हैदराबाद : शेयर बाजार अप्रत्याशित है. इसमें हम बार-बार शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव देख सकते हैं. शेयरों में निवेश करने के लिए हमें स्टॉक मार्केट को समझना चाहिए और उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. निवेशक के तौर पर हमारे लिए शेयर बाजार से जुड़ी बारीकियों को जानना जरूरी है. जब शेयर बाजार में पैसा लगाने के बारे में तब सोचते हैं, जब सूचकांक में तेजी आती है. हमें इसी तरह रेग्रेशन से डील करना पड़ती है, तब जाकर हम इन्वेस्टमेंट से मुनाफा कमाते हैं.
जब आप निवेश करने का फैसला करते हैं, तो यह गांठ बांध लें कि शेयर मार्केट में प्रति वर्ष 10-20 प्रतिशत करेक्शन की संभावना होती है. अगर आपका माइंड मेकअप है तो फिर कोई परेशानी नहीं होगी. अपने निवेश के कीमत पर नजर बनाए रखें. सुनिश्चित करें कि निवेश में असमानता 80 प्रतिशत से अधिक न हो. अगर ऐसा होता है तो बची हुई राशि को डेट फंड में डायवर्सिफाई करें. हमेशा निवेश के मूल्य को इस स्टैंडर्ड एस्टिमेट के साथ जोड़ें. यह आपको अस्थायी उतार-चढ़ाव का कोर्डनेट करने की अनुमति देता है. यह हिसाब-किताब नुकसान को सहन करने की आपकी क्षमता पर आधारित होना चाहिए.
पिछले दो वर्षों के दौरान शेयर बाजार में काफी तेजी आई है. इस बैकग्राउंड में आपके इक्विटी निवेश का मूल्य आपके पोर्टफोलियो में 5-10 प्रतिशत अधिक रहने की संभावना है. बाजारों में अभी अनिश्चितता का माहौल है. इसे ध्यान में रखते हुए, अपने निवेश को समायोजित करने का यह एक अच्छा समय है. आपको उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जो अच्छा परफॉर्म कर रही हैं . इस तरह इक्विटी इन्वेस्टमेंट को अपने मानक तक लाने का प्रयास करना चाहिए.
जैसी उम्मीद की जा रही है, आने वाले वर्ष में इक्विटी बाजारों के परफॉर्मेंस में सुधार होगा, इस हिसाब से इक्विटी निवेश पॉजिटिव हैं. य़ानी इस समय आपको निवेश करते रहने की जरूरत है. अगर शेयर बाजार का प्रदर्शन अच्छा नहीं है और अगर खबर आती है कि बाजार में गिरावट होगी तो घबराएं नहीं. यदि बाजार सूचकांक में 10 प्रतिशत की गिरावट आती है, तो निवेश को लोन से इक्विटी में लाना चाहिए. चूंकि शेयर मार्केट में वृद्धि होने पर इक्विटी रेश्यो अधिक होता है, इसलिए निवेश को 80 प्रतिशत तक सीमित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
फंड्स इंडिया के रिसर्च हेड अरुण कुमार का कहना है कि शॉर्ट टर्म में इक्विटी मार्केट की परफॉर्मेंस का आंकलन करना कठिन है, इसलिए हर निवेश को अपने लक्ष्य से जोड़ा जाना चाहिए. एक बार सही प्लानिंग करने के बाद ही निवेश करना चाहिए. अरुण कुमार की सलाह है कि बाजार में निवेश करते समय डर, लालच और चिंता जैसी भावनाओं को नियंत्रित करना चाहिए और लगातार निर्णय लेना चाहिए.