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पीएसआई भर्ती घोटाला : सिद्धरमैया ने न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच कराने की मांग - पीएसआई भर्ती घोटाले लाइव उपदटेस

कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने केंद्र की भाजपा सरकार पर राज्य में '40 प्रतिशत कमीशन सरकार' का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए पुलिस उप-निरीक्षकों (पीएसआई) की भर्ती में कथित घोटाले की उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच कराने की बुधवार को मांग की

PSI recruitment scam
पीएसआई भर्ती घोटाला
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Published : May 5, 2022, 7:30 AM IST

Updated : May 5, 2022, 11:06 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने केंद्र की भाजपा सरकार पर राज्य में '40 प्रतिशत कमीशन सरकार' का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए पुलिस उप-निरीक्षकों (पीएसआई) की भर्ती में कथित घोटाले की उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच कराने की बुधवार को मांग की. सिद्धरमैया ने कथित घोटाले के सिलसिले में गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे और उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण को बर्खास्त करने की भी मांग की.

सिद्धरमैया ने कहा कि हम पीएसआई भर्ती घोटाले की उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की मांग करते हैं क्योंकि पुलिस, नेता, मंत्री इसमें शामिल हैं. सच्चाई सामने नहीं आएगी, दोषियों को दंडित नहीं किया जाएगा, क्योंकि ​​वर्तमान में सीआईडी घोटाले की जांच कर रही है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि तथ्य सामने लाने के लिए स्वतंत्र न्यायिक जांच की जरूरत है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि हम गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे की भी मांग करते हैं, जो बुरी तरह विफल रहे हैं. इसके अलावा, हम उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण को बर्खास्त करने की भी मांग करते हैं. उनके खिलाफ आरोप हैं... सहायक प्रोफेसरों के चयन के संबंध में उनके विभाग में भी एक घोटाला हुआ है.

उन्होंने कहा कि वे दोनों कर्नाटक के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं. मंत्री के रूप में बने रहने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और मामले को जांच के लिए न्यायिक आयोग के पास नहीं ले जाते हैं तो हम जनता की अदालत में जाएंगे. कांग्रेस ने हाल ही में दावा किया था कि नारायण के भाई पुलिस उप-निरीक्षकों की भर्ती में धांधली करने में शामिल थे.

पढ़ें : पीएसआई भर्ती मामला : मुख्य आरोपी दिव्या हागरागी गिरफ्तार

मंत्री ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर विचार करेंगे. हाल ही में, राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर धांधली या कदाचार के आरोपों के बाद, राज्य में 545 पुलिस उप-निरीक्षकों की भर्ती के लिए पिछले साल अक्टूबर में हुई परीक्षा को रद्द करने और पुन: परीक्षा आयोजित कराने का निर्णय लिया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य सरकार की प्रशंसा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह पर निशाना साधते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि ऐसा करके दोनों ने '40 प्रतिशत कमीशन सरकार' को मंजूरी की मुहर लगा दी है.

उन्होंने कहा कि बोम्मई प्रशासन को '40 फीसदी कमीशन वाली सरकार' कहा जा रहा है और ठेकेदार संघों समेत अन्य लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार इस सरकार का समर्थन कर रही है. ठेकेदारों ने प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को इस सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप के साथ पत्र लिखा था, फिर भी उन्होंने राज्य से जानकारी भी नहीं मांगी है. उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करने, फिर से परीक्षा आयोजित कराने और भर्ती का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों का स्थानांतरण करने के सरकार के फैसले से यह स्पष्ट होता है कि घोटाला हुआ है. उन्होंने कहा कि मामले के संबंध में अब तक लगभग 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी या नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है या मामला दर्ज नहीं किया गया है जिनके बारे में आरोप है कि वे इसमें शामिल हैं.

बेंगलुरु : कर्नाटक में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने केंद्र की भाजपा सरकार पर राज्य में '40 प्रतिशत कमीशन सरकार' का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए पुलिस उप-निरीक्षकों (पीएसआई) की भर्ती में कथित घोटाले की उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच कराने की बुधवार को मांग की. सिद्धरमैया ने कथित घोटाले के सिलसिले में गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे और उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण को बर्खास्त करने की भी मांग की.

सिद्धरमैया ने कहा कि हम पीएसआई भर्ती घोटाले की उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच की मांग करते हैं क्योंकि पुलिस, नेता, मंत्री इसमें शामिल हैं. सच्चाई सामने नहीं आएगी, दोषियों को दंडित नहीं किया जाएगा, क्योंकि ​​वर्तमान में सीआईडी घोटाले की जांच कर रही है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि तथ्य सामने लाने के लिए स्वतंत्र न्यायिक जांच की जरूरत है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि हम गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के इस्तीफे की भी मांग करते हैं, जो बुरी तरह विफल रहे हैं. इसके अलावा, हम उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण को बर्खास्त करने की भी मांग करते हैं. उनके खिलाफ आरोप हैं... सहायक प्रोफेसरों के चयन के संबंध में उनके विभाग में भी एक घोटाला हुआ है.

उन्होंने कहा कि वे दोनों कर्नाटक के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं. मंत्री के रूप में बने रहने का कोई नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और मामले को जांच के लिए न्यायिक आयोग के पास नहीं ले जाते हैं तो हम जनता की अदालत में जाएंगे. कांग्रेस ने हाल ही में दावा किया था कि नारायण के भाई पुलिस उप-निरीक्षकों की भर्ती में धांधली करने में शामिल थे.

पढ़ें : पीएसआई भर्ती मामला : मुख्य आरोपी दिव्या हागरागी गिरफ्तार

मंत्री ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वह कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर विचार करेंगे. हाल ही में, राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर धांधली या कदाचार के आरोपों के बाद, राज्य में 545 पुलिस उप-निरीक्षकों की भर्ती के लिए पिछले साल अक्टूबर में हुई परीक्षा को रद्द करने और पुन: परीक्षा आयोजित कराने का निर्णय लिया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य सरकार की प्रशंसा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं कर्नाटक प्रभारी अरुण सिंह पर निशाना साधते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि ऐसा करके दोनों ने '40 प्रतिशत कमीशन सरकार' को मंजूरी की मुहर लगा दी है.

उन्होंने कहा कि बोम्मई प्रशासन को '40 फीसदी कमीशन वाली सरकार' कहा जा रहा है और ठेकेदार संघों समेत अन्य लोगों द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गए हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार इस सरकार का समर्थन कर रही है. ठेकेदारों ने प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) को इस सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप के साथ पत्र लिखा था, फिर भी उन्होंने राज्य से जानकारी भी नहीं मांगी है. उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द करने, फिर से परीक्षा आयोजित कराने और भर्ती का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों का स्थानांतरण करने के सरकार के फैसले से यह स्पष्ट होता है कि घोटाला हुआ है. उन्होंने कहा कि मामले के संबंध में अब तक लगभग 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी या नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है या मामला दर्ज नहीं किया गया है जिनके बारे में आरोप है कि वे इसमें शामिल हैं.

Last Updated : May 5, 2022, 11:06 AM IST
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