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प्यारे मियां यौन शोषण मामले में NCPCR ने खारिज की महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट - Women and Child Department

प्यारे मियां यौन शोषण मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. NCPCR का कहना है कि जांच आधी अधूरी है. मामले में आठ बिंदुओं पर जांच की जानी थी लेकिन रिपोर्ट में इन बिंदुओं की जांच स्पष्ट नहीं है.

यौन शोषण मामला
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Published : Feb 10, 2021, 1:33 PM IST

भोपाल : हाई प्रोफाइल प्यारे मियां यौन शोषण केस में पिछले दिनों हुई नाबालिग की मौत के मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम जांच कर रही थी. 7 दिन की जांच टीम ने 10 दिन में पूरी की और मंगलवार को रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को सौंप दी थी. रिपोर्ट देखने के बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि जांच के लिए जो बिंदु दिये गये थे उसके अनुसार जांच नहीं हो पाई है और जांच आधी अधूरी रह गई है. जिसके बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने रिपोर्ट खारिज कर दी है.
अधूरी जांच के साथ भेजी रिपोर्ट
प्यारे मियां यौन शोषण केस की पीड़िता की मौत के बाद जांच चार अलग-अलग टीम को सौंपी गई थी. जिसमें बाल एवं महिला आयोग भी शामिल था. एसआईटी भी गठित की गई थी. वहीं मजिस्ट्रियल जांच भी चल रही है. उसके बावजूद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अधिकारी भी भोपाल जांच करने पहुंचे थे. इस मामले में जांच के बाद बाल एवं महिला आयोग को 7 दिन में रिपोर्ट पेश करनी थी. जिसमें मृतका के मौत के कारणों का पता लगाना था. लेकिन बाल एवं महिला आयोग की टीम इसमें यह तक भी नहीं पता लगा पाई कि आखिरकार नाबालिग के पास नींद की गोलियां कैसे पहुंची थीं और किसके कहने पर उसे यह गोलियां दी जा रही थीं.

नाबालिग को हॉस्पिटल में भर्ती करने का समय भी अलग-अलग बताया
नाबालिग की तबीयत बिगड़ने पर उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उसका भी समय अलग-अलग बताया गया है. जांच रिपोर्ट में दो अलग-अलग कागज में अलग-अलग समय लिखे हुए थे. जिसमें बताया गया कि नाबालिग को किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी. पेट में दर्द था, जिसके चलते उसे ओआरएस (Ors) का घोल दिया जा रहा था. उसके बाद जब उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उसे जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में भर्ती कराने का समय एक रिपोर्ट में 4:30 बजे के बीच बताया गया तो दूसरी रिपोर्ट में 7:00 बजे बताया गया है.


बाल आयोग की टीम ने फिर से जानकारी मांगी
बाल एवं महिला विकास विभाग द्वारा दो जांच की गई है. उससे बाल आयोग की टीम संतुष्ट नहीं है और इसलिए बाल एवं महिला विकास विभाग की टीम ने फिर से जानकारी मांगी है. इसमें सही जांच और बिंदुवार जांच करने की बात भी कही है. सारी जांच 8 बिंदुओं पर ही आधारित है. इन्हीं 8 बिंदुओं पर मजिस्ट्रियल और एसआईटी जांच भी की जा रही है. महिला एवं बाल विकास ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें इन 8 बिंदुओं की जांच स्पष्ट नहीं है.

कौन है प्यारे मियां ?

तथाकथित पत्रकार प्यारे मियां पर पिछले साल जुलाई में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. आरोप है कि प्यारे मियां शाहपुरा स्थित विष्णु हाईटेक सिटी के एक फ्लैट में नाबालिग बच्चियों को शराब पिलाकर उनका यौन शोषण करता था. इस मामले में शाहपुरा पुलिस चालान पेश कर चुकी है और अब संबंधित पक्षों के बयान हो रहे हैं.

गरीब तबके की बच्चियां थीं निशाने पर

पुलिस ने चार्जशीट में बताया कि आरोपी प्यारे मियां गरीब तबके की नाबालिग बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था. बदले में बच्चियों के माता-पिता को कुछ पैसे दे देता था. उन्हें गंदी फिल्में दिखाता और शराब पिलाकर डांस करवाता था. विरोध करने पर जान से मारने की धमकी देता था.

पढ़ें : पश्चिम बंगाल सरकार ने कई आईएएस अधिकारियों के तबादले किए

फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा केस

प्यारे मियां यौन शोषण मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है. एक नाबालिग की मौत के बाद बयान दर्ज होना शुरू हुए. मामले में SIT भी चालान पेश कर चुकी है.

क्या है मामला?
शासकीय बाल गृह में 18 जनवरी को पीड़िता ने नींद की गोलियां खा ली थीं. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. पीड़िता की मौत के बाद पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां पुलिस की निगरानी में विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में पीड़िता ही फरियादी भी थी. जिसके बाद मामले की जांच 4 अलग-अलग टीम को सौंपी गई थी.

भोपाल : हाई प्रोफाइल प्यारे मियां यौन शोषण केस में पिछले दिनों हुई नाबालिग की मौत के मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम जांच कर रही थी. 7 दिन की जांच टीम ने 10 दिन में पूरी की और मंगलवार को रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को सौंप दी थी. रिपोर्ट देखने के बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि जांच के लिए जो बिंदु दिये गये थे उसके अनुसार जांच नहीं हो पाई है और जांच आधी अधूरी रह गई है. जिसके बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने रिपोर्ट खारिज कर दी है.
अधूरी जांच के साथ भेजी रिपोर्ट
प्यारे मियां यौन शोषण केस की पीड़िता की मौत के बाद जांच चार अलग-अलग टीम को सौंपी गई थी. जिसमें बाल एवं महिला आयोग भी शामिल था. एसआईटी भी गठित की गई थी. वहीं मजिस्ट्रियल जांच भी चल रही है. उसके बावजूद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अधिकारी भी भोपाल जांच करने पहुंचे थे. इस मामले में जांच के बाद बाल एवं महिला आयोग को 7 दिन में रिपोर्ट पेश करनी थी. जिसमें मृतका के मौत के कारणों का पता लगाना था. लेकिन बाल एवं महिला आयोग की टीम इसमें यह तक भी नहीं पता लगा पाई कि आखिरकार नाबालिग के पास नींद की गोलियां कैसे पहुंची थीं और किसके कहने पर उसे यह गोलियां दी जा रही थीं.

नाबालिग को हॉस्पिटल में भर्ती करने का समय भी अलग-अलग बताया
नाबालिग की तबीयत बिगड़ने पर उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उसका भी समय अलग-अलग बताया गया है. जांच रिपोर्ट में दो अलग-अलग कागज में अलग-अलग समय लिखे हुए थे. जिसमें बताया गया कि नाबालिग को किसी भी तरह की कोई बीमारी नहीं थी. पेट में दर्द था, जिसके चलते उसे ओआरएस (Ors) का घोल दिया जा रहा था. उसके बाद जब उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उसे जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में भर्ती कराने का समय एक रिपोर्ट में 4:30 बजे के बीच बताया गया तो दूसरी रिपोर्ट में 7:00 बजे बताया गया है.


बाल आयोग की टीम ने फिर से जानकारी मांगी
बाल एवं महिला विकास विभाग द्वारा दो जांच की गई है. उससे बाल आयोग की टीम संतुष्ट नहीं है और इसलिए बाल एवं महिला विकास विभाग की टीम ने फिर से जानकारी मांगी है. इसमें सही जांच और बिंदुवार जांच करने की बात भी कही है. सारी जांच 8 बिंदुओं पर ही आधारित है. इन्हीं 8 बिंदुओं पर मजिस्ट्रियल और एसआईटी जांच भी की जा रही है. महिला एवं बाल विकास ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें इन 8 बिंदुओं की जांच स्पष्ट नहीं है.

कौन है प्यारे मियां ?

तथाकथित पत्रकार प्यारे मियां पर पिछले साल जुलाई में नाबालिगों के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. आरोप है कि प्यारे मियां शाहपुरा स्थित विष्णु हाईटेक सिटी के एक फ्लैट में नाबालिग बच्चियों को शराब पिलाकर उनका यौन शोषण करता था. इस मामले में शाहपुरा पुलिस चालान पेश कर चुकी है और अब संबंधित पक्षों के बयान हो रहे हैं.

गरीब तबके की बच्चियां थीं निशाने पर

पुलिस ने चार्जशीट में बताया कि आरोपी प्यारे मियां गरीब तबके की नाबालिग बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था. बदले में बच्चियों के माता-पिता को कुछ पैसे दे देता था. उन्हें गंदी फिल्में दिखाता और शराब पिलाकर डांस करवाता था. विरोध करने पर जान से मारने की धमकी देता था.

पढ़ें : पश्चिम बंगाल सरकार ने कई आईएएस अधिकारियों के तबादले किए

फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा केस

प्यारे मियां यौन शोषण मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा है. एक नाबालिग की मौत के बाद बयान दर्ज होना शुरू हुए. मामले में SIT भी चालान पेश कर चुकी है.

क्या है मामला?
शासकीय बाल गृह में 18 जनवरी को पीड़िता ने नींद की गोलियां खा ली थीं. जिससे उसकी तबीयत बिगड़ी और हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान बच्ची की मौत हो गई. पीड़िता की मौत के बाद पुलिस शव को हमीदिया अस्पताल से सीधे भदभदा विश्राम घाट ले गई. जहां पुलिस की निगरानी में विश्राम घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्यारे मियां नाबालिग यौन शोषण मामले में पीड़िता ही फरियादी भी थी. जिसके बाद मामले की जांच 4 अलग-अलग टीम को सौंपी गई थी.

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