चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियमावली लागू किए जाने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा की आलोचना की है. उन्होंने सोमवार को दावा किया कि यह फैसला पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावनाओं के विरुद्ध है. मान ने ट्वीट कर कहा, 'केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन में अन्य राज्यों एवं सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से ला रही है. यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के खिलाफ है. चंडीगढ़ पर अपने अधिकारपूर्ण दावे के लिए पंजाब संघर्ष करेगा.'
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सोमवार को कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) केंद्र के इस फैसले का विरोध करेगी तथा इस मुद्दे पर 'सड़क से संसद' तक संघर्ष करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा-नीत केंद्र सरकार 'पंजाब-विरोधी फैसले' कर रही है. उन्होंने बीबीएमबी मुद्दे का भी उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार अब चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है.
चीमा ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से कहा कि केंद्र सरकार जान-बूझकर चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को दरकिनार करने के लिए कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि जब से पंजाब में आप की सरकार बनी है, और मान-नीत सरकार ने जनता के हितों से संबंधित फैसले करने शुरू किए हैं, तब से भाजपा-नीत केंद्र सरकार डरी हुई प्रतीत हो रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के संदर्भ में केंद्र सरकार ने एकतरफा फैसला लिया है और हितधारक पंजाब से संपर्क तक नहीं किया. यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की भावना के विपरीत है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं होगा, अलबत्ता उनका वेतन कम हो जाएगा.
अमित शाह की इस घोषणा पर भाजपा के कुछ विरोधी दलों ने त्वरित प्रतिक्रिया जताई है. कुछ नेताओं ने इसे 'पंजाब के अधिकारों पर एक और बड़ा कुठाराघात' करार दिया है. इससे पहले केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) नियमावली में बदलाव किए थे. अमित शाह द्वारा इस बाबत घोषणा किये जाने के बाद दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था कि वह (भाजपा) आम आदमी पार्टी के बढ़ते प्रभाव से डरी हुई है.
केंद्रीय गृह मंत्री के बयान के तुरंत बाद ट्वीट करते हुए सिसोदिया ने कहा कि शाह ने उस वक्त चंडीगढ़ के अधिकार पर धावा नहीं बोला था जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन जैसे ही आप की सरकार बनी, उन्होंने संबंधित निर्णय लिया है. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारी फिलहाल पंजाब सेवा नियमावली के तहत काम कर रहे हैं. शाह के अनुसार, केंद्र सरकार के इस कदम से कर्मचारियों को बहुत फायदा होगा, उनकी सेवानिवृत्ति की उम्र 58 साल से बढ़कर 60 साल हो जाएगी और महिला कर्मचारियों को दो साल का शिशु देखभाल अवकाश मिलेगा. अभी यह अवधि एक साल है.
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शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने शनिवार को ट्वीट किया था कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्र सरकार की नियमावली थोपने का गृह मंत्रालय का निर्णय पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावना का उल्लंघन है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. बीबीएमबी के शीर्ष अधिकारियों के लिए नियुक्ति नियमों में परिवर्तन को लेकर भी पंजाब और हरियाणा के विभिन्न राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार की आलोचना की है.