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पुरी श्रीमंदिर में देवताओं के दर्शन पर राेक, जानें पूरा मामला - puri srimandir latest news

पुरी श्रीमंदिर (Puri Srimandir) में देवताओं के नियमित दर्शन पर आज चार घंटे तक के लिए राेक रहेगी.

पुरी
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Published : Aug 25, 2021, 3:32 PM IST

पुरी : ओडिशा के पुरी श्रीमंदिर (Puri Srimandir) में देवताओं के नियमित दर्शन आज शाम साढ़े तीन बजे से शाम साढ़े सात बजे तक चार घंटे के लिए प्रतिबंधित है.

'बनका लागी' (Banaka Lagi) परंपरा के मुताबिक पवित्र त्रिमूर्ति के दर्शन का अनुष्ठान इस दाैरान बंद रहेगा.

आपकाे बता दें कि पुरी श्रीमंदिर के भगवान सुदर्शन के साथ पवित्र त्रिमूर्ति (भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा) आज एक विशेष श्रृंगार अनुष्ठान के बाद एक नया रूप धारण करेंगे, जिसे 'बनका लागी' (‘Banaka Lagi)के नाम से जाना जाता है.

गुप्त अनुष्ठानों को देखते हुए अपराह्न साढ़े तीन बजे से शाम साढ़े सात बजे तक करीब चार घंटे तक देवी-देवताओं के सामान्य दर्शन प्रतिबंधित रहेंगे.

परंपरा के अनुसार, रथ यात्रा के बाद नीलाद्रि बीजे अनुष्ठान के बाद से शुरू होने वाले देवताओं के 'श्रृंगार' अनुष्ठान आम तौर पर साल में सात से आठ बार आयोजित किए जाते हैं.

इसे भी पढ़ें :जगन्नाथ पुरी मंदिर के देवताओं का जन्मस्थान है गुंडिचा मंदिर

संस्कृति विशेषज्ञों के अनुसार, इस दाैरान बनका लागी, 'बाना' का अर्थ है जंगल और 'लगी' का अर्थ लागू होता है. चार प्रकार के रंगों को तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ दुर्लभ वन उत्पाद- जैसे हरिताला (लाल), हेंगुला (पीला), शंख (सफेद) और काला देवताओं के चेहरे पर लगाया जाता है.

पुरी : ओडिशा के पुरी श्रीमंदिर (Puri Srimandir) में देवताओं के नियमित दर्शन आज शाम साढ़े तीन बजे से शाम साढ़े सात बजे तक चार घंटे के लिए प्रतिबंधित है.

'बनका लागी' (Banaka Lagi) परंपरा के मुताबिक पवित्र त्रिमूर्ति के दर्शन का अनुष्ठान इस दाैरान बंद रहेगा.

आपकाे बता दें कि पुरी श्रीमंदिर के भगवान सुदर्शन के साथ पवित्र त्रिमूर्ति (भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा) आज एक विशेष श्रृंगार अनुष्ठान के बाद एक नया रूप धारण करेंगे, जिसे 'बनका लागी' (‘Banaka Lagi)के नाम से जाना जाता है.

गुप्त अनुष्ठानों को देखते हुए अपराह्न साढ़े तीन बजे से शाम साढ़े सात बजे तक करीब चार घंटे तक देवी-देवताओं के सामान्य दर्शन प्रतिबंधित रहेंगे.

परंपरा के अनुसार, रथ यात्रा के बाद नीलाद्रि बीजे अनुष्ठान के बाद से शुरू होने वाले देवताओं के 'श्रृंगार' अनुष्ठान आम तौर पर साल में सात से आठ बार आयोजित किए जाते हैं.

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संस्कृति विशेषज्ञों के अनुसार, इस दाैरान बनका लागी, 'बाना' का अर्थ है जंगल और 'लगी' का अर्थ लागू होता है. चार प्रकार के रंगों को तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कुछ दुर्लभ वन उत्पाद- जैसे हरिताला (लाल), हेंगुला (पीला), शंख (सफेद) और काला देवताओं के चेहरे पर लगाया जाता है.

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