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'पनौती', 'जेबकतरा' बोलने पर फंसे राहुल गांधी, दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को 8 हफ्ते में फैसला लेने को कहा

Rahul Gandhi Remarks On PM Modi: दिल्ली हाईकोर्ट ने राहुल गांधी का प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोले गए पनौती और जेबकतरा जैसे शब्दों पर निर्वाचन आयोग को आठ हफ्ते में फैसला सुनाने का निर्देश दिया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 21, 2023, 4:33 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को लेकर पनौती और जेबकतरा जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं, लेकिन ऐसी कोई कार्रवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करनी होगी, जिनके खिलाफ बयान दिए गए हैं.

कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को इस मामले पर आठ हफ्ते में फैसला करने का निर्देश दिया है. याचिका वकील भरत नागर ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि चुनावी सभाओं के दौरान इस तरह के झूठे, विषैले बयानों पर रोक लगाने के लिए कोर्ट अपनी ओर से भी दिशा-निर्देश तय करें. कोर्ट ने इस पर कहा कि ऐसे बयानों पर मतदान के जरिए जनता जवाब देती है. फिर इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कोई कानून लाना है यह संसद का काम है, कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदिश अग्रवाल और कीर्ति उप्पल ने कहा कि ऐसे भाषणों के खिलाफ कड़े कानून और दिशानिर्देश की जरूरत है. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने महज नोटिस दिया क्योंकि आयोग के पास ऐसे भाषणों से निपटने के लिए अधिकार नहीं है. कीर्ति उप्पल ने कहा कि बयान प्रधानमंत्री को लेकर था और प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक होता है. तब कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं. लेकिन ऐसी कोई कार्रवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करनी होगी, जिनके खिलाफ ऐसे बयान दिए गए हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को लेकर पनौती और जेबकतरा जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं, लेकिन ऐसी कोई कार्रवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करनी होगी, जिनके खिलाफ बयान दिए गए हैं.

कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को इस मामले पर आठ हफ्ते में फैसला करने का निर्देश दिया है. याचिका वकील भरत नागर ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि चुनावी सभाओं के दौरान इस तरह के झूठे, विषैले बयानों पर रोक लगाने के लिए कोर्ट अपनी ओर से भी दिशा-निर्देश तय करें. कोर्ट ने इस पर कहा कि ऐसे बयानों पर मतदान के जरिए जनता जवाब देती है. फिर इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कोई कानून लाना है यह संसद का काम है, कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा.

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदिश अग्रवाल और कीर्ति उप्पल ने कहा कि ऐसे भाषणों के खिलाफ कड़े कानून और दिशानिर्देश की जरूरत है. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने महज नोटिस दिया क्योंकि आयोग के पास ऐसे भाषणों से निपटने के लिए अधिकार नहीं है. कीर्ति उप्पल ने कहा कि बयान प्रधानमंत्री को लेकर था और प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक होता है. तब कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं. लेकिन ऐसी कोई कार्रवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करनी होगी, जिनके खिलाफ ऐसे बयान दिए गए हैं.

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