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कृषि कानूनों के खिलाफ चक्का जाम, देशभर में दिखा मिला-जुला असर - farmer protest

पंजाब और हरियाणा समेत देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने चक्का जाम कर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया, जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

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चक्का जाम
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Published : Nov 5, 2020, 4:10 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 7:20 PM IST

चंडीगढ़ : नए कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के तहत किसानों ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने गुरुवार को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक इस राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया था.

किसान नेता योगेंद्र यादव का बयान

विभिन्न संगठनों से संबंध रखने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया, जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने कई जगहों पर यातायात का मार्ग बदल दिया, फिर भी यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने 'काले कानून' लाने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आशंका जताई कि इन कानूनों से कृषक समुदाय बर्बाद हो जाएगा और इनसे केवल बड़े कारोबारी घरानों को ही फायदा पहुंचेगा.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर देश के अलग अलग राज्यों में किसानों ने तय समय पर विरोध प्रदर्शन किया और कई जगह हाईवे पर भी एकत्रित हुए. पंजाब और हरियाणा आज के प्रदर्शन का मुख्य केंद्र रहा, जहां सबसे ज्यादा जगहों पर किसान इकट्ठे हुए.

पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन

इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झाड़खंड, चेन्नई, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों में भी जगह जगह विरोध प्रदर्शन और किसानों द्वारा चक्का जाम करने की तस्वीरें सामने आई हैं.

मंगलवार को 100 से ज्यादा किसान संगठनों के सम्मिलित मंच राष्ट्रीय किसान महासंघ ने भी चक्का जाम में समर्थन की घोषणा कर दी थी. इस तरह से अब लगभग पांच सौ किसान संगठन एकजुट होकर मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.

पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन

पंजाब और हरियाणा में किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले नोटबंदी लाए, फिर अचानक से देशबंदी की और अब किसानों की घेराबंदी कर रहे हैं. यह तीन कृषि कानून जिसे सरकार किसानों के लिए सौगात बता रही है. वह इस सवाल का जवाब क्यों नहीं देते कि यह सौगात उनसे मांगी किसने थी?

उन्होंने कहा कि आज देश में कोई भी किसान संगठन इस कानून के मुद्दे पर सरकार के समर्थन में खड़ा नहीं है. आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने भी खुलकर कहा है कि यह कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. योगेंद्र यादव ने कहा है कि इन तीन कानूनों के जरिए मोदी सरकार छह ओर से किसानों पर घेराबंदी लगाने की तैयारी में है.

आज के देशव्यापी चक्का जाम के बाद अब किसान संगठन 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे. दिल्ली में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन आगे भी जारी रह सकता है. इस बात के संकेत राष्ट्रीय किसान महासंघ ने पहले ही दे दिए हैं.

सात नवंबर को दिल्ली में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप और राष्ट्रीय किसान महासंघ की कमिटी की एक बैठक होगी जिसके बाद यह तय हो जाएगा कि दिल्ली चलो कार्यक्रम में राष्ट्रीय किसान महासंघ की भूमिका होगी या नहीं. इस तरह से एक बार फिर नवंबर के महीने में किसान देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे.

किसान नेताओं का कहना है कि दिल्ली में दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन पहले से बड़ा होगा क्योंकि एक साथ 500 किसान संगठनों से जुड़े किसान पहुंचेंगे.

कुल मिलाकर किसान संगठन लगातार आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करेंगे. तीन कानूनों का विरोध न करने के लिए उनकी एकमात्र शर्त है कि सरकार एमएसपी अनिवार्य करने के लिए कानूनी प्रावधान लाए. प्रस्तावित बिजली कानून का विरोध भी किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा है.

योगेंद्र यादव ने किसानों को आने वाले बिजली कानून के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि इस कानून के बाद कोई भी राज्य सरकार किसानों को बिजली पर सब्सिडी या बिजली मुफ्त नहीं कर पाएगी. केंद्र अब किसानों से इस सुविधा को भी छीन लेना चाहती है.

हालांकि, अभी तक बिजली पर कानून की चर्चा सरकार या उनके किस मंत्री द्वारा नहीं कि गई है, लेकिन चर्चा है कि सरकार अगले सत्र में बिजली बिल 2020 को सदन में पेश कर सकती है.

यह भी पढ़ें- राष्ट्रीय आपदा है रोजगार की कमी, सरकार कर रही है खोखले वादे: राहुल

किसानों के साथ बातचीत और चर्चा कर उनको मनाने की सरकार द्वारा कोशिश एक बार विफल हो चुकी है. ऐसे में जानकारी सामने आ रही है कि किसानों के 26-27 नवंबर के दिल्ली कूच आंदोलन से पहले सरकार द्वारा एक बार फिर बातचीत का प्रस्ताव किसान संगठनों को जा सकता है.

वहीं, पंजाब के किसान संगठनों ने राज्य में मालगाड़ियों पर रोक लगाने के लिए भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा, जिसके चलते राज्य में कोयले, उर्वरकों और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

भारतीय किसान संघ (एकता उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने चक्का जाम प्रदर्शन के तहत संगरूर, बठिंडा, मनसा, बरनाला, पटियाला में 35 जगहों पर सड़कों को अवरुद्ध किया है.

भारतीय किसान यूनियन (चरूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्होंने हरियाणा में करनाल, रोहतक, कैथल, जींद, हिसार और फतेहाबाद समेत लगभग 20 जगह प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.

भठिंडा में एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि राज्य में मालगाड़ियों को निरस्त कर नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के आंदोलन को बदनाम और अस्थिर करना चाहती है.

चंडीगढ़ : नए कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी चक्का जाम के तहत किसानों ने गुरुवार को पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर सड़कें अवरुद्ध करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने गुरुवार को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक इस राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया था.

किसान नेता योगेंद्र यादव का बयान

विभिन्न संगठनों से संबंध रखने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया, जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने कई जगहों पर यातायात का मार्ग बदल दिया, फिर भी यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों ने 'काले कानून' लाने के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आशंका जताई कि इन कानूनों से कृषक समुदाय बर्बाद हो जाएगा और इनसे केवल बड़े कारोबारी घरानों को ही फायदा पहुंचेगा.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर देश के अलग अलग राज्यों में किसानों ने तय समय पर विरोध प्रदर्शन किया और कई जगह हाईवे पर भी एकत्रित हुए. पंजाब और हरियाणा आज के प्रदर्शन का मुख्य केंद्र रहा, जहां सबसे ज्यादा जगहों पर किसान इकट्ठे हुए.

पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन

इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झाड़खंड, चेन्नई, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों में भी जगह जगह विरोध प्रदर्शन और किसानों द्वारा चक्का जाम करने की तस्वीरें सामने आई हैं.

मंगलवार को 100 से ज्यादा किसान संगठनों के सम्मिलित मंच राष्ट्रीय किसान महासंघ ने भी चक्का जाम में समर्थन की घोषणा कर दी थी. इस तरह से अब लगभग पांच सौ किसान संगठन एकजुट होकर मोदी सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.

पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन
पंजाब-हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन

पंजाब और हरियाणा में किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले नोटबंदी लाए, फिर अचानक से देशबंदी की और अब किसानों की घेराबंदी कर रहे हैं. यह तीन कृषि कानून जिसे सरकार किसानों के लिए सौगात बता रही है. वह इस सवाल का जवाब क्यों नहीं देते कि यह सौगात उनसे मांगी किसने थी?

उन्होंने कहा कि आज देश में कोई भी किसान संगठन इस कानून के मुद्दे पर सरकार के समर्थन में खड़ा नहीं है. आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संघ ने भी खुलकर कहा है कि यह कानून किसानों के लिए नहीं, बल्कि व्यापारियों के लिए बनाए गए हैं. योगेंद्र यादव ने कहा है कि इन तीन कानूनों के जरिए मोदी सरकार छह ओर से किसानों पर घेराबंदी लगाने की तैयारी में है.

आज के देशव्यापी चक्का जाम के बाद अब किसान संगठन 26 और 27 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे. दिल्ली में दो दिवसीय धरना प्रदर्शन आगे भी जारी रह सकता है. इस बात के संकेत राष्ट्रीय किसान महासंघ ने पहले ही दे दिए हैं.

सात नवंबर को दिल्ली में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप और राष्ट्रीय किसान महासंघ की कमिटी की एक बैठक होगी जिसके बाद यह तय हो जाएगा कि दिल्ली चलो कार्यक्रम में राष्ट्रीय किसान महासंघ की भूमिका होगी या नहीं. इस तरह से एक बार फिर नवंबर के महीने में किसान देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे.

किसान नेताओं का कहना है कि दिल्ली में दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन पहले से बड़ा होगा क्योंकि एक साथ 500 किसान संगठनों से जुड़े किसान पहुंचेंगे.

कुल मिलाकर किसान संगठन लगातार आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास करेंगे. तीन कानूनों का विरोध न करने के लिए उनकी एकमात्र शर्त है कि सरकार एमएसपी अनिवार्य करने के लिए कानूनी प्रावधान लाए. प्रस्तावित बिजली कानून का विरोध भी किसान संगठनों द्वारा किया जा रहा है.

योगेंद्र यादव ने किसानों को आने वाले बिजली कानून के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि इस कानून के बाद कोई भी राज्य सरकार किसानों को बिजली पर सब्सिडी या बिजली मुफ्त नहीं कर पाएगी. केंद्र अब किसानों से इस सुविधा को भी छीन लेना चाहती है.

हालांकि, अभी तक बिजली पर कानून की चर्चा सरकार या उनके किस मंत्री द्वारा नहीं कि गई है, लेकिन चर्चा है कि सरकार अगले सत्र में बिजली बिल 2020 को सदन में पेश कर सकती है.

यह भी पढ़ें- राष्ट्रीय आपदा है रोजगार की कमी, सरकार कर रही है खोखले वादे: राहुल

किसानों के साथ बातचीत और चर्चा कर उनको मनाने की सरकार द्वारा कोशिश एक बार विफल हो चुकी है. ऐसे में जानकारी सामने आ रही है कि किसानों के 26-27 नवंबर के दिल्ली कूच आंदोलन से पहले सरकार द्वारा एक बार फिर बातचीत का प्रस्ताव किसान संगठनों को जा सकता है.

वहीं, पंजाब के किसान संगठनों ने राज्य में मालगाड़ियों पर रोक लगाने के लिए भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा, जिसके चलते राज्य में कोयले, उर्वरकों और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

भारतीय किसान संघ (एकता उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने चक्का जाम प्रदर्शन के तहत संगरूर, बठिंडा, मनसा, बरनाला, पटियाला में 35 जगहों पर सड़कों को अवरुद्ध किया है.

भारतीय किसान यूनियन (चरूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्होंने हरियाणा में करनाल, रोहतक, कैथल, जींद, हिसार और फतेहाबाद समेत लगभग 20 जगह प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.

भठिंडा में एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि राज्य में मालगाड़ियों को निरस्त कर नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के आंदोलन को बदनाम और अस्थिर करना चाहती है.

Last Updated : Nov 5, 2020, 7:20 PM IST
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