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क्वाड चार लोकतंत्रों के लिए एक समूह के रूप में काम करने का अवसर : अमेरिकी एनएसए

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Published : Mar 13, 2021, 10:27 PM IST

चार क्वाड देशों के प्रमुखों की शुक्रवार को हुई पहली बैठक को लेकर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि क्वाड एक सैन्य गठबंधन नहीं है, यह एक नया NATO नहीं है. इसको लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा है. पढ़िए संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

क्वाड
क्वाड

नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने शुक्रवार को आयोजित पहले क्वाड शिखर सम्मेलन की वर्चुअल बैठक में हुई डील के बारे में व्हाइट हाउस को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि चीन पर लगाम लगाने के लिए नाटो जैसे एक नए सैन्य-रणनीतिक मोर्चे क्वाड को आकार देने पर चर्चा हुई. एक सवाल के जवाब में सुलिवन ने कहा कि क्वाड एक सैन्य गठबंधन नहीं है, यह एक नया NATO नहीं है. इसको लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह क्वाड में शामिल चार लोकतंत्रों के लिए एक समूह के रूप में काम करने का अवसर है, यह अन्य देशों के साथ, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, जलवायु और सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों को लेकर साथ काम कर सकता है.

उन्होंने कहा, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं कि वह किस तरह सुरक्षा देगा, इसलिए हमें उभरते हुए इस इंस्टीट्यूशन (क्वाड) को परिभाषित करने के लिए काम करना होगा.

हम जानते हैं कि व्यापक समुद्री सुरक्षा पहले से ही क्वाड एजेंडा के लिए महत्वपूर्ण है. साथ ही मानवीय सहायता और आपदा से निपटने के लिए हमारे सौनिकों को स्थान देना पहले से ही एजेंडा में शामिल है.

यहां हम नेविगेशन की आजादी से लेकर व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा सवालों तक हर चीज पर काम कर रहे हैं, वहां सिर्फ नेताओं के स्तर पर ही नहीं, बल्कि हर स्तर पर काम करना पड़ेगा.

आगामी एंकोरेज वार्ता

सुलिवन ने कहा कि अमेरिका ने अप्रत्याशित रूप से अलास्का के एंकोरेज में 18-19 मार्च को उच्च स्तरीय रणनीतिक वार्ता के लिए चीन को आमंत्रित किया है. बैठक में चीन के वरिष्ठ राजनयिक, विदेश मंत्री वांग यी, यांग जिएची शामिल होंगे, जबकि अमेरिका का प्रतिनिधित्व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और सुलिवन करेंगे.

अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि एंकोरेज वार्ता के दौरान जो कुछ सामने आएगा वह क्वाड के कोर्स को भी निर्धारित करेगा. वह 20 मार्च को एंकरेज बैठक के अगले दिन नई दिल्ली का दौरा करेंगे. इस पर एक संक्षिप्त चर्चा करने की संभावना है. भारत से पहले ऑस्टिन, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर जाएंगे.

यह इस बात का सिग्नल है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन व्यवस्थित रूप से डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन विरोधी फोकस के साथ एक क्वाड खड़ा करने के फैसले को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

ट्रंप की स्कीम में नाटो की भूमिका सोवियत रूस को रोकना था, जिसने मुख्य रूप से चीन पर केंद्रित अमेरिकी विदेश नीति को कमजोर कर दिया.

दूसरी ओर राष्ट्रपति बाइडेन ने आसियान की ओर झुकाव करके अमेरिका और पश्चिम की शक्ति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उपस्थिति को मजबूत करने के लिए उत्सुक है.

ऐसे में चीन पर ट्रंप की स्थिति को समाप्त करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाते हुए, बाइडेन ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (टीटीपीए) को फिर से जीवित करने का विकल्प चुन सकते हैं.

इस स्थिति में अमेरिका के लिए क्वाड सबसे बेहतर विकल्प रहेगा. इस की मदद से अमेरिका प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं का मुकाबला करने के लिए एक मंच तैयार कर रहा है, जैसे कि 2004 की विनाशकारी सुनामी या कोविड-19 महामारी जो वर्तमान में पूरी दुनिया में फैला है.

भारत की दुविधा

चीन पर अमेरिका की सख्ती नरम होने से भारत रणनीतिक दुविधा में पड़ जाएगा. 2017 के बाद से भारत ने क्वाड पर भारी निवेश किया था और इस प्रक्रिया में भारत ने ईरान के रूप में एक पारंपरिक दोस्त को भी खोया और पश्चिम एशिया में अमेरिकी स्थिति सहित कई पहलों में अमेरिका का प्रमुख समर्थन किया.

भारत को क्वाड के लिए मजबूत समर्थन ने इसे रूस को लेकर एक मुश्किल हालात में डाल दिया है, निस्संदेह हाल के दिनों में रूस भारत के सबसे मजबूत दोस्तों में से एक बनकर उभरा है. इसलिए बहुत जल्द, भारत को अपनी कूटनीति और रणनीति पर अंतिम रुख अपनाना पड़ सकता है. चाहे वह दो अन्य प्रमुख बहुपक्षीय प्लेटफार्मों - एससीओ और ब्रिक्स - जहां भारत एक सक्रिय सदस्य है, रूस और चीन के साथ अन्य लोगों के बीच क्वाड को प्राथमिकता देगा. विशेष रूप से, भारत इस वर्ष ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.

राज्य के स्वामित्व वाले चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने शुक्रवार को कहा कि भारत अमेरिका के करीब जा रहा है और 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद से भारत चीन विरोधी रुख के साथ आगे बढ़ रहा है.

दूसरी ओर भारत ने क्वाड को अधिक महत्व दिया है और चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए 'यूएस इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी को बढ़ावा दिया है, ताकि वह चीन पर लगाम लगा सके.

नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने शुक्रवार को आयोजित पहले क्वाड शिखर सम्मेलन की वर्चुअल बैठक में हुई डील के बारे में व्हाइट हाउस को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि चीन पर लगाम लगाने के लिए नाटो जैसे एक नए सैन्य-रणनीतिक मोर्चे क्वाड को आकार देने पर चर्चा हुई. एक सवाल के जवाब में सुलिवन ने कहा कि क्वाड एक सैन्य गठबंधन नहीं है, यह एक नया NATO नहीं है. इसको लेकर झूठा प्रचार किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह क्वाड में शामिल चार लोकतंत्रों के लिए एक समूह के रूप में काम करने का अवसर है, यह अन्य देशों के साथ, अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी, जलवायु और सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों को लेकर साथ काम कर सकता है.

उन्होंने कहा, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं कि वह किस तरह सुरक्षा देगा, इसलिए हमें उभरते हुए इस इंस्टीट्यूशन (क्वाड) को परिभाषित करने के लिए काम करना होगा.

हम जानते हैं कि व्यापक समुद्री सुरक्षा पहले से ही क्वाड एजेंडा के लिए महत्वपूर्ण है. साथ ही मानवीय सहायता और आपदा से निपटने के लिए हमारे सौनिकों को स्थान देना पहले से ही एजेंडा में शामिल है.

यहां हम नेविगेशन की आजादी से लेकर व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा सवालों तक हर चीज पर काम कर रहे हैं, वहां सिर्फ नेताओं के स्तर पर ही नहीं, बल्कि हर स्तर पर काम करना पड़ेगा.

आगामी एंकोरेज वार्ता

सुलिवन ने कहा कि अमेरिका ने अप्रत्याशित रूप से अलास्का के एंकोरेज में 18-19 मार्च को उच्च स्तरीय रणनीतिक वार्ता के लिए चीन को आमंत्रित किया है. बैठक में चीन के वरिष्ठ राजनयिक, विदेश मंत्री वांग यी, यांग जिएची शामिल होंगे, जबकि अमेरिका का प्रतिनिधित्व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और सुलिवन करेंगे.

अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि एंकोरेज वार्ता के दौरान जो कुछ सामने आएगा वह क्वाड के कोर्स को भी निर्धारित करेगा. वह 20 मार्च को एंकरेज बैठक के अगले दिन नई दिल्ली का दौरा करेंगे. इस पर एक संक्षिप्त चर्चा करने की संभावना है. भारत से पहले ऑस्टिन, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा पर जाएंगे.

यह इस बात का सिग्नल है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन व्यवस्थित रूप से डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन विरोधी फोकस के साथ एक क्वाड खड़ा करने के फैसले को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

ट्रंप की स्कीम में नाटो की भूमिका सोवियत रूस को रोकना था, जिसने मुख्य रूप से चीन पर केंद्रित अमेरिकी विदेश नीति को कमजोर कर दिया.

दूसरी ओर राष्ट्रपति बाइडेन ने आसियान की ओर झुकाव करके अमेरिका और पश्चिम की शक्ति और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उपस्थिति को मजबूत करने के लिए उत्सुक है.

ऐसे में चीन पर ट्रंप की स्थिति को समाप्त करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाते हुए, बाइडेन ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (टीटीपीए) को फिर से जीवित करने का विकल्प चुन सकते हैं.

इस स्थिति में अमेरिका के लिए क्वाड सबसे बेहतर विकल्प रहेगा. इस की मदद से अमेरिका प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं का मुकाबला करने के लिए एक मंच तैयार कर रहा है, जैसे कि 2004 की विनाशकारी सुनामी या कोविड-19 महामारी जो वर्तमान में पूरी दुनिया में फैला है.

भारत की दुविधा

चीन पर अमेरिका की सख्ती नरम होने से भारत रणनीतिक दुविधा में पड़ जाएगा. 2017 के बाद से भारत ने क्वाड पर भारी निवेश किया था और इस प्रक्रिया में भारत ने ईरान के रूप में एक पारंपरिक दोस्त को भी खोया और पश्चिम एशिया में अमेरिकी स्थिति सहित कई पहलों में अमेरिका का प्रमुख समर्थन किया.

भारत को क्वाड के लिए मजबूत समर्थन ने इसे रूस को लेकर एक मुश्किल हालात में डाल दिया है, निस्संदेह हाल के दिनों में रूस भारत के सबसे मजबूत दोस्तों में से एक बनकर उभरा है. इसलिए बहुत जल्द, भारत को अपनी कूटनीति और रणनीति पर अंतिम रुख अपनाना पड़ सकता है. चाहे वह दो अन्य प्रमुख बहुपक्षीय प्लेटफार्मों - एससीओ और ब्रिक्स - जहां भारत एक सक्रिय सदस्य है, रूस और चीन के साथ अन्य लोगों के बीच क्वाड को प्राथमिकता देगा. विशेष रूप से, भारत इस वर्ष ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है.

राज्य के स्वामित्व वाले चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने शुक्रवार को कहा कि भारत अमेरिका के करीब जा रहा है और 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद से भारत चीन विरोधी रुख के साथ आगे बढ़ रहा है.

दूसरी ओर भारत ने क्वाड को अधिक महत्व दिया है और चीन के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए 'यूएस इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी को बढ़ावा दिया है, ताकि वह चीन पर लगाम लगा सके.

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