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पुडुचेरी मामले पर कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व जवाबदेही से बच नहीं सकता : राजनीतिक विश्लेषक - Puducherry Govt fall

पहले मध्य प्रदेश और अब पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिरने से कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठना वाजिब है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई का मानना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व जवाबदेही से बच नहीं सकता.

नारायणसामी
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Published : Feb 24, 2021, 11:08 PM IST

नई दिल्ली : पुडुचेरी में कांग्रेस की नारायणसामी सरकार गिरने के बाद से आरोप-प्रत्यारोप का दौर थम नहीं रहा है. पहले मध्य प्रदेश और अब पुडुचेरी में सरकार गिरने से कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठना वाजिब है.

कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल पैदा करने के लिए बीजेपी पर निशाना साध रही है, वहीं पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर भी सवाल उठाए गए हैं कि उसने सरकार बचाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की और सहयोगी दलों ने केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने का दावा नहीं किया.

राजनीतिक विश्लेषक

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने भी इस मामले पर अलग राय रखी.

किदवई ने 'ईटीवी भारत' कहा कि 'जाहिर है केंद्रीय नेतृत्व इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता कि वह पार्टी को एकजुट रखने में सक्षम नहीं है. लेकिन मुझे लगता है कि भले ही वे चाहते हों लेकिन राजनीति में सिद्धांतों और नैतिकता की कोई गुंजाइश नहीं है. इसका उदाहरण मध्य प्रदेश में दिखा जहां उनके पास अपना सबसे अच्छा आदमी कमलनाथ था लेकिन वह अपनी सरकार नहीं बचा सके.'

उन्होंने कहा कि दोष कांग्रेस पर है, लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिन पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता.'

किरण बेदी का भी किया जिक्र

उन्होंने कहा कि 'किरण बेदी ने केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल रहते हुए पुडुचेरी में राजनीतिक उथल-पुथल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नारायणसामी ने अक्सर निर्वाचित सरकार के काम में हस्तक्षेप करते हुए उन पर शासन प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया. उनके काम करने का जो तरीका था उसने विधायकों की कार्यशैली को प्रभावित किया.'

किदवई ने जोर देते हुए कहा कि 'गवर्नर या लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि उनमें से अधिकांश केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं. उनका जनादेश संविधान की रक्षा के लिए है. अब ऐसा हो गया है जैसे दो टीमें एक मैच खेल रही हैं और जिन्हें अंपायर माना जाता है वह निर्णायक की भूमिका में न रहकर एक टीम का बचाव करते हैं. यह अनुचित और अनैतिक है.'

भाजपा ने सबकुछ किया लेकिन समर्थन नहीं जुटा पाई : प्रमोद तिवारी

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी

उधर, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर निशाना साधा है. प्रमोद तिवारी ने आरोप लगाया है कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों और अन्य माध्यमों से विपक्षी विधायकों को अपनी पार्टियां छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है.

'ईटीवी भारत' से कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, 'कोई भी भाजपा में शामिल नहीं होना चाहता. उन्होंने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं. यहां तक ​​कि उन्होंने केंद्र में अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया लेकिन फिर भी वे पुडुचेरी में सरकार बनाने में असमर्थ हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे और इसीलिए जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया था, वे भाजपा का समर्थन करने के इच्छुक नहीं हैं.'

पढ़ें- इस्तीफे के बाद बोले नारायणसामी- लोकतंत्र की हत्या है, ऐसा कहीं नहीं होता

उन्होंने किरण बेदी पर भी निशाना साधते हुए कहा, 'किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का राज्यपाल केंद्र सरकार का एजेंट होता है. केंद्र सरकार ने ऐसी स्थिति बनाई थी कि निर्वाचित पुडुचेरी सरकार ठीक से काम नहीं कर पाए. किरण बेदी ने पुदुचेरी में अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं किया.'

नई दिल्ली : पुडुचेरी में कांग्रेस की नारायणसामी सरकार गिरने के बाद से आरोप-प्रत्यारोप का दौर थम नहीं रहा है. पहले मध्य प्रदेश और अब पुडुचेरी में सरकार गिरने से कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठना वाजिब है.

कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल पैदा करने के लिए बीजेपी पर निशाना साध रही है, वहीं पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर भी सवाल उठाए गए हैं कि उसने सरकार बचाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की और सहयोगी दलों ने केंद्र शासित प्रदेश में सरकार बनाने का दावा नहीं किया.

राजनीतिक विश्लेषक

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने भी इस मामले पर अलग राय रखी.

किदवई ने 'ईटीवी भारत' कहा कि 'जाहिर है केंद्रीय नेतृत्व इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता कि वह पार्टी को एकजुट रखने में सक्षम नहीं है. लेकिन मुझे लगता है कि भले ही वे चाहते हों लेकिन राजनीति में सिद्धांतों और नैतिकता की कोई गुंजाइश नहीं है. इसका उदाहरण मध्य प्रदेश में दिखा जहां उनके पास अपना सबसे अच्छा आदमी कमलनाथ था लेकिन वह अपनी सरकार नहीं बचा सके.'

उन्होंने कहा कि दोष कांग्रेस पर है, लेकिन कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिन पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता.'

किरण बेदी का भी किया जिक्र

उन्होंने कहा कि 'किरण बेदी ने केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल रहते हुए पुडुचेरी में राजनीतिक उथल-पुथल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नारायणसामी ने अक्सर निर्वाचित सरकार के काम में हस्तक्षेप करते हुए उन पर शासन प्रक्रिया को बाधित करने का आरोप लगाया. उनके काम करने का जो तरीका था उसने विधायकों की कार्यशैली को प्रभावित किया.'

किदवई ने जोर देते हुए कहा कि 'गवर्नर या लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि उनमें से अधिकांश केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं. उनका जनादेश संविधान की रक्षा के लिए है. अब ऐसा हो गया है जैसे दो टीमें एक मैच खेल रही हैं और जिन्हें अंपायर माना जाता है वह निर्णायक की भूमिका में न रहकर एक टीम का बचाव करते हैं. यह अनुचित और अनैतिक है.'

भाजपा ने सबकुछ किया लेकिन समर्थन नहीं जुटा पाई : प्रमोद तिवारी

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी

उधर, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर निशाना साधा है. प्रमोद तिवारी ने आरोप लगाया है कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों और अन्य माध्यमों से विपक्षी विधायकों को अपनी पार्टियां छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है.

'ईटीवी भारत' से कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, 'कोई भी भाजपा में शामिल नहीं होना चाहता. उन्होंने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं. यहां तक ​​कि उन्होंने केंद्र में अपनी सत्ता का दुरुपयोग किया लेकिन फिर भी वे पुडुचेरी में सरकार बनाने में असमर्थ हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे और इसीलिए जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया था, वे भाजपा का समर्थन करने के इच्छुक नहीं हैं.'

पढ़ें- इस्तीफे के बाद बोले नारायणसामी- लोकतंत्र की हत्या है, ऐसा कहीं नहीं होता

उन्होंने किरण बेदी पर भी निशाना साधते हुए कहा, 'किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का राज्यपाल केंद्र सरकार का एजेंट होता है. केंद्र सरकार ने ऐसी स्थिति बनाई थी कि निर्वाचित पुडुचेरी सरकार ठीक से काम नहीं कर पाए. किरण बेदी ने पुदुचेरी में अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं किया.'

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