चंडीगढ़ : पंजाब में अभी तक डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो पाई है. पंजाब सरकार ने करीब सात दिन पहले केंद्र को डीजीपी पद के लिए 10 नामों की सूची भेजी थी. लेकिन अभी तक डीजीपी पद को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई. वहीं इकबाल प्रीत सिंह सहोता नई नियुक्ति नहीं होने तक पंजाब पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी संभालेंगे. प्रमुख गृह सचिव अनुराग वर्मा ने आज यहां जारी एक आदेश में कहा कि डीजीपी के पद पर नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी.
पंजाब सरकार ने भले ही 10 लोगों के नाम की सूची यूपीएससी को भेजी हो. लेकिन यूपीएससी की ओर से अभी तक राज्य सरकार को तीन नामों की सूची वापस नहीं भेजी गई है. वहीं मुख्यमंत्री यूपीएससी की ओर से सूची का इंतजार कर रहे हैं. बता दें, पीपीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिद्धू द्वारा बेअदबी मामले में बादल को क्लीन चिट देने पर सवाल उठाने के बाद सहोता की नियुक्ति विवाद में है.
सिद्धू ने अपनी सरकार पर ही साधा निशाना
नवजोत सिद्धू ने ट्वीट कर कहा था कि बेअदबी मामलों में इंसाफ और ड्रग्स मामलों के दोषियों पर कार्यवायी को लेकर हमारी सरकार 2017 में आई थी. लेकिन पिछ्ले मुख्यमंत्री की नाकामियों की वजह से लोगों ने उन्हें हटा दिया. अब एजी और डीजीपी की नियुक्ति पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कना जैसा है, ऐसे में उन्हें जल्द से जल्द हटाना होगा. नहीं तो हम मुंह नहीं दिखा पायेंगे.
क्या कहते हैं इस मामले में मुख्यमंत्री?
इधर इस मामले को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि डीजीपी की नियुक्ति कानून के मुताबिक की जाएगी. वह कहते हैं कि राज्य सरकार ने 30 साल से अधिक सर्विस वाले सभी अधिकारियों के नाम केंद्र को भेजे हैं. वे कहते हैं कि प्रदेश सरकार अब डीजीपी नियुक्त करने के लिए केंद्र की ओर से भेजे जाने वाले तीन अधिकारियों के नामों के पैनल का इंतजार कर रहे हैं. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि जैसे ही नामों की सूची उनको मिल जाएगी उसके बाद भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ-साथ सभी मंत्री और विधायकों से राय मशवरा कर डीजीपी का नाम तय करेंगे.
डीजीपी के मामले को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुखर दिखाई दे रहे हैं, तो वही मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी उम्मीद लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द केंद्र उन्हें तीन नाम की लिस्ट भेजेगा. इसके बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू के साथ-साथ अन्य मंत्री से चर्चा कर नए डीजीपी का ऐलान करेंगे. ऐसे में अगर यूपीएससी की ओर से मिलने वाली सूची में देरी होती है निश्चित तौर पर कि इस मामले को लेकर प्रदेश की राजनीति और गरमाएगी.
डीजीपी की नियुक्ति को लेकर क्या कहते हैं कांग्रेस के नेता
इधर इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता जीएस बाली कहते हैं कि उनकी सरकार ने केंद्र को सूची भेज दी है अब केंद्र का काम है कि वह वापस तीन नामों की सूची उनकी सरकार को दें और उसके बाद तुरंत सरकार बीजेपी की तैनाती कर देगी क्योंकि डीजीपी के राज्य नहीं चल सकता है. प्रदेश में इस समय जो मुख्यमंत्री हैं और पार्टी अध्यक्ष हैं वे दोनों चाहते हैं कि डीजीपी की तैनाती जल्द से जल्द हो. वे कहते हैं कि हमने तो केंद्र को नाम भेज दिए हैं अब उनकी ओर से जो समय लग रहा है. अगर नामों की लिस्ट जारी करने में केंद्र तीन चार दिनों का और समय लेता है तो ठीक नहीं तो उसके बाद राज्य सरकार को कोई ना कोई फैसला लेना होगा क्योंकि बगैर डीजीपी के पुलिस फोर्स नहीं चल सकती है. लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी पार्टी बिल्कुल नहीं चाहती है कि जो अधिकारी अकालियों के समय थे वे डीजीपी या एजी बने.
बेअदबी मामले में इंसाफ नहीं दिलाना चाहती सरकार - आप
आम आदमी पार्टी के नेता नील गर्ग का कहना है कि बेअदबी मामले में साढ़े 4 साल में पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कुछ किया, और ना ही यह चन्नी सरकार कुछ करना चाह रही है. जबकि कांग्रेस का यह बहुत बड़ा जनता से वादा था कि वे इस मामले में कार्रवाई करेंगे. वे कहते हैं कि भले ही सरकार ने 10 नामों की सूची केंद्र को भेजी हो लेकिन इनका इरादा इस मामले में इंसाफ देने का नहीं है। डीजीपी की नियुक्ति के नाम पर मौजूदा सरकार ड्रामा कर रही है और ब्याज भी मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास है.
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इस मामले में क्या कहते हैं पूर्व डीजीपी शशिकांत ?
वहीं डीजीपी की नियुक्ति को लेकर हो रही देरी के संबंध में जब पंजाब के पूर्व डीजीपी शशिकांत से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का काम केंद्र यानि यूपीएससी को अधिकारियों की सूची देना होता है, और यूपीएससी राज्य सरकार को 3 नाम फाइनल करके वापिस देती है. जब उनसे पूछा गया कि क्या यूपीएससी इसमें देरी कर सकती है, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कि समय को लेकर कोई विशेष गाइडलाइन नहीं है. लेकिन यूपीएससी को इसके संबंध में जल्द से जल्द फैसला कर लिस्ट राज्य सरकार को देनी होती है. वे मानते हैं कि इसमें 15 से 20 दिन भी लग सकते हैं. हालांकि जब हमने उनसे पूछा कि क्या इसमें देरी करने की राजनीति हो सकती है, तो उन्होंने कहा कि आज के दौर में किसी भी मामले में राजनीति से इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन वे मानते हैं कि इसको लेकर जल्द यूपीएससी अपना फैसला राज्य सरकार को भेजेगी.