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भारत में 46 प्रतिशत शिक्षकों को पढ़ाने में मुश्किलें, थकान और ऊर्जा की कमी : रिपोर्ट - qs report on faculty

क्यूएस आईजीएयूजीई द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 46 प्रतिशत से अधिक शिक्षक अत्याधिक थकान और ऊर्जा की कमी का सामना कर रहे हैं.

शिक्षक पढ़ाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं
शिक्षक पढ़ाने में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं
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Published : Dec 15, 2020, 6:01 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में 46 प्रतिशत से अधिक शिक्षक कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल कौशल में सुधार करते हुए अध्यापन कार्य के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिसके कारण वे अत्याधिक थकान और ऊर्जा की कमी का सामना कर रहे हैं. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

यह रिपोर्ट क्यूएस आईजीएयूजीई द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है, जो लंदन के क्वाक्वारेली सिमंड्स (क्यूएस) द्वारा आयोजित पूर्ण परिचालन नियंत्रण के जरिए भारत में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अंक देता है, जो विश्व के प्रतिष्टित विश्वविद्यालय के साथ क्रमांकन में काम आता है. देश भर के 1,700 से अधिक शिक्षकगणों ने इस संकाय अकादमिक समीक्षा (एफएआरई), 2020 सर्वेक्षण में भाग लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षण कोविड-19 से पहले की तरह नहीं है. शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, नौकरी की सुरक्षा, आर्थिक और कई अन्य चिंताओं का भावनात्मक बोझ शिक्षकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल संकाय सदस्यों में से कम से 46 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी डिजिटल दक्षताओं और कौशल में सुधार करने के लिए लगातार सीखने पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

पढ़ें : मनोचिकित्सक बोले, कोरोना काल में अवसाद भी ले सकता है महामारी का रूप

रिपोर्ट में पूरी तरह से नए उपकरणों के साथ एक अपरिचित माध्यम से शिक्षण, शिक्षार्थियों को पढ़ाने में कठिनाई और उन्हें पढ़ाते समय जवाब देने और उनका सहयोग करने के दौरान शिक्षकों के समक्ष पेश आ रही प्रमुख चुनौतियों जैसे कारकों का हवाला दिया गया है.

नई दिल्ली : भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों में 46 प्रतिशत से अधिक शिक्षक कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल कौशल में सुधार करते हुए अध्यापन कार्य के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिसके कारण वे अत्याधिक थकान और ऊर्जा की कमी का सामना कर रहे हैं. एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

यह रिपोर्ट क्यूएस आईजीएयूजीई द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है, जो लंदन के क्वाक्वारेली सिमंड्स (क्यूएस) द्वारा आयोजित पूर्ण परिचालन नियंत्रण के जरिए भारत में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को अंक देता है, जो विश्व के प्रतिष्टित विश्वविद्यालय के साथ क्रमांकन में काम आता है. देश भर के 1,700 से अधिक शिक्षकगणों ने इस संकाय अकादमिक समीक्षा (एफएआरई), 2020 सर्वेक्षण में भाग लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षण कोविड-19 से पहले की तरह नहीं है. शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, नौकरी की सुरक्षा, आर्थिक और कई अन्य चिंताओं का भावनात्मक बोझ शिक्षकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण में शामिल संकाय सदस्यों में से कम से 46 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी डिजिटल दक्षताओं और कौशल में सुधार करने के लिए लगातार सीखने पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

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रिपोर्ट में पूरी तरह से नए उपकरणों के साथ एक अपरिचित माध्यम से शिक्षण, शिक्षार्थियों को पढ़ाने में कठिनाई और उन्हें पढ़ाते समय जवाब देने और उनका सहयोग करने के दौरान शिक्षकों के समक्ष पेश आ रही प्रमुख चुनौतियों जैसे कारकों का हवाला दिया गया है.

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