लुधियाना/हैदराबाद: जब से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 अकेले लड़ने की घोषणा की है तब से पंजाब में राजनीतिक रंग चढ़ गया है. वहीं, यह साफ हो गया कि पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ बीएसपी का गठबंधन भी टूट गया है. सूत्रों के मुताबिक, दोनों पार्टियों के बीच काफी समय से अच्छे संबंध नहीं हैं.
यह घोषणा अकाली दल के लिए किसी झटके से कम नहीं है, क्योंकि अकाली दल ने अभी तक किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है. जबकि, वे बसपा के साथ गठबंधन में थे. हालांकि, अभी तक दोनों पार्टियों के प्रदेश नेताओं का कोई बयान सामने नहीं आया है.
अकाली दल की प्रतिक्रिया: बसपा सुप्रीमो मायावती के एलान के बाद पंजाब में अकाली दल के वरिष्ठ नेता महेश इंदर सिंह ग्रेवाल ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि अगर सीटों को लेकर कोई विवाद है तो उसे मिल-बैठकर सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बसपा के साथ हमारी अच्छी ट्यूनिंग है. अकाली दल को अभी भी गठबंधन की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पंजाब में बसपा-अकाली दल के अलग-अलग राजनीतिक समीकरण हैं.
तीन कृषि कानूनों के बाद किसान आंदोलन के दौरान शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी से अपना गठबंधन तोड़ दिया था और हरसिमरत कौर बादल ने किसानों के पक्ष में खड़े होकर केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद शिरोमणि अकाली दल और बसपा ने गठबंधन कर लिया. दोनों पार्टियों ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें से अकाली दल को तीन और बीएसपी को एक सीट पर जीत मिली थी. हालांकि, दोनों के बीच काफी समय से रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे. यहां तक कि दोनों की मुलाकात भी नहीं हो पा रही है. साथ ही शिरोमणि अकाली दल अपने कार्यक्रम में बसपा नेताओं को भी शामिल नहीं करता है.
20 सीटों पर चुनाव लड़ी बसपा: 2022 के चुनाव की बात करें तो पार्टी ने सिर्फ 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था. नवांशहर से बसपा के नछतर पाल ने जीत हासिल की थी. वहीं, दूसरी ओर अकाली दल ने 97 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनके खाते में सिर्फ तीन सीटें आईं. इतना ही नहीं 2017 में जहां 1.5 फीसदी वोट बीएसपी को मिले थे, वहीं 2022 में बीएसपी का वोट शेयर बढ़कर 1.77 फीसदी हो गया. अकाली दल का वोट प्रतिशत लगातार घट रहा है.