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पेगासस विवाद : निशाने पर राहुल और उनके करीबी ? - द वायर राहुल गांधी पेगासस

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उनके करीबी अलंकार सवाई और सचिन राव पेगासस के निशाने पर थे. राहुल के करीबी दो महिलाओं का भी इसमें नाम शामिल है. एक वेबसाइट ने दावा किया है कि 2019 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को टारजेट किया गया था. उन पर करीब से नजर रखी जा रही थी. लेकिन क्या राहुल गांधी के मोबाइल की फोरेंसिक जांच हुई या नहीं, इस पर भी वेबसाइट ने बड़ा खुलासा किया है.

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी
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Published : Jul 19, 2021, 7:52 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 8:57 PM IST

हैदराबाद : संसद सत्र की शुरुआत होने से एक दिन पहले पेगासस जासूसी विवाद ने राजनीति और मीडिया जगत में हलचल पैदा कर दी है. ऑनलाइन वेबसाइट 'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कम से कम 300 भारतीय मोबाइल नंबर टारजेट पर थे. इजरायली सर्विलांस टेक्नोलॉजी वेंडर एनएसओ ग्रुप के जरिए जासूसी की गई थी. एनएसओ का क्लाइंट भारत में भी है.

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निशाने पर राहुल तो थे ही, साथ ही उनके करीबियों पर भी नजर बनी हुई थी. उनके ये करीबी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. हालांकि, वे सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नहीं रहते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि एनएसओ ग्रुप का डेटा लीक हुआ. फ्रेंच मीडिया 'नन प्रोफिट फॉरबिडन स्टोरीज' ने इसे प्राप्त किया. और उसने इसे 16 न्यूज संस्थाओं के साथ साझा किया. इनमें द वायर, द गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ल मोंद भी शामिल हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के तकनीकी लैब ने इस सूची में शामिल फोन की फॉरेंसिक जांच की. इनमें से 37 डिवाइस में पेगासस स्पायवेयर मौजूद था. इन 37 में से 10 भारतीय शामिल हैं.

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि राहुल गांधी जिस मोबाइल का इस्तेमाल करते थे, उसकी फोरेंसिक जांच नहीं हो पाई, क्योंकि वह इस फोन का इस्तेमाल 2018 और 2019 के बीच किया करते थे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि बिना फॉरेंसिक जांच के यह कह पाना कठिन है कि उनके फोन में पेगासस डाला गया था या नहीं. लेकिन उनके करीबियों पर जिस तरीके से नजर बनाकर रखी गई थी, यह दर्शाता है कि राहुल की मौजूदगी इत्तेफाक नहीं है.

'द वायर' ने राहुल गांधी के हवाले से लिखा है कि जैसे ही उन्हें संदिग्ध व्हाट्सऐप मैसेज मिले थे, उन्होंने अपना नंबर बदल लिया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली कंपनी एनएसओ अपनी सेवा सिर्फ सरकार को ही प्रदान करती है. हालांकि, एनएसओ ने उस एजेंसी का खुलासा नहीं किया है, जिसे वह अपनी सेवा प्रदान करती है.

खबरों के मुताबिक क्योंकि मोदी सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि उसने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं. लिहाजा शक और भी गहरा हो जाता है.

वेबसाइट में लिखा गया है कि क्योंकि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ कैंपेन कर रहे थे, लिहाजा उनका नाम इस सूची में आना, गंभीर सवाल खड़े करता है.

1972 में अमेरिका में रिचर्ड निक्सन ने अपने राजनीतिक विरोधियों के कार्यालयों की जासूसी करवाई थी. मामला तूल पकड़ने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. इसे वॉटरगेट स्कैंडल के रूप में जाना जाता है.

वेबसाइट ने राहुल के हवाले से लिखा है कि जासूसी का यह कदम लोकतांत्रिक नींव पर हमला है. उन्होंने कहा कि इसकी गहन जांच होनी चाहिए और जो भी लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनकी पहचान उजागर हो और उन्हें सजा मिले.

रिपोर्ट में राहुल को दो करीबियों का नाम बताया गया है. ये हैं अलंकार सवाई और सचिन राव. राव कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं. सवाई राहुल गांधी के कार्यालय से जुड़े हुए हैं. सवाई का फोन चोरी हो गया. लिहाजा, उनकी भी जांच नहीं की जा सकी. राहुल के करीबियों में दो महिलाएं भी हैं, जिनका फोन निगरानी में था.

ये भी पढ़ें : Pegasus Case : 'फोन टैपिंग की रिपोर्ट गलत, लीक डेटा में तथ्य सही नहीं'

ये भी पढ़ें : पेगासस पर राजनीति : कांग्रेस ने मांगा शाह का इस्तीफा, मोदी की भी हो जांच

हैदराबाद : संसद सत्र की शुरुआत होने से एक दिन पहले पेगासस जासूसी विवाद ने राजनीति और मीडिया जगत में हलचल पैदा कर दी है. ऑनलाइन वेबसाइट 'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कम से कम 300 भारतीय मोबाइल नंबर टारजेट पर थे. इजरायली सर्विलांस टेक्नोलॉजी वेंडर एनएसओ ग्रुप के जरिए जासूसी की गई थी. एनएसओ का क्लाइंट भारत में भी है.

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि निशाने पर राहुल तो थे ही, साथ ही उनके करीबियों पर भी नजर बनी हुई थी. उनके ये करीबी सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. हालांकि, वे सार्वजनिक जीवन में सक्रिय नहीं रहते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि एनएसओ ग्रुप का डेटा लीक हुआ. फ्रेंच मीडिया 'नन प्रोफिट फॉरबिडन स्टोरीज' ने इसे प्राप्त किया. और उसने इसे 16 न्यूज संस्थाओं के साथ साझा किया. इनमें द वायर, द गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ल मोंद भी शामिल हैं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के तकनीकी लैब ने इस सूची में शामिल फोन की फॉरेंसिक जांच की. इनमें से 37 डिवाइस में पेगासस स्पायवेयर मौजूद था. इन 37 में से 10 भारतीय शामिल हैं.

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि राहुल गांधी जिस मोबाइल का इस्तेमाल करते थे, उसकी फोरेंसिक जांच नहीं हो पाई, क्योंकि वह इस फोन का इस्तेमाल 2018 और 2019 के बीच किया करते थे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि बिना फॉरेंसिक जांच के यह कह पाना कठिन है कि उनके फोन में पेगासस डाला गया था या नहीं. लेकिन उनके करीबियों पर जिस तरीके से नजर बनाकर रखी गई थी, यह दर्शाता है कि राहुल की मौजूदगी इत्तेफाक नहीं है.

'द वायर' ने राहुल गांधी के हवाले से लिखा है कि जैसे ही उन्हें संदिग्ध व्हाट्सऐप मैसेज मिले थे, उन्होंने अपना नंबर बदल लिया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली कंपनी एनएसओ अपनी सेवा सिर्फ सरकार को ही प्रदान करती है. हालांकि, एनएसओ ने उस एजेंसी का खुलासा नहीं किया है, जिसे वह अपनी सेवा प्रदान करती है.

खबरों के मुताबिक क्योंकि मोदी सरकार ने अब तक यह नहीं बताया है कि उसने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं. लिहाजा शक और भी गहरा हो जाता है.

वेबसाइट में लिखा गया है कि क्योंकि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ कैंपेन कर रहे थे, लिहाजा उनका नाम इस सूची में आना, गंभीर सवाल खड़े करता है.

1972 में अमेरिका में रिचर्ड निक्सन ने अपने राजनीतिक विरोधियों के कार्यालयों की जासूसी करवाई थी. मामला तूल पकड़ने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. इसे वॉटरगेट स्कैंडल के रूप में जाना जाता है.

वेबसाइट ने राहुल के हवाले से लिखा है कि जासूसी का यह कदम लोकतांत्रिक नींव पर हमला है. उन्होंने कहा कि इसकी गहन जांच होनी चाहिए और जो भी लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनकी पहचान उजागर हो और उन्हें सजा मिले.

रिपोर्ट में राहुल को दो करीबियों का नाम बताया गया है. ये हैं अलंकार सवाई और सचिन राव. राव कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं. सवाई राहुल गांधी के कार्यालय से जुड़े हुए हैं. सवाई का फोन चोरी हो गया. लिहाजा, उनकी भी जांच नहीं की जा सकी. राहुल के करीबियों में दो महिलाएं भी हैं, जिनका फोन निगरानी में था.

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Last Updated : Jul 19, 2021, 8:57 PM IST
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