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विलुप्त होते सोन चिरैया के संरक्षण के लिए करने होंगे यह उपाय

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union Environment Ministry ) ने स्वीकार किया है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बीच वयस्क मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है क्योंकि बिजली के तार उनके उड़ान को बाधित करती है. वर्लड इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (the Wildlife Institute of India) ने कई उपायों का सुझाव दिया है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बचाने के लिए बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली सभी पावर ट्रांस्मिशन लाइनों (power transmission lines) को कम करना, नए वांइड टरबाइनों को कम करना होगा.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
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Published : Sep 6, 2021, 5:00 AM IST

Updated : Sep 6, 2021, 7:30 AM IST

हैदराबाद : छह सितंबर 2019 में NGT ने केंद्र से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण (protection of Great Indian Bustard) के लिए योजना तैयार करने को कहा था, जिसके बाद राजस्थान के बाड़मेर में, लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian bustard) के संरक्षण के लिए राजस्थान वन्यजीव विभाग (Rajasthan Wildlife department), भारतीय वन्यजीव संस्थान , देहरादून और हौबारा संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय कोष (International Fund for Houbara Conservation), अबू धाबी द्वारा एक समन्वित प्रयास किया और एक कैप्टिव प्रजनन कार्यक्रम चलाया.

इस कार्यक्रम के तहत भविष्य की प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों के लिए 25 बस्टर्ड (स्थानीय रूप से सोन चिरैया (Sone Chiraiya) के रूप में भी जाना जाता है) को 'फाउंडिंग पॉप्लेशन' के रूप में बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया और इसके तहत पिछले नवंबर तक पैदा हुए नौ चूजों को देख रेख की जा रही है.

एनजीटी अध्यक्ष (NGT Chairperson) न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (Justice Adarsh Kumar Goel ) की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India ) द्वारा प्रस्तुत सुझावों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया.

पैनल में पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests) के महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक, वन (वन्यजीव), विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) और गुजरात और राजस्थान के ऊर्जा विभागों के नामांकित व्यक्ति शामिल हैं.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union Environment Ministry ) ने स्वीकार किया है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बीच वयस्क मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है क्योंकि बिजली की लाइनों उनके उड़ान पथों को तोड़ती हैं.

वर्लड इंस्टीटियूट ऑफ इंडिया (the Wildlife Institute of India) ने कई उपायों का सुझाव दिया है, जिसमें प्राथमिकता वाले बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली सभी पावर ट्रांस्मिशन लाइनों (power transmission lines) को कम करना, नए वांइड टरबाइनों को कम करना होगा.

वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया रिपोर्ट की सिफारिशें

वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कई उपायों का सुझाव दिया, जैसे कि प्राथमिकता वाले बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली पावर ट्रांस्मिशन लाइनों को कम करना और नए वाइंड टरबाइन को कम करना

रिपोर्ट में कहा गया है कि थार परिदृश्य में प्रजातियों और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

इसके अलावा संरक्षण संगठनों की मदद से स्मार्ट पेट्रोलिंग टूल्स (smart patrolling tools) में वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के प्रशिक्षण के माध्यम से सुरक्षा प्रवर्तन में सुधार करके थार परिदृश्य में जीआईबी और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम किया जा सकता है.

भारत में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हैबिटेट

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पहले भारत और पाकिस्तान में व्यापक रुप में मौजाद थीं. वर्तमान में 75 प्रतिशत ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान के थार क्षेत्र में और शेष गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारत में पाई जाने वाली चार बस्टर्ड प्रजातियों में सबसे बड़ी हैं, अन्य तीन मैकक्वीन बस्टर्ड (MacQueen’s bustard), लेसर फ्लोरिकन (lesser florican ) और बंगाल फ्लोरिकन (Bengal florican) हैं.

उड़ान वाले सबसे भारी पक्षियों में से एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड घास के मैदानों में आवास बनाकर रहना पसंद करते हैं.

भौमिक पक्षी होने के कारण, वे अपने निवास स्थान के एक भाग से दूसरे भाग में जाने के लिए समय-समय पर उड़ान भरते है और अपना अधिकांश समय जमीन पर बिताते हैं.

वे कीड़ों, छिपकलियों, घास और बीज आदि खाते हैं. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को घास के मैदान की प्रमुख पक्षी प्रजाति माना जाता है और इसलिए यह घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र के लिए जरूरी हैं.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा

इस प्रजाति के लिए सबसे बड़ा खतरा शिकार है, जो आज भी पाकिस्तान में प्रचलित है. व्यापक कृषि विस्तार के परिणामस्वरूप आवास हानि और परिवर्तन भी इसके लिए बड़ा खतरा है.

इसके अलावा संरक्षित क्षेत्रों के बाहर कभी-कभी अवैध शिकार, हाईटेंशन बिजली के तारों से टक्कर, तेज गति से चलने वाले वाहन, गांवों में आवार कुत्ते भी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा बने हुए हैं.

वाइंड मिल

कच्छ जिले के अब्दसा ब्लॉक (Kutch districts Abdasa block) में नलिया के पास केबीएस 1992 में अधिसूचित एक छोटा अभयारण्य है और सिर्फ दो वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) में फैला है, लेकिन इसका पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र 220 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो वर्तमान के अधिकांश कोर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड निवास स्थान को कवर करता है.

पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय के निर्माण के कारण कच्छ के अब्दसा ब्लॉक में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी में वृद्धि दोखने को मिली है, लेकिन 2008 के बाद से अभयारण्य की सीमाओं पर वाइंड मिल और बिजली की लाइनें आने लगीं और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की तादाद फिर कम होने लगी.

2016 तक यहां इनकी जनसंख्या केवल 25 प्रतिशत तक गिर गई और केबीएस के फील्ड स्टाफ का कहना है कि यहां अब केवल सात ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हैं. यह सभी मादाएं हैं. पिछले दो साल से कोई नर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड नहीं देखा गया है.

केबीएस के अलावा, प्रजौ, भनाडा और कुनाथिया-भचुंडा महत्वपूर्ण घास के मैदान हैं जिन्हें हाल ही में अवर्गीकृत वन घोषित किया गया है.

क्या करना चाहिए?

तमाम राजनीति के बीच ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या हर रोज कम होती जा रही है. इस परियोजना के लिए तीन राज्यों और वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया के बीच एक समझौते की आवश्यकता है और उन्हें एक साथ काम करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया के लिए समय समाप्त हो रहा है.

पढ़ें - Neerja Bhanot की पुण्यतिथि : ...जब अपनी जान की परवाह किए बगैर बचाई 400 लाेगाें की जान

संरक्षण की स्थिति

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में सूचीबद्ध है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड परिशिष्ट के साइट में भी शामिल है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (National Wildlife Action Plan) का भी हिस्सा है. इसे भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास के तहत पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के लिए प्रजातियों में से एक के रूप में भी पहचाना गया है.

2020 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को CMS या बॉन कन्वेंशन (Bonn Convention) के परिशिष्ट I में शामिल किया गया.

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

देश में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों के लिए जाने जाने वाले सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रंजीतसिंह झाला (Ranjitsinh Jhala0) द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में आदेश दिया कि सभी ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइनों को ग्रेट इंडियन बस्टर्ड आवासों में राजस्थान और गुजरात को अंडरग्राउंड कर देना चाहिए.

कोर्ट ने बिजली कंपनियों को आदेश का पालन करने में मदद करने के लिए IUCN के बस्टर्ड विशेषज्ञ समूह के सदस्य देवेश गढ़वी सहित तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया, लेकिन गढ़वी ने नोट किया कि जमीन पर कुछ भी नहीं हुआ है.

हैदराबाद : छह सितंबर 2019 में NGT ने केंद्र से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण (protection of Great Indian Bustard) के लिए योजना तैयार करने को कहा था, जिसके बाद राजस्थान के बाड़मेर में, लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian bustard) के संरक्षण के लिए राजस्थान वन्यजीव विभाग (Rajasthan Wildlife department), भारतीय वन्यजीव संस्थान , देहरादून और हौबारा संरक्षण अंतर्राष्ट्रीय कोष (International Fund for Houbara Conservation), अबू धाबी द्वारा एक समन्वित प्रयास किया और एक कैप्टिव प्रजनन कार्यक्रम चलाया.

इस कार्यक्रम के तहत भविष्य की प्रजातियों के संरक्षण के प्रयासों के लिए 25 बस्टर्ड (स्थानीय रूप से सोन चिरैया (Sone Chiraiya) के रूप में भी जाना जाता है) को 'फाउंडिंग पॉप्लेशन' के रूप में बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया और इसके तहत पिछले नवंबर तक पैदा हुए नौ चूजों को देख रेख की जा रही है.

एनजीटी अध्यक्ष (NGT Chairperson) न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल (Justice Adarsh Kumar Goel ) की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे पर भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India ) द्वारा प्रस्तुत सुझावों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया.

पैनल में पर्यावरण और वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests) के महानिदेशक और अतिरिक्त महानिदेशक, वन (वन्यजीव), विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of Power) और गुजरात और राजस्थान के ऊर्जा विभागों के नामांकित व्यक्ति शामिल हैं.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union Environment Ministry ) ने स्वीकार किया है कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बीच वयस्क मृत्यु दर अभी भी बहुत अधिक है क्योंकि बिजली की लाइनों उनके उड़ान पथों को तोड़ती हैं.

वर्लड इंस्टीटियूट ऑफ इंडिया (the Wildlife Institute of India) ने कई उपायों का सुझाव दिया है, जिसमें प्राथमिकता वाले बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली सभी पावर ट्रांस्मिशन लाइनों (power transmission lines) को कम करना, नए वांइड टरबाइनों को कम करना होगा.

वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया रिपोर्ट की सिफारिशें

वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कई उपायों का सुझाव दिया, जैसे कि प्राथमिकता वाले बस्टर्ड आवासों से गुजरने वाली पावर ट्रांस्मिशन लाइनों को कम करना और नए वाइंड टरबाइन को कम करना

रिपोर्ट में कहा गया है कि थार परिदृश्य में प्रजातियों और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.

इसके अलावा संरक्षण संगठनों की मदद से स्मार्ट पेट्रोलिंग टूल्स (smart patrolling tools) में वन विभाग के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के प्रशिक्षण के माध्यम से सुरक्षा प्रवर्तन में सुधार करके थार परिदृश्य में जीआईबी और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार को कम किया जा सकता है.

भारत में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हैबिटेट

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पहले भारत और पाकिस्तान में व्यापक रुप में मौजाद थीं. वर्तमान में 75 प्रतिशत ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान के थार क्षेत्र में और शेष गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारत में पाई जाने वाली चार बस्टर्ड प्रजातियों में सबसे बड़ी हैं, अन्य तीन मैकक्वीन बस्टर्ड (MacQueen’s bustard), लेसर फ्लोरिकन (lesser florican ) और बंगाल फ्लोरिकन (Bengal florican) हैं.

उड़ान वाले सबसे भारी पक्षियों में से एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड घास के मैदानों में आवास बनाकर रहना पसंद करते हैं.

भौमिक पक्षी होने के कारण, वे अपने निवास स्थान के एक भाग से दूसरे भाग में जाने के लिए समय-समय पर उड़ान भरते है और अपना अधिकांश समय जमीन पर बिताते हैं.

वे कीड़ों, छिपकलियों, घास और बीज आदि खाते हैं. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को घास के मैदान की प्रमुख पक्षी प्रजाति माना जाता है और इसलिए यह घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र के लिए जरूरी हैं.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा

इस प्रजाति के लिए सबसे बड़ा खतरा शिकार है, जो आज भी पाकिस्तान में प्रचलित है. व्यापक कृषि विस्तार के परिणामस्वरूप आवास हानि और परिवर्तन भी इसके लिए बड़ा खतरा है.

इसके अलावा संरक्षित क्षेत्रों के बाहर कभी-कभी अवैध शिकार, हाईटेंशन बिजली के तारों से टक्कर, तेज गति से चलने वाले वाहन, गांवों में आवार कुत्ते भी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए खतरा बने हुए हैं.

वाइंड मिल

कच्छ जिले के अब्दसा ब्लॉक (Kutch districts Abdasa block) में नलिया के पास केबीएस 1992 में अधिसूचित एक छोटा अभयारण्य है और सिर्फ दो वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) में फैला है, लेकिन इसका पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र 220 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जो वर्तमान के अधिकांश कोर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड निवास स्थान को कवर करता है.

पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय के निर्माण के कारण कच्छ के अब्दसा ब्लॉक में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी में वृद्धि दोखने को मिली है, लेकिन 2008 के बाद से अभयारण्य की सीमाओं पर वाइंड मिल और बिजली की लाइनें आने लगीं और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की तादाद फिर कम होने लगी.

2016 तक यहां इनकी जनसंख्या केवल 25 प्रतिशत तक गिर गई और केबीएस के फील्ड स्टाफ का कहना है कि यहां अब केवल सात ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हैं. यह सभी मादाएं हैं. पिछले दो साल से कोई नर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड नहीं देखा गया है.

केबीएस के अलावा, प्रजौ, भनाडा और कुनाथिया-भचुंडा महत्वपूर्ण घास के मैदान हैं जिन्हें हाल ही में अवर्गीकृत वन घोषित किया गया है.

क्या करना चाहिए?

तमाम राजनीति के बीच ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या हर रोज कम होती जा रही है. इस परियोजना के लिए तीन राज्यों और वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया के बीच एक समझौते की आवश्यकता है और उन्हें एक साथ काम करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्लड इंस्टीटियू ऑफ इंडिया के लिए समय समाप्त हो रहा है.

पढ़ें - Neerja Bhanot की पुण्यतिथि : ...जब अपनी जान की परवाह किए बगैर बचाई 400 लाेगाें की जान

संरक्षण की स्थिति

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची में सूचीबद्ध है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड परिशिष्ट के साइट में भी शामिल है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को IUCN रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (National Wildlife Action Plan) का भी हिस्सा है. इसे भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास के तहत पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के लिए प्रजातियों में से एक के रूप में भी पहचाना गया है.

2020 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को CMS या बॉन कन्वेंशन (Bonn Convention) के परिशिष्ट I में शामिल किया गया.

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

देश में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अपने प्रयासों के लिए जाने जाने वाले सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रंजीतसिंह झाला (Ranjitsinh Jhala0) द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में आदेश दिया कि सभी ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइनों को ग्रेट इंडियन बस्टर्ड आवासों में राजस्थान और गुजरात को अंडरग्राउंड कर देना चाहिए.

कोर्ट ने बिजली कंपनियों को आदेश का पालन करने में मदद करने के लिए IUCN के बस्टर्ड विशेषज्ञ समूह के सदस्य देवेश गढ़वी सहित तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया, लेकिन गढ़वी ने नोट किया कि जमीन पर कुछ भी नहीं हुआ है.

Last Updated : Sep 6, 2021, 7:30 AM IST
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