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2025 तक भारत से टीबी उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत : राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने जनभागीदारी से 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन के लिए युद्ध स्तर पर काम करने की अपील की. उन्होंने कहा कि दुनिया में कुल टीबी रोगियों का 25 प्रतिशत से अधिक भारत में है. पढ़िए पूरी खबर...

President Droupadi Murmu
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
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Published : Sep 9, 2022, 6:11 PM IST

Updated : Sep 9, 2022, 6:43 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने शुक्रवार को 'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' की डिजिटल तरीके से शुरुआत करते हुए लोगों से 2025 तक देश से टीबी के उन्मूलन के लिए सामूहिक रूप से युद्ध स्तर पर काम करने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने 'नि-क्षय 2.0' पोर्टल के माध्यम से टीबी रोगियों को सामुदायिक सहायता प्रदान करने की सरकार की पहल की सराहना की, जिसके तहत टीबी रोगियों को किसी व्यक्ति, निर्वाचित प्रतिनिधियों या संस्थानों द्वारा देखभाल के लिए अपनाया जा सकता है. उन्होंने सभी से अभियान को जन आंदोलन बनाने का आग्रह किया.

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, 'जब लोगों के हित में कोई कल्याणकारी योजना बनाई जाती है, तो उसके सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.' मुर्मू ने कहा कि सभी संक्रामक रोगों में सबसे ज्यादा मौतें टीबी से होती हैं. राष्ट्रपति ने कहा, 'भारत में दुनिया की आबादी का 20 प्रतिशत से कुछ कम है, लेकिन दुनिया के कुल टीबी रोगियों का यहां 25 प्रतिशत से अधिक है. यह चिंता का विषय है.' साथ ही उन्होंने कहा कि टीबी से प्रभावित ज्यादातर लोग समाज के गरीब तबके से आते हैं.

राष्ट्रपति ने टीबी उपचार पर अतिरिक्त डायग्नोस्टिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए 'नि-क्षय मित्र' पहल भी शुरू की, और निर्वाचित प्रतिनिधियों, कारोबारी घरानों, गैर सरकारी संगठनों और लोगों को रोगियों की मदद करने के लिए दाताओं के रूप में आगे आने को लेकर प्रोत्साहित किया. 'नि-क्षय 2.0' पोर्टल टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिए अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करने, 2025 तक टीबी उन्मूलन की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अवसरों का लाभ उठाने में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने में सुविधा प्रदान करेगा.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी से निपटने में विश्व के सामने एक उदाहरण स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि विश्वास के साथ आगे बढ़ने की 'नए भारत' की नीति टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में भी दिखाई दे रही है. संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुसार, सभी राष्ट्रों ने वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी. उन्होंने कहा कि इसका उपचार प्रभावी और सुलभ है और सरकार इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए मुफ्त सेवा मुहैया कराती है. उन्होंने कहा कि सभी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के रोगाणु अक्सर सबके शरीर में मौजूद होते हैं. मुर्मू ने कहा कि जब किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी कारणवश कम हो जाती है तो यह रोग व्यक्ति में प्रकट हो जाता है. उन्होंने कहा कि उपचार से निश्चित तौर पर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. ये सारी बातें लोगों तक पहुंचनी चाहिए। तब जाकर टीबी से प्रभावित लोग उपचार की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.

'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' की परिकल्पना सभी सामुदायिक हितधारकों को एक साथ लाने के लिए की गई है ताकि टीबी के उपचार में लोगों का समर्थन किया जा सके और टीबी उन्मूलन की दिशा में देश की प्रगति में तेजी लाई जा सके. कार्यक्रम में दिखाए गए एक वीडियो का उल्लेख करते हुए, मुर्मू ने कहा कि वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के सक्रिय मार्गदर्शन में, देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में टीबी के उपचार और रोकथाम के प्रयासों ने गति पकड़ी है.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सभी उम्र के टीबी रोगियों के बीच सरकार की पहुंच और सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक दृष्टिकोण प्रदान किया है. उपराज्यपालों से समर्थन का आह्वान करते हुए, मुर्मू ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों में उनका मार्गदर्शन स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभागों को बीमारी को खत्म करने के उनके प्रयासों में प्रेरित करेगा. इसके अलावा, गैर सरकारी संगठनों और औद्योगिक निकायों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा.

बीमारी से जुड़े कलंक से सामूहिक रूप से लड़ने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि सार्वजनिक प्रतिनिधित्व की भागीदारी से अभियान को मजबूती मिलेगी.' इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union minister Mansukh Mandaviya) ने कहा कि 'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' प्रधानमंत्री की नागरिक केंद्रित नीतियों का विस्तार है. उन्होंने टीबी कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रमुख संकेतकों जैसे टीबी मामले की सूचना और लगातार प्रयासों के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण मासिक सूचना रिपोर्टिंग 2021 के अंत तक पूर्व-महामारी के स्तर तक पहुंच गई. मांडविया ने बताया कि नि-क्षय पोर्टल में लगभग 13.5 लाख टीबी रोगी पंजीकृत हैं, जिनमें से 8.9 लाख सक्रिय टीबी रोगियों ने देखभाल के लिए अपनाए जाने को लेकर अपनी सहमति दी है.

नि-क्षय पोर्टल टीबी से पीड़ित व्यक्तियों को सामुदायिक सहायता के लिए एक मंच प्रदान करेगा. उन्होंने सभी नागरिकों, गैर सरकारी संगठनों, कारोबारी घरानों, निर्वाचित प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे नि-क्षय मित्र बनकर मुहिम का समर्थन करें और पहल पर चर्चा करने के लिए सभाएं आयोजित करें, ताकि कोई भी टीबी से पीड़ित न रहे. रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मांडविया ने नि-क्षय पोषण योजना जैसी सहायक योजनाओं के योगदान की सराहना की, जो टीबी उपचार पर पोषण संबंधी सहायता के रूप में प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 500 रुपये प्रदान करती है. उन्होंने टीबी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को दूर करने के लिए राज्यों द्वारा संचालित विविध रोगी सहायता कार्यक्रमों की सराहना की.

ये भी पढ़ें - राष्ट्रपति मुर्मू और नीदरलैंड की महारानी ने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने शुक्रवार को 'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' की डिजिटल तरीके से शुरुआत करते हुए लोगों से 2025 तक देश से टीबी के उन्मूलन के लिए सामूहिक रूप से युद्ध स्तर पर काम करने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने 'नि-क्षय 2.0' पोर्टल के माध्यम से टीबी रोगियों को सामुदायिक सहायता प्रदान करने की सरकार की पहल की सराहना की, जिसके तहत टीबी रोगियों को किसी व्यक्ति, निर्वाचित प्रतिनिधियों या संस्थानों द्वारा देखभाल के लिए अपनाया जा सकता है. उन्होंने सभी से अभियान को जन आंदोलन बनाने का आग्रह किया.

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, 'जब लोगों के हित में कोई कल्याणकारी योजना बनाई जाती है, तो उसके सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.' मुर्मू ने कहा कि सभी संक्रामक रोगों में सबसे ज्यादा मौतें टीबी से होती हैं. राष्ट्रपति ने कहा, 'भारत में दुनिया की आबादी का 20 प्रतिशत से कुछ कम है, लेकिन दुनिया के कुल टीबी रोगियों का यहां 25 प्रतिशत से अधिक है. यह चिंता का विषय है.' साथ ही उन्होंने कहा कि टीबी से प्रभावित ज्यादातर लोग समाज के गरीब तबके से आते हैं.

राष्ट्रपति ने टीबी उपचार पर अतिरिक्त डायग्नोस्टिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता सुनिश्चित करने के लिए 'नि-क्षय मित्र' पहल भी शुरू की, और निर्वाचित प्रतिनिधियों, कारोबारी घरानों, गैर सरकारी संगठनों और लोगों को रोगियों की मदद करने के लिए दाताओं के रूप में आगे आने को लेकर प्रोत्साहित किया. 'नि-क्षय 2.0' पोर्टल टीबी रोगियों के उपचार परिणामों में सुधार के लिए अतिरिक्त रोगी सहायता प्रदान करने, 2025 तक टीबी उन्मूलन की भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के अवसरों का लाभ उठाने में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने में सुविधा प्रदान करेगा.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी से निपटने में विश्व के सामने एक उदाहरण स्थापित किया है. उन्होंने कहा कि विश्वास के साथ आगे बढ़ने की 'नए भारत' की नीति टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में भी दिखाई दे रही है. संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुसार, सभी राष्ट्रों ने वर्ष 2030 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है. लेकिन भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है और इस संकल्प को पूरा करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि इस अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी. उन्होंने कहा कि इसका उपचार प्रभावी और सुलभ है और सरकार इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए मुफ्त सेवा मुहैया कराती है. उन्होंने कहा कि सभी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि टीबी के रोगाणु अक्सर सबके शरीर में मौजूद होते हैं. मुर्मू ने कहा कि जब किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी कारणवश कम हो जाती है तो यह रोग व्यक्ति में प्रकट हो जाता है. उन्होंने कहा कि उपचार से निश्चित तौर पर इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है. ये सारी बातें लोगों तक पहुंचनी चाहिए। तब जाकर टीबी से प्रभावित लोग उपचार की सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.

'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' की परिकल्पना सभी सामुदायिक हितधारकों को एक साथ लाने के लिए की गई है ताकि टीबी के उपचार में लोगों का समर्थन किया जा सके और टीबी उन्मूलन की दिशा में देश की प्रगति में तेजी लाई जा सके. कार्यक्रम में दिखाए गए एक वीडियो का उल्लेख करते हुए, मुर्मू ने कहा कि वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के सक्रिय मार्गदर्शन में, देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में टीबी के उपचार और रोकथाम के प्रयासों ने गति पकड़ी है.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सभी उम्र के टीबी रोगियों के बीच सरकार की पहुंच और सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक दृष्टिकोण प्रदान किया है. उपराज्यपालों से समर्थन का आह्वान करते हुए, मुर्मू ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों में उनका मार्गदर्शन स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभागों को बीमारी को खत्म करने के उनके प्रयासों में प्रेरित करेगा. इसके अलावा, गैर सरकारी संगठनों और औद्योगिक निकायों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा.

बीमारी से जुड़े कलंक से सामूहिक रूप से लड़ने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि सार्वजनिक प्रतिनिधित्व की भागीदारी से अभियान को मजबूती मिलेगी.' इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union minister Mansukh Mandaviya) ने कहा कि 'प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान' प्रधानमंत्री की नागरिक केंद्रित नीतियों का विस्तार है. उन्होंने टीबी कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रमुख संकेतकों जैसे टीबी मामले की सूचना और लगातार प्रयासों के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण मासिक सूचना रिपोर्टिंग 2021 के अंत तक पूर्व-महामारी के स्तर तक पहुंच गई. मांडविया ने बताया कि नि-क्षय पोर्टल में लगभग 13.5 लाख टीबी रोगी पंजीकृत हैं, जिनमें से 8.9 लाख सक्रिय टीबी रोगियों ने देखभाल के लिए अपनाए जाने को लेकर अपनी सहमति दी है.

नि-क्षय पोर्टल टीबी से पीड़ित व्यक्तियों को सामुदायिक सहायता के लिए एक मंच प्रदान करेगा. उन्होंने सभी नागरिकों, गैर सरकारी संगठनों, कारोबारी घरानों, निर्वाचित प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे नि-क्षय मित्र बनकर मुहिम का समर्थन करें और पहल पर चर्चा करने के लिए सभाएं आयोजित करें, ताकि कोई भी टीबी से पीड़ित न रहे. रोगी-केंद्रित स्वास्थ्य प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मांडविया ने नि-क्षय पोषण योजना जैसी सहायक योजनाओं के योगदान की सराहना की, जो टीबी उपचार पर पोषण संबंधी सहायता के रूप में प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 500 रुपये प्रदान करती है. उन्होंने टीबी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को दूर करने के लिए राज्यों द्वारा संचालित विविध रोगी सहायता कार्यक्रमों की सराहना की.

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Last Updated : Sep 9, 2022, 6:43 PM IST
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