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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पुरोला महापंचायत पर याचिकाकर्ता से मांगा शपथपत्र, 14 दिसंबर को अगली सुनवाई - महापंचायत पर रोक लगाने की जनहित याचिका

उत्तराखंड हाईकोर्ट में पुरोला महापंचायत मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने महापंचायत पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से 6 हफ्ते में शपथपत्र पेश करने को कहा है.

UTTARAKHAND HC
उत्तराखंड हाईकोर्ट
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Published : Jul 18, 2023, 5:25 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी के पुरोला में धार्मिक संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से 6 हफ्ते में शपथपत्र पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 दिसंबर की तिथि नियत की है.

पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि इस तरह के मामलों में सरकार सख्ती से विधि अनुसार कार्रवाई करे. साथ में यह भी कहा था कि इस तरह के मामलों में कोई टीवी डिबेट शो नहीं होंगे और ना ही सोशल मीडिया पर मामला उछाला जाएगा. कोर्ट ने सरकार से कहा था कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, उनके खिलाफ कार्रवाई करें. एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने जनहित याचिका दायर की है.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुरोला की एक नाबालिग लड़की को दो युवकों द्वारा बहला फुसलाकर भगाने के बाद पुरोला में सांप्रदायिक तनाव बना. हालांकि, आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. इसके बाद पुरोला से धर्म विशेष की दुकानों को खाली कराया गया और उन दुकानों के बाहर धार्मिक संगठन ने चेतावनी भरे पोस्टर लगाए. उन्होंने महापंचायत में धार्मिक संगठनों के नेताओं द्वारा 'हेट स्पीच' दिए जाने की आशंका जताई. जिससे सांप्रदायिक माहौल खराब होगा.
ये भी पढ़ें: पुरोला में पटरी पर लौट रही मुस्लिम परिवारों की 'जिंदगी', खुलने लगी दुकानें

ये है पूरा मामला: गौरतलब है कि 26 मई को पुरोला में नाबालिग लड़की को भगाने की घटना घटी. इसमें उबैद खान और जितेंद्र सैनी नाम के युवकों पर लड़की भगाने का आरोप लगा. उसी दिन पुलिस द्वारा दोनों युवकों को गिरफ्तार किया गया. धीरे-धीरे मामला पूरे पुरोला तक पहुंच गया और मामले को लव जिहाद से जोड़ दिया गया. इससे निशाने पर पुरोला के बाहरी व्यापारी और मुस्लिम समुदाय के लोग आ गए और 27 मई को पुरोला से मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया. 4 जून को हिंदू संगठनों द्वारा धमकी भरे पोस्टर लगाकर पुरोला छोड़ने की चेतावनी दी गई. इसके बाद 15 जून को पुरोला में हिंदू संगठनों द्वारा महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया गया. हालांकि, शासन-प्रशासन ने 14 जून की रात ही पुरोला में धारा 144 लगा दी, जिसके बाद हिंदू संगठनों को महापंचायत अनिश्चितकाल के लिए रद्द करनी पड़ी.
ये भी पढ़ें: लव जिहाद की आग में सुलगता 'उत्तर का काशी', गंगा-जमुनी तहजीब की भूमि पर उगी 'नफरत की फसल'!

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी के पुरोला में धार्मिक संगठनों द्वारा बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से 6 हफ्ते में शपथपत्र पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 दिसंबर की तिथि नियत की है.

पूर्व में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि इस तरह के मामलों में सरकार सख्ती से विधि अनुसार कार्रवाई करे. साथ में यह भी कहा था कि इस तरह के मामलों में कोई टीवी डिबेट शो नहीं होंगे और ना ही सोशल मीडिया पर मामला उछाला जाएगा. कोर्ट ने सरकार से कहा था कि जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, उनके खिलाफ कार्रवाई करें. एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने जनहित याचिका दायर की है.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुरोला की एक नाबालिग लड़की को दो युवकों द्वारा बहला फुसलाकर भगाने के बाद पुरोला में सांप्रदायिक तनाव बना. हालांकि, आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. इसके बाद पुरोला से धर्म विशेष की दुकानों को खाली कराया गया और उन दुकानों के बाहर धार्मिक संगठन ने चेतावनी भरे पोस्टर लगाए. उन्होंने महापंचायत में धार्मिक संगठनों के नेताओं द्वारा 'हेट स्पीच' दिए जाने की आशंका जताई. जिससे सांप्रदायिक माहौल खराब होगा.
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ये है पूरा मामला: गौरतलब है कि 26 मई को पुरोला में नाबालिग लड़की को भगाने की घटना घटी. इसमें उबैद खान और जितेंद्र सैनी नाम के युवकों पर लड़की भगाने का आरोप लगा. उसी दिन पुलिस द्वारा दोनों युवकों को गिरफ्तार किया गया. धीरे-धीरे मामला पूरे पुरोला तक पहुंच गया और मामले को लव जिहाद से जोड़ दिया गया. इससे निशाने पर पुरोला के बाहरी व्यापारी और मुस्लिम समुदाय के लोग आ गए और 27 मई को पुरोला से मुस्लिम समुदाय के व्यापारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया. 4 जून को हिंदू संगठनों द्वारा धमकी भरे पोस्टर लगाकर पुरोला छोड़ने की चेतावनी दी गई. इसके बाद 15 जून को पुरोला में हिंदू संगठनों द्वारा महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया गया. हालांकि, शासन-प्रशासन ने 14 जून की रात ही पुरोला में धारा 144 लगा दी, जिसके बाद हिंदू संगठनों को महापंचायत अनिश्चितकाल के लिए रद्द करनी पड़ी.
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