जोधपुर. राजस्थान में जोधपुर की सडकों पर बुधवार को अलग ही नजारा देखने को मिला. हाथों में रेनबो फ्लैग लिए हुए अपनी ही धुन में नाचते-गाते लोगाों का समूह अपनी रैली निकाल रहा था. पहचान के नाम पर लोग सिर्फ इसमें शामिल ट्रांसजेंडर को ही पहचान रहे थे, लेकिन उनसे कहीं ज्यादा दूसरे लोग थे. यह थे LGBTQIA+ कम्युनिटी के लोग, जिसमें लेस्बिन, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, गे सहित अन्य जो यह तय नहीं कर पाते हैं कि वो मेल हैं या फीमेल.
विश्व गौरव के रूप में, LGBTQIA+ पहचान का वार्षिक उत्सव जून के महीने में मनाया जाता है. हर साल की तरह इस साल भी (Pride Month of LGBTQIA Community) एक जून से 30 जून तक यह मनाया जा रहा है. इस दौरान, समलैंगिक, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, क्वीर और इंटरसेक्स समुदाय अपने साथ होने वाले उत्पीड़न को रोकने और लोगों में इस समुदाय के प्रति अपना नजरिया बदलने को लेकर संदेश देने के लिए रैली का आयोजन करते हैं. जोधपुर में भी पहली बार इस समुदाय की झलक नजर आई.
संभली ट्रस्ट की अगुवाई में जोधपुर में रैली निकाली गई, जिसमें समुदाय के सभी वर्ग शामिल थे. इस रैली का जोधपुर के ट्रांसजेंडर समुदाय की कांता बुआ ने आगाज किया. उन्होंने बताया कि जैसे हम हैं वैसे और भी कई लोग हैं. इनमें गे (Gay) भी हैं और लेस्बिन भी हैं. हम चाहते हैं कि हम सब एक हों. उन्हें समाज व परिवार में प्रताड़ना नहीं मिले. संभील ट्रस्ट के गोविंद सिंह ने बताया कि हम चाहते हैं कि जिस तरह से थानों में महिला डेस्क होती है, उस पर इस समुदाय को भी सुना जाए. जिससे यह भी अपनी बात रख सकें.
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इस रैली में शामिल होने जयपुर, अजमेर सहित कई जगहों से इस कम्युनिटी के लोग जोधुपर आए थे. हाथों में कलरफुल गुब्बारे व पोस्टर बेनर लेकर खुद को भी समाज का अभिन्न अंग बता रहे थे. रैली में शामिल हुए निखिल और मनान ने बताया कि जरूरत है कि हमें भी लोग इंसान समझें. परिवार हमें अपनाए, जिससे हमारी लाइफ भी सेटल हो जाए. लेकिन अभी लोगों में जागरूकता है. हम यह संदेश देना चाहते हैं कि जिस तरह से इंद्रधनुष में सात रंग होते हैं, उसी तरह से मनुष्य के अलग-अलग रंग होते हैं और सभी को साथ रहना चाहिए.
साल 2000 से शुरू हुआ प्राइड मंथ का चलन : दुनिया में इस समुदाय की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस समुदाय को अपनी बात रखने के लिए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 2000 में जून महीने को इनके लिए प्राइड मंथ (World Pride Month Trend) घोषित किया था. जिसके बाद में बराक ओबामा ने इस चलन को आगे बढ़ाया और इस वर्ष जो बाइडेन ने. पूरी दुनिया में इस महीने जगह-जगह पर यह समुदाय सड़कों पर अपने हक-हकूक की मांग करता नजर आ रहा है.
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LGBTQIA+ के मायने : समलैंगिकों को आम बोलचाल की भाषा में एलजीबीटी (LGBT) यानी लेस्बियन (LESBIAN ), गे (GAY), बायसेक्सुअल (BISEXUAL) और ट्रांसजेंडर (TRANSGENDER) कहते हैं. वहीं, कई और दूसरे वर्गों को जोड़कर इसे क्वीर (Queer) समुदाय का नाम दिया गया है. इसलिए इसे LGBTQ भी कहा जाता है. वहीं, I (इंटरसेक्स) और A का मतलब (एसेक्शुअल या एलाई) होता है. इसके अलावा LGBTQIA के आगे प्लस (+) का निशान भी लगाया जाने लगा है. इसमें पैनसेक्शुअल, पॉलीएमॉरस, डेमीसेक्शुअल सहित कई अन्य समूह रखे जाते हैं. मतलब इसे और भी समूहों के लिए खुला रखा गया है, जिनकी अभी तक पहचान भी नहीं हो पाई है.