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परीक्षा पे चर्चा : पीएम मोदी बोले- खाली समय एक सौभाग्य है, एक अवसर है - pariksha pe charcha

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छात्रों और अभिभावकों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा 2021' कार्यक्रम में संवाद कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र
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Published : Apr 7, 2021, 7:34 PM IST

Updated : Apr 7, 2021, 8:56 PM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के जरिए छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद कर रहे हैं.

पहले पीएम मोदी ने कहा कि एक बात मैं देशवासियों, अभिभावकों, अध्यापकों को बताना चाहता हूं कि ये परीक्षा पर चर्चा है, लेकिन सिर्फ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है. बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है. जैसे अपने घर में बैठ कर बाते करते हैं, अपनों के बीच बात करते हैं, दोस्तों के साथ बात करते हैं, आइए हम भी ऐसे ही बाते करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र ने बच्चों को दिए कई टिप्स.

ये परीक्षा पर चर्चा का पहला वर्चुअल एडिशन है. हम पिछले एक साल से कोरोना के बीच जी रहे हैं और उसके कारण हर किसी को नया इनोवेशन करना पड़ रहा है. मुझे भी आप लोगों से मिलने का मोह इस बार छोड़ एक नए फॉर्मेट में आपके बीच आना पड़ रहा है.

एग्जाम आखिरी मौका नहीं है

पीएम मोदी ने कहा कि पहले मां-बाप बच्चों के साथ कई विषयों पर जुड़े रहते थे और सहज भी रहते थे. आजकल मां-बाप करियर, पढ़ाई सैलेबस तक बच्चों के साथ इंवॉल्व रहते हैं. अगर मां-बाप ज्यादा इंवॉल्व रहते हैं, तो बच्चों की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्ति को समझते हैं और बच्चों की कमियों को भरते हैं. हमारे यहां एग्जाम के लिए एक शब्द है- कसौटी. मतलब खुद को कसना है, ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है, बल्कि एग्जाम तो एक प्रकार से एक लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आप को कसने का उत्तम अवसर है.समस्या तब होती है जब हम एग्जाम को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं, जीवन-मरण का प्रश्न बना देते हैं.

कठिन चीज को पहले लीजिए फिर सरल तो और भी आसान हो जाएगा

पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन को गढ़ने का एक अवसर है, उसे उसी रूप में लेना चाहिए. हमें अपने आप को कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए, ताकि हम और अच्छा कर सकें. हमें भागना नहीं चाहिए. पढ़ाई के लिए आपके पास दो घंटे हैं, तो हर विषय को समान भाव से पढ़िए. पढ़ाई की बात है, तो कठिन चीज को पहले लीजिए, आपका माइंड फ्रेश है, तो कठिन चीज को पहले लेने का प्रयास कीजिए. कठिन को हल कर लेंगे तो सरल तो और भी आसान हो जाएगा.

मुश्किल लगने वाले विषयों की पढ़ाई से दूर नहीं भागिए

पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, उसके बाद मैं प्रधानमंत्री बना तो मुझे भी बहुत कुछ पढ़ना पढ़ता है. बहुत कुछ सीखना पड़ता है. चीजों को समझना पड़ता है. तो मैं क्या करता था कि जो मुश्किल बातें होती हैं, मैं सुबह कठिन चीजों से काम शुरू करना पसंद करता हूं. आपको भले कुछ विषय मुश्किल लगते हों, ये आपके जीवन में कोई कमी नहीं है. आप बस ये बात ध्यान रखिए कि मुश्किल लगने वाले विषयों की पढ़ाई से दूर मत भागिए. जो लोग जीवन में बहुत सफल हैं, वो हर विषय में पारंगत नहीं होते, लेकिन किसी एक विषय पर, किसी एक सब्जेक्ट पर उनकी पकड़ जबरदस्त होती है.

खाली समय खजाना है, एक सौभाग्य है

यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए, नहीं तो वो ही चीज सारा समय खा जाएंगी. अंत में रिफ्रेश-रिलेक्स होने के बजाए आप तंग हो जाएंगे. थकान महसूस करने लगेंगे. खाली समय को खाली मत समझिए, ये खजाना है, खजाना. खाली समय एक सौभाग्य है, खाली समय एक अवसर है. आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए. अपने विचारों को, भावनाओं को एक रचनात्मक तरीका दीजिए. ज्ञान का दायरा कई बार वहीं तक सीमित होता है, जो आपको उपलब्ध है, जो आपके आसपास है. बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं. जो आप कहेंगे, उसे वो करेंगे या नहीं करेंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना होती है कि जो आप कर रहे हैं, वो उसे बहुत बारीक़ी से देखता है और दोहराने के लिए लालायित हो जाता है. हमने जो अपना भाव-विश्व बनाया है, वो जब व्यवहार की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तब बच्चों के मन में अंतरद्वंद शुरू हो जाता है.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के जरिए छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से संवाद कर रहे हैं.

पहले पीएम मोदी ने कहा कि एक बात मैं देशवासियों, अभिभावकों, अध्यापकों को बताना चाहता हूं कि ये परीक्षा पर चर्चा है, लेकिन सिर्फ परीक्षा की ही चर्चा नहीं है. बहुत कुछ बातें हो सकती हैं, एक नए आत्मविश्वास पैदा करना है. जैसे अपने घर में बैठ कर बाते करते हैं, अपनों के बीच बात करते हैं, दोस्तों के साथ बात करते हैं, आइए हम भी ऐसे ही बाते करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र ने बच्चों को दिए कई टिप्स.

ये परीक्षा पर चर्चा का पहला वर्चुअल एडिशन है. हम पिछले एक साल से कोरोना के बीच जी रहे हैं और उसके कारण हर किसी को नया इनोवेशन करना पड़ रहा है. मुझे भी आप लोगों से मिलने का मोह इस बार छोड़ एक नए फॉर्मेट में आपके बीच आना पड़ रहा है.

एग्जाम आखिरी मौका नहीं है

पीएम मोदी ने कहा कि पहले मां-बाप बच्चों के साथ कई विषयों पर जुड़े रहते थे और सहज भी रहते थे. आजकल मां-बाप करियर, पढ़ाई सैलेबस तक बच्चों के साथ इंवॉल्व रहते हैं. अगर मां-बाप ज्यादा इंवॉल्व रहते हैं, तो बच्चों की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्ति को समझते हैं और बच्चों की कमियों को भरते हैं. हमारे यहां एग्जाम के लिए एक शब्द है- कसौटी. मतलब खुद को कसना है, ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है, बल्कि एग्जाम तो एक प्रकार से एक लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आप को कसने का उत्तम अवसर है.समस्या तब होती है जब हम एग्जाम को ही जैसे जीवन के सपनों का अंत मान लेते हैं, जीवन-मरण का प्रश्न बना देते हैं.

कठिन चीज को पहले लीजिए फिर सरल तो और भी आसान हो जाएगा

पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन को गढ़ने का एक अवसर है, उसे उसी रूप में लेना चाहिए. हमें अपने आप को कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए, ताकि हम और अच्छा कर सकें. हमें भागना नहीं चाहिए. पढ़ाई के लिए आपके पास दो घंटे हैं, तो हर विषय को समान भाव से पढ़िए. पढ़ाई की बात है, तो कठिन चीज को पहले लीजिए, आपका माइंड फ्रेश है, तो कठिन चीज को पहले लेने का प्रयास कीजिए. कठिन को हल कर लेंगे तो सरल तो और भी आसान हो जाएगा.

मुश्किल लगने वाले विषयों की पढ़ाई से दूर नहीं भागिए

पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री था, उसके बाद मैं प्रधानमंत्री बना तो मुझे भी बहुत कुछ पढ़ना पढ़ता है. बहुत कुछ सीखना पड़ता है. चीजों को समझना पड़ता है. तो मैं क्या करता था कि जो मुश्किल बातें होती हैं, मैं सुबह कठिन चीजों से काम शुरू करना पसंद करता हूं. आपको भले कुछ विषय मुश्किल लगते हों, ये आपके जीवन में कोई कमी नहीं है. आप बस ये बात ध्यान रखिए कि मुश्किल लगने वाले विषयों की पढ़ाई से दूर मत भागिए. जो लोग जीवन में बहुत सफल हैं, वो हर विषय में पारंगत नहीं होते, लेकिन किसी एक विषय पर, किसी एक सब्जेक्ट पर उनकी पकड़ जबरदस्त होती है.

खाली समय खजाना है, एक सौभाग्य है

यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए, नहीं तो वो ही चीज सारा समय खा जाएंगी. अंत में रिफ्रेश-रिलेक्स होने के बजाए आप तंग हो जाएंगे. थकान महसूस करने लगेंगे. खाली समय को खाली मत समझिए, ये खजाना है, खजाना. खाली समय एक सौभाग्य है, खाली समय एक अवसर है. आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए. अपने विचारों को, भावनाओं को एक रचनात्मक तरीका दीजिए. ज्ञान का दायरा कई बार वहीं तक सीमित होता है, जो आपको उपलब्ध है, जो आपके आसपास है. बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं. जो आप कहेंगे, उसे वो करेंगे या नहीं करेंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना होती है कि जो आप कर रहे हैं, वो उसे बहुत बारीक़ी से देखता है और दोहराने के लिए लालायित हो जाता है. हमने जो अपना भाव-विश्व बनाया है, वो जब व्यवहार की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तब बच्चों के मन में अंतरद्वंद शुरू हो जाता है.

Last Updated : Apr 7, 2021, 8:56 PM IST
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