़ेगा...
केस की टाइम लाइन
- 13 अप्रैल, 2019 को रैली के दौरान कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी ने कहा कि 'सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों है, चाहे वह नीरव मोदी हो, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी हों'
- 15 अप्रैल 2019 को सूरत के भाजपा विधायक ने सूरत कोर्ट में शिकायत दर्ज की
- 7 जून 2019 राहुल गांधी के लिए समन जारी
- 16 जूलाई 2019 को राहुल पहली बार सूरत कोर्ट में पेश हुए
- 29 अक्टूबर 2021 को राहुल दूसरी बार सूरत कोर्ट में पेश हुए
- 23 मार्च, 2023 को राहुल गांधी को सूरत जिला अदालत ने मोदी उपनाम मामले में दोषी ठहराया और दो साल की जेल की सजा सुनाई.
- 24 मार्च 2023 को, अपनी सजा के कारण, राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया.
- 20 अप्रैल 2023 को अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग करते हुए, राहुल गांधी ने सूरत सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया. लेकिन 20 अप्रैल को उनकी याचिका खारिज कर दी गई. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि एक सांसद और देश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के पूर्व नेता के रूप में राहुल गांधी को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी.
- 25 अप्रैल 2023 को राहुल गांधी ने सूरत सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी.
- 2 मई 2023 को गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अंतिम आदेश ग्रीष्म अवकाश के बाद जारी किया जाएगा.
- 4 जुलाई 2023 सूरत में पूर्णेश मोदी मामले में राहुल गांधी की सजा के बाद, उनके खिलाफ अतिरिक्त मानहानि के मामले दायर किए गए, जिनमें एक राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी किया है. 4 जुलाई को, पटना उच्च न्यायालय ने आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी.
- 4 जुलाई 2023 को वकील प्रदीप मोदी द्वारा दायर एक अन्य मानहानि मामले के संबंध में एक आदेश पारित किया और कहा कि 16 अगस्त को अगली सुनवाई तक राहुल गांधी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
- 7 जुलाई 2023 को गुजरात हाई कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
क्या है मोदी सरनेम मामला?
2019 में कर्नाटक के कोलाट में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करते समय राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को चोरों से जोड़ते हुए एक टिप्पणी की थी. नीरव मोदी के बारे में बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि 'सभी चोरों के नाम में मोदी क्यों है, चाहे वह नीरव मोदी हो, ललित मोदी हों या नरेंद्र मोदी हों'. इसके बाद ही सूरत के भाजपा विधायक ने सूरत कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी.
आईपीसी की धारा 499 और 500 क्या हैं?
राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत सजा सुनाई गई थी, जो आपराधिक मानहानि से संबंधित है. धारा 499 परिभाषित करती है कि मानहानि क्या है जबकि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 किसी व्यक्ति को आपराधिक रूप से बदनाम करने के दोषी लोगों के लिए सजा का प्रावधान करती है. धारा 499 में कहा गया है कि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से बोला गया, पढ़ा या इशारा किया गया कोई भी शब्द मानहानि माना जाएगा और कानूनी दंड का भागी होगा.
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हालांकि कानून में इससे जुड़े अपवाद भी शामिल हैं. धारा 500 में कहा गया है कि इस अपराध के लिए दोषी पाए गए व्यक्ति को साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा.