नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लंदन में हैं. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए चीन को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिस पर विवाद बढ़ सकता है. राहुल ने कहा कि वह चीन को शांति का पक्षकार मानते हैं. राहुल ने कहा कि 'चीन में जितना भी विकास हुआ है, वह सब प्रकृति से जुड़ा हुआ है.' उन्होंने चीन के बुनियादी ढांचा के विकास को लेकर विस्तार से बात रखी. राहुल ने कहा कि चीन ने अपने एयरपोर्ट, रेलवे और नदी सबकी ताकत को समझा, उसके बाद उसका विकास किया.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल ने गांधी ने कहा कि चीन की सरकार के काम करने का तरीका भी कॉरपोरेशन की तरह है. यही वजह है कि प्रत्येक जानकारी को लेकर सरकार की पैनी नजर बनी रहती है. राहुल ने कहा कि भारत और अमेरिका, दोनों जगहों पर चीन की तरह काम नहीं होता है और यह ठीक नहीं है. राहुल ने कहा कि अमेरिका तो अपने आप को नेचर से भी बड़ा मानता है.
जम्मू कश्मीर को लेकर भी राहुल ने ऐसा बयान दिया है, जिस पर पार्टी को डिफेंड करने में मुश्किल आ सकती है. राहुल ने जम्मू कश्मीर को तथाकथित हिंसक जगह बताया है. राहुल ने पुलवामा हमले को कार बम अटैक बताया, न कि आतंकी हमला.
कश्मीर का जिक्र कर बोले, 'कुछ दूरी से घूर रहे थे आतंकी' : राहुल ने कहा कि 'कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मुझे पैदल चलने से रोका गया. लेकिन मैंने यात्रा नहीं छोड़ी. यात्रा के दौरान एक व्यक्ति मेरे पास आया और पूछने लगा कि आप वास्तव में हमें सुनने के लिए यहां आए हैं. फिर वह कहता है, 'तुम वहां उन लोगों को देख रहे हो?' मैंने पूछा कि कौन हैं. वह कहता है, वहां के लड़के कहते हैं वे मिलिटेंट हैं. वह कहता है कि वे आपको देख रहे हैं.'
राहुल ने कहा कि 'मैं उन्हें देखता हूं और वे मुझे इस तरह का लुक दे रहे हैं और मुझे लगता है, ठीक है, मैं अब मुश्किल में हूं क्योंकि इस आदमी ने अभी मुझे यह बताया है ... वे मुझे ऐसा लुक (घूरने) देते हैं और मैं उन्हें बार-बार ऐसा लुक देता हूं हम चलते जाते हैं. कुछ नहीं होता है. मैं आपको यह इसलिए बता रहा हूं क्योंकि वे वास्तव में कुछ नहीं कर सकते थे. वास्तव में उनमें चाहकर भी कुछ करने की शक्ति नहीं थी.'
भारत के लोकतंत्र पर भी बोले राहुल : राहुल ने भारत के लोकतंत्र को लेकर भी बात की. राहुल ने कहा कि 'भारतीय लोकतंत्र दबाव में है, हमले के अधीन है. मैं भारत में एक विपक्षी नेता हूं और हम उस स्थान को नेविगेट कर रहे हैं. हो क्या रहा है कि लोकतंत्र के लिए जिस संस्थागत ढांचे की जरूरत है- संसद, स्वतंत्र प्रेस, न्यायपालिका- सिर्फ लामबंदी का विचार, बस घूमने का विचार... ये सब विवश हो रहे हैं. इसलिए, हम भारतीय लोकतंत्र की मूल संरचना पर हमले का सामना कर रहे हैं.'